अपने घर को बनायें पावरहाउस(विज्ञान के नए आयाम और आविष्कार)
इससे दलदल और दलदली भूमि जैसे पारिस्थितिकी तंत्रों को भी नुकसान पहुंचेगा। वैश्विक लक्ष्य पेरिस समझौते में परिकल्पित लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में २ डिग्री सेल्सियस से नीचे, संभवतः १.५ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देशों को अपने जलवायु प्रदूषण में कटौती करने की प्रतिबद्धता जतानी होगी।

आजकल सब तरफ एक चर्चा अवश्य हो रही है कि वातावरण में तापमान बढ़ रहा है जिसके बहुत से निकटवर्ती और दूरगामी दुष्परिणाम होने वाले हैं। औद्योगिक क्रांति के आरंभ से ही वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। सन १७५० में यह मात्र २८० पीपीएम थी जो अब बढ़कर २०१७ में ४०६ पीपीएम हो गई है। अधिकांश मानवजनित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन जीवाश्म ईंधन के जलने, तथा वनों की कटाई, मृदा अपरदन और कृषि के कारण होता है। यदि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन अनियंत्रित रूप से जारी रहा तो इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान ५ डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग हो सकती है। इसके अलावा अन्य जलवायु प्रभाव भी होंगे, जैसे ध्रुवीय बर्फ की चोटियों का पिघलना, हिमालय की बर्फ की चोटियों का पिघलना, अल नीनो की घटना में वृद्धि आदि। आने वाले कई वर्षों में समुद्र का स्तर भी बढ़ेगा, जिससे कई तटीय स्थान, द्वीप आदि जलमग्न हो जाएंगे।
इससे दलदल और दलदली भूमि जैसे पारिस्थितिकी तंत्रों को भी नुकसान पहुंचेगा। वैश्विक लक्ष्य पेरिस समझौते में परिकल्पित लक्ष्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में २ डिग्री सेल्सियस से नीचे, संभवतः १.५ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक देशों को अपने जलवायु प्रदूषण में कटौती करने की प्रतिबद्धता जतानी होगी। यह वैश्विक स्थिति है और सभी को अपनी भूमिका इस बारे में निभानी चाहिए यदि हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे भी साफ़ हवा में सांस ले सकें।
हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते और हमें भी कुछ करना होगा। अभी आपने ऊपर पढ़ा होगा कि अधिकांश मानवजनित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन जीवाश्म ईंधन के जलने से होता है इसके आलावा और भी कारण हो सकते हैं पर यह मुख्य कारण है जिस पर काम किया जा सकता है और जिसमें हम सब भी सहयोग कर सकते हैं। उर्जा की जरूरतों के लिए यदि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करनी है तो वैकल्पिक साधनों पर ध्यान देना होगा। यूँ तो आपने वैकल्पिक उर्जा के साधनों के बारे में जरुर सुना और पढ़ा होगा पर आज कुछ नयी बात करने जा रहा हूँ और यह है कि आप अपने घर को ही पॉवर हाउस बना दीजिये, लेकिन कैसे? तो आज इसी पर चर्चा करते हैं। सोचिये यदि आपका घर अपने आप उर्जा बनानी शुरू कर दे, जैसा सोलर पैनल को लगा कर किया जाता है लेकिन सोलर पैनल लगाने से आपके घर की खूबसूरती पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि सोलर पेनल्स को किसी स्टैंड पर लगा कर लगाना पड़ता है जिससे एक तो खूबसूरती का ह्रास होता है और दूसरे खुली धूप का स्थान भी कम होता है। इसके साथ ही सोलर पेनल्स को सभी जगह पर नहीं लगाया जा सकता है।
