श्रम का सम्मान
समाज के निर्माण में है जिनकी महत्ता, मजदूरों को समर्पित है मेरी कविता। श्रमिकों का श्रम, उनके संघर्ष, की कठिन कहानी। आओ सुनो मेरी जुबानी।

समाज के निर्माण में है
जिनकी महत्ता,
मजदूरों को समर्पित है
मेरी कविता।
श्रमिकों का श्रम,
उनके संघर्ष,
की कठिन कहानी।
आओ सुनो मेरी जुबानी।
वो है तो
धरती है, अम्बर है।
वो है तो
महल है, मंदिर है।
उनके होने से
समृद्धि है, विकास है।
उनके बिना
विध्वंस है, विनाश है।
हर कदम पर है संघर्ष
निरंतर, अविचल।
काम की रोटी के लिए
उनका जीना,
हर दिन की मेहनत,
हर दिन है सीना।
समय चाहे सामंती हो,
या आज का प्रगतिशील
उन्हें नहीं है कोई ढील-
आज भी
होरी है, धनिया है
गोबर है, झुनिया है।
उन्हें तो रोज कर्जे में कटना है
किश्तों में बंटना है।
संघर्ष से भरा है उनका जीवन,
अपने सपनों को साकार करने की जिद
मजदूरों के बिना,
सब कुछ अधूरा है,
उनके बिना हर शहर सुना है।
क्योंकि
सृजनशीलता के प्रतिमान
श्रमिकों की पीड़ा
है सच्चाई की पहचान।
आओ मिल कर करें
श्रम का सम्मान।।
अनिल सोनी 'डावर'
भोपाल
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