हाइकु
टूट रहा था घर और मकान माँ के मरते

टूट रहा था
घर और मकान
माँ के मरते
मौन है प्रेम
हवा और पेड़-सा
प्राणधार भी
हम बैठे हैं
चलता है अचल
जैसे पवन
दीपा गेरा
कानपूर, उत्तर प्रदेश
What's Your Reaction?







टूट रहा था
घर और मकान
माँ के मरते
मौन है प्रेम
हवा और पेड़-सा
प्राणधार भी
हम बैठे हैं
चलता है अचल
जैसे पवन
दीपा गेरा
कानपूर, उत्तर प्रदेश
Sahityanama Nov 15, 2023 0 3.7k
Sahityanama Jun 21, 2024 0 2.3k
Sahityanama Apr 25, 2024 0 1.4k
Sahityanama Dec 2, 2024 0 1.2k
Sahityanama Jun 21, 2024 0 1.1k