नई सौर पैनल तकनीकें वैश्विक सौर ऊर्जा परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार हैं। इनमें से कुछ आशाजनक तकनीकें पहले से ही विकास के उन्नत चरणों में हैं, और जल्द ही बाजार में आ सकती हैं। फोटोवोल्टिक ग्लास संभवतः सबसे अत्याधुनिक नई सौर पैनल प्रौद्योगिकी है, जो सौर ऊर्जा के दायरे को बढ़ाने में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने में समर्थ है। ये पारदर्शी सौर पैनल हैं जो सचमुच खिड़कियों से बिजली पैदा कर सकते हैं- दफ्तरों, घरों, कार की सनरूफ या यहां तक कि स्मार्टफोन में भी।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (श्एळ) के शोधकर्ताओं ने मूल रूप से २०१४ में पहला पूरी तरह से पारदर्शी सोलर कंसंट्रेटर बनाया था। यह पारदर्शी सोलर पैनल वस्तुतः किसी भी ग्लास शीट या खिड़की को झ्न्न् सेल में बदल सकता है। २०२० तक, अमेरिका और यूरोप के शोधकर्ताओं ने सोलर ग्लास के लिए पूरी पारदर्शिता हासिल कर ली है। इस तकनीकी चमत्कार को प्राप्त करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक पारदर्शी फोटोवोल्टिक ग्लास सेल बनाकर असंभव को संभव बनाने की कोशिश करने के बजाय पारदर्शी ल्यूमिनसेंट सोलर कंसंट्रेटर (ऊथ्एण्) विकसित किया है। जिस तरह से वर्तमान में सोलर रूफ पैनल विभिन्न तकनीकों (टेस्ला के सोलर शिंगल और अन्य तकनीक) का उपयोग करके बनाए जा रहे हैं, उसी तरह सोलर विंडो भी विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके विकसित की जा रही हैं। इनमें पीवी परत शीशों के बीच समाहित होगी, जो मौसम, पानी से की गयी धुलाई और अन्य बाहरी खतरों से अच्छी तरह सुरक्षित होगी। पारदर्शी सोलर पैनल के दो प्रमुख प्रकार हैं आंशिक और पूर्ण पारदर्शी पैनल। पारदर्शी सौर पैनल सौंदर्य अपील को बनाए रखते हुए इमारतों से लेकर वाहनों तक व्यावहारिक ऊर्जा समाधान प्रदान कर सकते हैं। आजकल मकानों और ऊँची बहुमंजिला ईमारतों में बाहरी दीवारों को सुन्दरता प्रदान करने के लिए ग्लास से ढका जाता है। अब यह सारा ग्लास यदि बिजली का उत्पादन करने लगे तो बस बन गया आपका मकान और इमारत पॉवर हाउस। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सोलर पैनल से ज्यादा बड़ा एरिया बल्कि समूचा मकान कवर कर सकता है तो फिर जितना बड़ा एरिया उतना ही ज्यादा बिजली का उत्पादन। अभी इन पूर्ण पारदर्शी सौर पैनल की उर्जा एफिशिएंसी १०-१२ज्ञ् ही है जबकि सामान्य मोनोक्रेस्टेलाइन सोलर पैनल की एफिशिएंसी २५-३०ज्ञ् तक हो सकती है। हालाँकि अर्धपारदर्शी सौर पैनल की एफिशिएंसी, पारदर्शी सौर पैनल से अधिक है जो १८-२०ज्ञ् तक जा सकती है। इसका मतलब यह है कि सही प्लानिंग और कॉम्बिनेशन से ग्लास सोलर पैनल्स को लगाकर बेहतर उर्जा एफिशिएंसी प्राप्त की जा सकती है।
अब इससे आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं फिल्म के जैसे पतले सोलर पैनल्स की जिन्हें किसी भी चीज़ पर लपेटा जा सकता है इनकी दक्षता १७-१९ज्ञ् तक हो सकती है और इनका जीवनकाल १०-२० वर्ष तक हो सकता है।
पतली फिल्म वाले सौर पैनल लचीली शीट होती हैं जिन्हें वस्तुओं के चारों ओर लपेटा जा सकता है, जिससे वे सीमित मात्रा में बिना अवरोध की छत वाली संपत्तियों, या मनोरंजन वाहनों और हाउसबोट जैसे मोबाइल घरों के लिए उपयुक्त बन जाती हैं। घरों में भी इनका प्रयोग किया जा सकता है। वे औसत मोनोक्रिस्टलाइन पैनल की तुलना में हजारों गुना पतले होते हैं, जो उन्हें उनका लचीला स्वभाव प्रदान करता है। निर्माता इन्हें सौर सामग्री की कई परतों को एक साथ रखकर बनाते हैं, जैसे अनाकार सिलिकॉन, कैडमियम टेल्यूराइड और कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड।
