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This story is about two neighboring families—the Mishras and the Pandeys. The Mishra couple was harsh and disliked children, while the Pandey family was gentle, educated, and kind. Years later, when Mr. Mishra was injured in an accident, the Pandey family stepped forward to help. This moment melted the hardened heart of Mrs. Mishra. यह कहानी दो पड़ोसी परिवारों—मिश्रा और पांडेय—की है। मिश्रा दंपती कठोर स्वभाव के और बच्चों से नफरत करने वाले थे, जबकि पांडेय परिवार शांत, शिक्षित और दयालु था। वर्षों बाद जब एक दुर्घटना में मिश्रा जी घायल हो गए, तब वही पांडेय परिवार उनकी मदद के लिए सबसे पहले आगे आया। इस घटना ने मिश्राइन आंटी के कठोर दिल को पिघला दिया।

Nov 14, 2025 - 16:09
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बहुत समय पहले की बात है। पड़ोस में एक मिश्रा परिवार रहने आया। वे दोनों कुछ ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। उनकी कोई संतान भी नहीं थी। पता नहीं सन्तान की कमी ने उन्हें कठोर बनाया या उनका स्वभाव ही वैसा था वे बच्चों को बिल्कुल नहीं पसंद करते थे। कुल मिलाकर दोनों ही दिल के बहुत कठोर थे। यदि किसी भी बच्चे से कोई गलती हो जाती तो फिर आन्टी सीधें-सीधें गाली पर आ जाती थी वह भी ठेठ गंवारू शैली में। उनके अंदर की ममता की भावना न जाने कहाँं गुम हो गई थी।
उनके सामने भी एक और पांडेय परिवार रहा करता था जो उन लोगों से बिल्कुल उल्टे। यानी एक मिलनसार सीधा-सीधा, सम्पन्न और सुशिक्षित परिवार था। उनके दो बच्चे थे जिनमें एक लड़की करीब  सात साल की थी और एक बेटा करीब छः वर्ष का था।
शाम का समय,ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी और उनका बेटा छत पर खेल रहा था। छत पर गिट्टी और मिट्टी रखी हुई थी। वह थोड़ी देर  तो खेलता रहा फिर उसे जाने क्या सूझी की उसने कुछ मिट्टी के ढेलों को उठाकर उछालना चालू किया, उनमें से कुछ  ढेले छत से नीचे जा  गिरे। मिश्राइन आंटी अपने दरवाजे पर खड़ी हो
कुछ देख रही थी तभी वे ढेले उनके दरवाजे के सामने मौजूद कच्ची जगह पर जाकर गिरा। अब आंटी जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया उन्होंने सामने वाले पांडेय जी का दरवाजा खटखटाया, `पांडेय जी जरा बाहर तो आइए और देखिए आपके बदमाश बेटे ने फिर से मेरे दरवाजे पर ढेले फेंके हैं और मेरा सारा दरवाजा गन्दा कर दिया।' वे जोर -जोर से चिल्लाए जा रही थी। वह बच्चे के लिए तरह-तरह के शाप दे रही थी तथा गन्दी गालियाँं बके जा रही थी। तभी मैडम पांडेय बाहर आयी वे बेहद शांत दिमाग की महिला थीं उन्होंने बड़े ही शांतभाव से कहा , 'अरे आंटी जी कोई बात नहीं, मैं अभी साफ़ कर देती हूँ,आप परेशान मत होइए।'
`तुम क्या साफ करोगी पहले अपने लड़के को संभालो जो रोज-रोज शरारत करता रहता है।’
आंटी जी का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था।
मैडम पांडेय ने कहा, `आंटी जी बच्चे है, बच्चों से तो गलती तो होती ही है। अब बच्चे ने गलती तो किया ही है और आपके सामने खड़ा है आप बड़ी है इसे दो हाथ मार दीजिए.. सुधर जाएगा।'
पर आंटी जी का गुस्सा थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। आखिर पाण्डेय जी जाकर वहां पर गिरे मिट्टी के ढेलों को उठाकर फेंका और उनसे माफी मांगी फिर भी बगल वाली आन्टी बड़बड़ाती ही रही।

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उनका यही कार्यक्रम रोज का होता कभी इससे कभी उससे। लगभग सभी पड़ोसियों से उनकी लड़ाई होती रहती। किसी के भी यहां से उनका आना-जाना नहीं था।
समय अपने ही रफ्तार से आगे बढ़ता ही जा रहा था। करीब पन्द्रह साल बाद एक घटना हुई। मिश्रा जी अपने दरवाजे के सामने खड़े थे कि उनकी छत पर बंदरों का एक झुंड आ गया और उछल कूद करने लगा। जर्जर से हो रहे मकान के बारजे का एक छोटा सा हिस्सा टूटकर नीचे गिरा उसका एक टुकड़ा छिटकर मिश्रा जी के पैर पर गिर पड़ा। मिश्राजी दर्द से छटपटा गये और वहीं धम्म से गिर पड़े। उनके पैरों से खून बह रहा था। मिश्राइन आंटी बाहर आ गयीं सत्तर साल की उम्र उनसे मिश्रा जी  उठाये भी नहीं जा रहे थे।
शोर सुनकर कुछ लोग बाहर निकले तो पर आगे नहीं बढ़े कारण मिश्राइन आंटी से हुई लड़ाई। उसी समय मैडम पांडेय बाहर निकल कर आयीं और मिश्रा अंकल के पास तेजी से पहुंची। उन्होंने सामने ही खड़े बेटे को इशारा किया। बेटे ने मिश्रा अंकल को उठाकर अपनी गाड़ी में बिठाया और डाक्टर के पास ले जाकर मरहम पट्टी करायी,दवा दिलवाया और घर ले आकर उनको उनके बिस्तर तक छोड़ा। आंटी को समझाया कि दवा कब कब और कैसे देनी है। मिश्राइन आंटी का दिल पिघलने लगा था। उन्होंने झिझकते हुए कहा ,`बेटा आपके लिए चाय बनाऊं?
`धन्यवाद आंटी, मैं चाय नहीं पीता हूं।'सिद्धार्थ ने कहा। `अच्छा बेटे कितने पैसे देने हैं।'
कोई पैसे नहीं,आप इ‌नका ध्यान रखिए। अगर कोई जरूरत हो तो आप मुझे बुला सकती हैं। तब तक सिद्धार्थ की माँं मैडम पांडेय भी अन्दर आ चुकी थीं,`हाँ आंटी जी आप लोग परेशान मत होना, हम लोग हैं।'
मिश्राइन आंटी की आँखों से झरझर आँसू बह निकले थे। आज पत्थर पिघल रहा था।

डॉ. सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली

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