तुम मरो !
फिर सोचती हूं गुस्से में बोला होगा, गुस्से में बोला होगा शायद! नहीं-नहीं याद आता है फिर मुझे की जब कोई इंसान मरने के लिए बोले तो समझ जाओ मर ही जाना है
जब कोई आपका खास आपको बोलता है
तुम मरो तो क्या मर जाना चाहिए।
सवाल जहन में आता है
क्या इतनी बुरी हूं मैं
कि मुझे बोला गया मरने के लिए
फिर सोचती हूं गुस्से में बोला होगा,
गुस्से में बोला होगा शायद!
नहीं-नहीं याद आता है फिर
मुझे की जब कोई इंसान मरने के लिए बोले
तो समझ जाओ मर ही जाना है
तुम्हें उस इंसान के लिए।
जब गुस्से में बोले तो समझ जाना है
कि उसकी जुबान पे आया एक शब्द
आपके लए अंतिम हो...!
फिर सोचती हूं क्यों पलट के भी तो बोल सकती हूं
कि तुम मरो फिर याद आता है नहीं नहीं तुम मत बोलो
बस याद करो उस क्षण को जब तुम्हें बोला गया तुम मरो तुम मरो।
उसका मरना घातक सिद्ध होगा इसलिए तुम खुद मरो,
घुट के मरो या खुद से मरो तुम खुद मरो, तुम खुद मरो।।
प्रियंका रॉय
खैरथल – तिजारा
What's Your Reaction?






