कविता

किसान का सपना

Kisan ka Sapna

गीत

गुमसुम बैठकर न आसमां देखते रहिये अंधेरे में बिन चांद के तारों से न पूछिये।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई

१. भरी हुकार मचाया हाहाकार झाँसी की रानी।

कलियां

रात भर ठंड में अलसाई गुलाब की कलियों पर 

सावन के मौसम में

सावन के मौसम में,  रिमझिम पानी बरसता है।

क्यूँ बने हो अश्म

पर्यंक पड़ा है खाली , प्रयूषण लगे है थाली ।

घिर गए

बस्ती में आ के तेरी वबालों में घिर गए। हम बे सबब ही कितने सवालों में घिर गए।।

कारगिल विजय दिवस

मेरे देश के वीर जवानों को,  नमन् है उनके बलिदानों को। 

उम्मीद की एक किरण

कहीं से नजर आती उम्मीद की एक किरण हर परिस्थिति से टकराने की हिम्मत है परिस्थित...

शिव वंदना

जय हो देवों के देव, प्रणाम तुम्हे है महादेव। हाथ में डमरू, कंठ भुजंगा, प्रणाम...

भ्रमित युवा

हम किस बात की आज़ादी चाहते हैं... पतंग जैसी या पतंगे जैसी जिसमें सिर्फ़ एक मात्र...

जनसंख्या नियंत्रण

प्रकृति ने दिया जिसे सबसे ज्यादा प्यार, वही कोशिश कर रहा उसकी करने हार,

जो कारगिल में शहीद हुए

अरे ओ देश के हुक्मरानों, जरा अपने होश को संभालो।