पतली सोलर फिल्म पैनलों का निर्माण नासा द्वारा १९६१ में शुरू किया गया था, जब इसके ओहियो अनुसंधान केंद्र में फोटोवोल्टिक फंडामेंटल्स अनुभाग ने प्रौद्योगिकी विकसित करना शुरू किया था। तब से इनका उपयोग अंतरिक्ष में किया जा रहा है, तथा इनका लचीलापन अन्य प्रकार के पैनलों की तुलना में अन्य अंतरिक्षीय उपयोगों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है। घरों में मुख्यत: इनका प्रयोग नहीं हो रहा हैं। अब तक आपने दीवारों को तो पॉवर हाउस में बदल लिया परन्तु छतों का क्या होगा? अरे चिंतित मत होइए, उसके लिए भी उपाय मौजूद हैं। जी हाँ! अब सोलर टाइल्स भी आ चुकी हैं जिन्हें छतों पर बिना किसी चिंता के लगाया जा सकता है क्योंकि ये सामान्य टाइल जितनी ही मजबूत हैं और टेराकोटा स्टाइल की टाइल के रूप में भी मिलती हैं। सोलर पैनल की तरह ही सोलर रूफ टाइलें भी सूर्य की रोशनी को बिजली में बदलती हैं, लेकिन इन्हें पारंपरिक रूफ टाइलों की तरह ही बनाया जाता है। पारंपरिक सौर पैनल काफी भारी होते हैं और उन्हें सीधे मौजूदा छत के ऊपर लगाने की ज़रूरत होती है लेकिन इससे छत का उपयोग और सौन्दर्य दोनों चले जाते हैं। इसका उत्तर ढूँढा गया रूफ सोलर टाइल के रूप में।
बाजार में सौर टाइलों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन इस समय समस्या यह है कि पारंपरिक सौर पैनलों की तुलना में इन्हें लगाने वाले योग्य और अनुभवी लोगों की संख्या बहुत कम है। अधिकांश सौर टाइलों का एक और लाभ यह है कि वे बहुत कम या बिलकुल भी चमक पैदा नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कांच का उपयोग करने के बजाय, उनमें आमतौर पर खनिज कोटिंग होती है। यह उनमें से अधिकांश को कम रोशनी में बिजली का उत्पादन जारी रखने में सक्षम बनाता है जबकि पारंपरिक सौर पैनल इससे प्रभावित हो सकते हैं।
सौर टाइलों की दक्षता १०ज्ञ् से २०ज्ञ् के बीच होती है, हालांकि कुछ मॉडल सबसे अच्छे सौर पैनलों के करीब होते जा रहे हैं, जो लगभग २३ज्ञ् तक पहुँच जाती हैं। तुलना के लिए, पारंपरिक सौर पैनल आम तौर पर १८-२५ज्ञ् दक्षता प्राप्त करते हैं। सोलर पैनल्स के साथ एक समस्या और होती है कि यदि कुछ सोलर पैनल्स पर अँधेरा हो रहा है तो बाकी पैनल्स की एफिशिएंसी भी घट जाती है परन्तु सोलर टाइल्स के साथ ऐसी कोई समस्या नहीं है क्योंकि वे दूसरों से स्वतंत्र छोटे सोलर पैनल की तरह काम करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे इंटीग्रल बाईपास डायोड के साथ आते हैं जो व्यक्तिगत ऑप्टिमाइज़र के रूप में कार्य करते हैं, जिसका अर्थ है कि जब कुछ टाइल्स छायांकित होती हैं, तो भी बाकी इष्टतम रूप से काम करना जारी रखेंगी।
इन सभी प्रकार के पैनल्स की कीमत अभी सामान्य सोलर पैनल्स से काफी ज्यादा है और यदि आपका मकान या इमारत पहले से बनी हुई है तो आपको पहले की लगी टाइल्स और ग्लास को निकाल कर सोलर टाइल्स और पारदर्शी सोलर पैनेल्स लगाने पड़ेंगे जो खर्च को और भी बढ़ा देता है। यद्यपि मकान बनाते समय ही इस बात का ध्यान रखा जाय और सही निर्णय लिया जाय तो आपका काफी पैसा बच सकता है। लेकिन आपको भी यह ध्यान में रखना पड़ेगा कि यह खर्चा एक बार का है जो आपको अगले २५ से ३० साल तक फायदा पहुँचाने वाला है और आप प्रकृति की रक्षा में भी अपना योगदान जाने अनजाने दे रहे हैं और पैसे भी बचा रहे हैं जो खर्चा होना ही होना है किसी न किसी अन्य प्रकार के उर्जा उपयोग के लिए।
उम्मीद है कि यह लेख पढकर आपको भी अपना घर पॉवर हाउस बनाने की आकांक्षा अवश्य जगी होगी और जल्द ही आप भी अपने घर को पॉवर हाउस बना देंगे।
डा रवीन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नॉएडा
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