सागर सी गहरी लहरों सी चंचल मेरी अंडमान यात्रा

किताबें आपको जीवनी पढ़ना सिखाती हैं   लेकिन यात्रा आपको जिंदगी कैसे जीना है सिखाती है 

May 30, 2025 - 16:19
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सागर सी गहरी लहरों सी  चंचल मेरी अंडमान यात्रा
My Andaman trip is as playful as the waves of the ocean

किताबें आपको जीवनी पढ़ना सिखाती हैं  
लेकिन यात्रा आपको जिंदगी कैसे जीना है सिखाती है 
    समुद्री यात्रा सचमुच एक अद्भुत अनुभव होती है, वह मानसिक और आत्मिक रूप से भी हमें एक गहरे स्तर पर प्रभावित करती है। जब आप समुद्र की विशालता और उसकी लहरों के साथ चलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे आपका मन और आत्मा उन लहरों के साथ बहते हुए शांति और सुकून पा रही हो।
समुद्र के बीच, जहाँ केवल आप और प्रकृति होते हैं, वहाँ किसी बाहरी दुनिया का कोई असर नहीं होता। इस समय आपका मन पूरी तरह से शांत हो जाता है, और आप अपने भीतर की गहरी आवाज़ को सुन सकते हैं। समुद्र की लहरों की आवाज़ जैसे एक शांति का संगीत बन जाती है, जो आत्मा को सुकून पहुँचाती है।
समुद्र में यात्रा करने से न केवल प्रकृति के साथ एक अनूठा संबंध बनता है, बल्कि यह हमें खुद से मिलने का भी एक अवसर प्रदान करती है। समुद्र की व्यापकता हमें यह एहसास दिलाती है कि हमारी समस्याएं और चिंताएँ कितनी छोटी हैं, और यह हमें जीवन के प्रति एक नई दृष्टि देती है। यह एक तरह से आत्म-खोज की यात्रा भी बन जाती है, जहां हम समुद्र के साथ अपने अंदर की गहराईयों को महसूस करते हैं।
मुझे भी एक ऐसा अनुभव मिला जब हम आपने कालेज की ओर से अंडमान की यात्रा पर गए लगभग सौ शिक्षकों का हमारा ग्रुप था। एक फरवरी सुबह साढ़े चार बजे हमारा हवाई जहाज बेंगलुरु अन्तराष्ट्रीय हवाईअड्डे से उड़ा और सात बजे हम वीर सावरकर हवाईअड्डे  पर उतरे सभी ने अपना अपना सामान लिया, हमारे लिए बसों का इंतजाम था जो हमें श्री विजयपुरम (पोर्ट बिलेयर) के बंदरगाह जाती हैं थोड़ी सी दूरी का पैदल रास्ता था जहाँ से हम अपने जहाज तक पहुंचे सामने फैला नीला समुद्र और उस पर तैरती नावें जहाज सब कुछ बहुत खूबसूरत था। हमने कुछ तस्वीरें लीं और पहले से खड़े जहाज से स्वराज द्वीप ( हैवलाक द्वीप ) की यात्रा प्रारंभ की लगभग ढाई घंटे में हम स्वराज द्वीप पहुंचते हैं । सबसे पहले होटल जाते हैं नाश्ता बगैरह करके तैयार होकर पहले एलिफेंट बीच जाते हैं जो कई तरह के वाटर स्पोर्ट्स के लिए प्रसिद्ध है । हमारा पूरा ग्रुप अलग अलग तरह के समुद्री क्रीडाओं का आनंद लेता हैं और उसके बाद हम राधानगर समुद्र तट पहुंचते हैं । राधानगर समुद्र तट पर बिताया गया समय सचमुच अविस्मरणीय था, खासकर जब सूर्यास्त का वह अद्भुत दृश्य सामने आया। यह तट हैवलोक द्वीप पर स्थित है और अपनी सफेद रेत, नीले पानी और शांति के लिए मशहूर है। राधानगर का समुद्र तट न केवल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, दिन के दौरान, राधानगर तट की स्वच्छता और शांतिपूर्ण वातावरण ने हमें पूरी तरह से अपने अंदर समाहित कर लिया। हल्की ठंडी हवा, समुद्र की लहरों की आवाज, और सुनहरे रेत के मैदान-यह सब मिलकर एक जादुई माहौल बनाते हैं। लेकिन जब सूर्यास्त का समय आता है, तो यह स्थान सचमुच मंत्रमुग्ध कर देने वाला बन जाता है।
