नैनागिरि में विद्वत्परिषद् का वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न
नैनागिरि। जैन तीर्थ नैनागिरि म.प्र. में परम पूज्य गणाचार्य श्री विरागसागर जी मुनिराज तथा उनके विशाल संघ के सान्निध्य में श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् का वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुआ। अध्यक्षता परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष प्रो. भागचन्द्र जैन ‘भास्कर’-नागपुर ने की व संचालन-संयोजन महामंत्री डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर ने किया।
नैनागिरि। जैन तीर्थ नैनागिरि म.प्र. में परम पूज्य गणाचार्य श्री विरागसागर जी मुनिराज तथा उनके विशाल संघ के सान्निध्य में श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् का वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुआ। अध्यक्षता परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष प्रो. भागचन्द्र जैन ‘भास्कर’-नागपुर ने की व संचालन-संयोजन महामंत्री डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर ने किया। देश के विभिन्न प्रदेशों से अनेक विद्यान् सम्मिलित हुए। चार प्रस्ताव पारित किये गये। अधिवेशन के अन्त में गणाचार्यश्री के मंगल प्रवचन हुए।
सोमवार को पण्डित अनिल कुमार जैन साहित्याचार्य-सागर के मंगलाचरण के साथ अधिवेशन का प्रारम्भ हुआ। न्यायमूर्ति विमला जैन मुख्य अतिथि थीं, प्रतिष्ठाचार्य व शास्त्रिपरिषद् के महामंत्री ब्र. जयनिशांत जैन सारस्वत अतिथि व परिषद् के सदस्य और नैनागिरि क्षेत्र के महामंत्री श्री देवेन्द्र लुहारी को विशिष्ट अतिथि बनाया गया।
श्री सुरेश जैन आईएएस. के स्वागतभाषण के पश्चात् समागत विद्वानों का सम्मान किया गया, पश्चात् परिषद् के महामंत्री डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’- इन्दौर ने विद्वत् परिषद्् का प्रगति विवरण व प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। परिषद् के संयुक्तमंत्री प्रतिष्ठाचार्य पं. उदयचन्द्र शास्त्री-सागर ने तीर्थों का विकास और संरक्षण कैसे हो उसपर प्रकास डाला। डॉ. हरिश्चन्द्र जैन ने जैन तीर्थों पर किये जा रहे अतिक्रमण पर चिन्ता व्यक्त की तथा अतिक्रमण के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पढ़ा, जिसकी अनुमोदना पं. मनीष विद्यार्थी (विशेष आमंत्रित सदस्य)-सागर व पं. दिनेश कुमार जैन शास्त्री- बड़ागांव ने की।
विद्वत् परिषद् के उपमंत्री- पं. सुनील जैन ‘सुधाकर’ शास्त्री ने कहा कि विद्वान् समाज और साधुसंस्था के मध्य की महत्वपूर्ण कड़ी है, पंथवाद और संतवाद से ऊपर उठकर समाज में सभी में सामंजस्य बैठाने की हमारा महत्वपूर्ण दायित्व है।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति विमला जैन ने ‘प्रतिभाओं की प्रगति और क्षेत्र सेवा’ विषय पर अपने अनुभूत संस्मरणों को सुनाते हुए प्रकाश डाला। सारस्वत अतिथि प्रतिष्ठाचार्य ब्र. जयकुमार ‘निशान्त’ ने जैन साधुओं के आहार, विहार और नीहार में आ रहीं समस्याओं, समाज द्वारा इसमें भी कहीं कहीं पंथवाद को अपनाये जाने आदि की समस्या और उसे दूर करने पर प्रकाश डालते हुए एक प्रस्ताव पढ़ कर सुनाया, जिसका अनुमोदन प्रतिष्ठाचार्य पं. सनतकुमार जैन व प्रतिष्ठाचार्य पं. विनोद कुमार जैन रजवांस ने किया।
डॉ. शोभालाल जैन- सागर ने अभी हाल में हुए पांच राज्यों के चुनावों में नवनिर्वाचित जैन जन-प्रतिनिधियों को तथा प्रशासनिक पदों पर चयनित जैन प्रतिभाओं को भी बधाई व शुभकामनायें दीं, साथ ही शुभकामना विषयक परिषद् की ओर से अपना प्रस्ताव पढ़ा, जिसकी अनुमोदना डी.के. जैन-इन्दौर व ऋषभ जैन वैद्य-बड़ागांव ने अनुमोदना की।
श्री सुरेश जैन आईएएस ने एक प्रस्ताव रखा कि ‘‘नैनागिरि क्षेत्र का ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक महत्व’’ समेकित विषय के अन्तर्गत अलग अलग विषयों पर विद्वानों से आलेख लेखन हेतु निवेदन किया जाएगा, साथ में दो पुस्तकें- ‘नैनागिरि जैन तीर्थ: पुरातन से अद्यतन’’ और ‘‘नैनागिरि का जैन पुरातत्त्व’’ प्रेषित कर दीं जायेंगीं। छह माह का समय दिया जायगा। मानदेय के अतिरिक्त उच्चस्तरीय आलेखों को पुरस्कृत किया जायगा। अन्वेषण करने नैनागिरि आने वाले विद्वानों को सपरिवार आवास-भोजन आदि की अच्छी व्यवस्थायें उपलब्ध करवायीं जायेंगीं। किसी विशिष्ट आयोजन के समय संगोष्ठी में आलेख वाचन हेतु विद्वानों को आमंत्रित किया जायगा, जो विद्वान् किसी कारण से सम्मिलित नहीं हो सकेंगे उन्हें आलेख का निर्धारित मानदेय भेज दिया जायेगा।’’ श्री सुरेश जी ने यह कार्य संपादित करने के लिए विद्वत् परिषद् से निवेदन किया कि वह इसे संपादित करे।
श्रीमती प्रभा सिंघई ने मुनिराजों की निर्दोष आहार-व्यवस्था पर प्रकाश डाला।
श्री दाममोदर जैन -शाहगढ़ (विशेष आमंत्रित) ने भगवान् पार्श्वनाथ के 2900वें निर्वाणोत्सव को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव रखा। पं. अनिल जैन साहित्याचार्य-सागर एवं पं. दयाचन्द्र शास्त्री-सतना ने अनुमोदन किया तथा कहा कि तिथियों को आगम के आलेक में पहले ठीक से देख लेना होगा। सभी प्रस्तावों को ध्वनिमत से पारित किया गया।
डॉ. श्रीमती पुष्पा जी-नागपुर, प्रतिष्ठाचार्य दिनेश दिवाकर- बड़ागांव, परिषद् के कार्यकारिणी सदस्य प्रतिष्ठाचार्य पंडित ऋषभ शास्त्री - राजिम छ.ग., प्रतिष्ठाचार्य पंडित मनोज जैन शास्त्री-अहार, प्रतिष्ठाचार्य पंडित अशोक जैन-बम्हौरी ने अपने विचार रखे। परिषद् के यशस्वी अध्यक्ष डॉ. भागचन्द्र जैन ‘भास्कर’ ने अध्यक्षीय वक्तव्य में विद्वत्परिषद् के गौरवपूर्ण इतिहास पर प्रकाश डाला, उन्होंने नैनागिरि में आये भगवान पार्श्वनाथ के समवशरण का वर्तमान में परिसीमन करने और पुरातत्त्व अन्वेषण करने पर बल दिया। अन्त में क्षेत्र केक मंत्री श्री राजेश ‘रागी’- बक्सवाहा ने धन्यवाद ज्ञापन किया
डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
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