सूर्यास्त के दौरान का दृश्य कुछ इस तरह का था, जैसे आकाश और समुद्र ने एक दूसरे में रंग भर दिए हों। सूरज जब धीरे-धीरे आकाश में सुनहरे रंगों के साथ डूबने लगता है, तो समुद्र की लहरें उस रंग को अपनी ओर खींचती हैं और पानी में एक शानदार प्रतिबिंब बनता है। आकाश का रंग हल्के नारंगी, गुलाबी और लाल के मिश्रण से बदलता है, और यह रंग धीरे-धीरे समुंदर में समा जाते हैं।
सूर्यास्त के समय का दृश्य, जहाँ सूरज अंतिम बार आकाश से टकराता है, एक ऐसा अनुभव था, जिसे शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता। पूरी तरह से खामोशी और शांति का अहसास हुआ, जैसे पूरी प्रकृति भी उस पल को महसूस कर रही हो।
कुछ समय वहाँ बिताकर फिर हम वापस अपने होटल लौटते हैं । थकान काफी हो चुकी थी रात्रि भोजन के बाद विश्राम करते हैं अगले दिन सुबह हमें नील द्वीप की यात्रा करनी थी। सुबह जल्दी उठकर सामान बांध कर हम स्वराज द्वीप पोर्ट पर पहुंचते हैं वह दिन वसंत पंचमी था। हमारे जहाज को आने में समय था और वहाँ श्री गणेशजी और राधा कृष्ण जी का मंदिर था तो मैं  वहाँ जाती हूँ पूजन करती हूँ । तब तक हमारा जहाज आ जाता है और हम नील द्वीप की यात्रा आरंभ करते हैं हैवलोक द्वीप से जहाज द्वारा नील द्वीप पहुँचना अपने आप में एक रोमांचक यात्रा थी। लगभग दो घंटे में हम नील द्वीप पहुंचते हैं। हमारे लिए वहाँ खूबसूरत रिसार्ट बुक था नाश्ता हमने जहाज में ही किया था। तो जल्दी सामान अपने अपने काटेज में रखकर हम सभी नील द्वीप की सुन्दरता को अपनी आँखों में संजोने निकल पड़ते हैं ।नील द्वीप पर बिताया गया दिन भी एक शानदार अनुभव था, या यूँ कहूँ इस यात्रा का सबसे पसंदीदा दिन जो प्रकृति के नजदीक होने का अहसास कराता है। नील द्वीप, अपनी शांत और नीरवता के लिए प्रसिद्ध है, यहाँ का वातावरण बहुत ही स्वच्छ और ताजगी से भरा हुआ था।
हमने सबसे पहले नील द्वीप के समुद्र तट पर कदम रखा, जहाँ की सफेद रेत और नीला पानी देखकर ऐसा लगा जैसे हम किसी अलौकिक संसार में हैं। समुद्र का पानी बहुत साफ था और समुद्र के किनारे पर चलते हुए, हल्की लहरों के साथ पैर डालना एक आरामदायक अनुभव था। यहाँ के समुद्र तट पर अधिक भीड़ नहीं थी, जिससे यह और भी शांति और सुकून देने वाला महसूस हो रहा था।
इसके बाद, हमने स्नॉर्कलिंग का अन्ाुभव लिया। यहाँ का समुद्र जीवन हवलोक से अलग था, लेकिन उतना ही सुंदर। रंग-बिरंगे कोरल, मछलियाँ और पानी के नीचे की दुनिया को देखना सचमुच अद्भुत था। यह अनुभव समुद्र के नीचे की शांति और सुंदरता का बेजोड़ अहसास कराता है।
हमने द्वीप के अंदर कुछ समय बिताने का भी सोचा और वहाँ के स्थानीय गांवों को देखा। यहाँ के लोग बहुत ही मित्रवत थे, मैंने कुछ बच्चों से बातचीत की उनके साथ बातचीत और आपनेपन ने इस यात्रा को और भी खास बना दिया। नील द्वीप की जीवनशैली बहुत साधारण और प्रकृति के करीब थी, और यहाँ के लोग समुद्र और प्रकृति के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।
नील द्वीप पर बिताया गया दिन एक ऐसी याद बन गया, जो हमेशा दिल में ताजगी और शांति का अहसास दिलाती है। यह द्वीप उन लोगों के लिए आदर्श स्थान है जो प्राकृतिक सौंदर्य और शांति की खोज में रहते हैं।
 सेल्युलर जेल का दौरा एक अत्यधिक रोमांचक और भावनात्मक अनुभव था, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से गहरे जुड़ा हुआ है। यह जेल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित है और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्षों की गवाह है। जब हम वहां पहुंचे, तो जेल की ऐतिहासिकता और इसके भीतर हुए अत्याचारों का एहसास हुआ, और यह अनुभव हमें एक साथ विनम्रभाव और गंभीरता दोनों तरह का अहसास करा रहा  था।
सेल्युलर जेल का आर्किटेक्चर बहुत ही खास था। यह जेल एक केंद्रीय भवन से चारों दिशा में फैली हुई थी, जिसमें सात शाखाएं थीं, जो एक स्तंभ के रूप में फैली हुई थीं। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि बंदी एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग-थलग रह सकें। इस जेल का नाम 'सेल्युलर' इसलिए पड़ा क्योंकि प्रत्येक कक्ष एक बंद सेल के समान था, जहां कैदी पूरी तरह से अकेले रहते थे और उन्हें किसी भी अन्य से मिलने की अनुमति नहीं थी। इस स्थान पर कदम रखते ही, उस समय के कठिन हालात और क्रूरता का एहसास होने लगता है। पीपल के उस पेड़ को भी देखा जेल के नि माण से लेकर हमारे स्वतन्त्रता सेनानियों पर हुए अत्याचारों का एकमात्र गवाह हैं।
हमने कैदियों के कक्षों और उनकी दर्दनाक कहानियों को देखा। यहाँ पर स्वतंत्रता सेनानियों को बेहद कठिन और अमानवीय परिस्थितियों में रखा गया था। जेल के अंदर की चुप्प और शांति में एक गहरी ग़मगीनता महसूस हो रही थी, जैसे यहाँ की दीवारें अपने अंदर कई अनकही कहानियाँ दबाए बैठी हो।
इसके बाद, हम ने लाइट एंड साउंड शो को देखा, जो कि सेल्युलर जेल के इतिहास को दर्शाने वाला एक बहुत ही प्रभावशाली अनुभव था। इस शो में उस समय की कहानियाँ, संघर्ष, और जेल के अंदर की पीड़ा को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया था। यह शो सिर्फ एक दृश्य नहीं था, बल्कि यह हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति हम सब के ह्रदय को गर्व और सम्मान भाव से भर रहा था है।
सेल्युलर जेल में बिताए गए उस दिन ने हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की कठिनाइयों और बलिदानों की कहानियों को करीब से महसूस करवाया। जेल का दौरा न केवल रोमांचक था, बल्कि यह हमें इतिहास के एक ऐसे अहम हिस्से से परिचित कराता है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह अनुभव न केवल रोमांचक था, बल्कि हमारी आत्मा को छूने वाला और इतिहास की गहराई में डूबोने वाला था।
फिर शाम को हमने शहर घूमा और स्थानीय दुकानों से खरीददारी की अपनों को उपहार देने के लिए कुछ आपने में लिए भी हम में से ज्यादातर सभी ने शंख और मोतियों की मालाएँ खरीदी शहर बाजार घुमने के बाद हम होटल लौटते हैं यह यात्रा का अंतिम पड़ाव था और हमें लौटना था। सुबह सात बजे हम बेंगलुरु के लिए श्रीविजयपुरम हवाईअड्डे से हवाई जहाज में बैठते है। अंडमान की यात्रा और उसकी यादों को मन में सँजोए।

डॉ. कविता पनिया
बेंगलुरु

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