मालती जल्दी करो मुझे देर हो रही है तुम जानती हो कि मैं सुबह 9 बजे दुकान खोल लेता हूं फिर भी "
राजीव डाइनिंग टेबल से अपनी पत्नी मालती को पुकारता है " आ रही हूं जी यह लीजिए आपका नाश्ता और टिफिन " मेज पर टिफिन रखते ही मालती साड़ी के पल्लू से अपने हाथ पोछने लगी
मालती के काले लंबे घुंघराले बाल, बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें, माथे पर बड़ी सी गोल लाल बिंदी, दिन भर के काम के कारण वह जुड़ा बनाकर रखती है जिससे उसके चेहरे पर छल्ले की तरह बाल बिखरे हुए बहुत सुंदर प्रतीत हो रहे हैं नाश्ता करके राजीव टिफिन लेते हुए मालती के कंधे पर हाथ रखकर कहता है - " तुम मेरे लिए ईश्वर का वरदान हो मालती, तुमने मेरा जीवन स्वर्ग बना दिया सब कुछ कितने अच्छे से संभाल लेती हो तुम "
" अच्छा अब जाइए जल्दी और बाकी की तारीफ आकर कर लीजिएगा " मालती मुस्कुराते हुए राजीव को भेज देती है मालती और राजीव का एक बेटा है राहुल , जो पुणे के एक कॉलेज में पड़ता है तभी अचानक थोड़ी देर बाद दरवाजे की घंटी बजती है मालती जैसे ही दरवाजा खोली हैरान हो गई " अरे राहुल तू अचानक पुणे से आ गया और हमें बताया तक भी नहीं, सब ठीक तो है न "
" सरप्राइज मां , आप लोगों से मिलने का मन था इसलिए चला आया | पापा कहां है 6 महीने बाद आप लोगों की 25वीं शादी की सालगिरह है तो उन्होंने कोई प्लानिंग की कि नहीं "
" यह सब तेरे पापा को तुझसे ज्यादा याद रहता है वह कोई भी चीज कभी नहीं भूलते अभी तेरे आने के बारे में उन्हें नहीं बताऊंगी वह भी तुझे देख कर चौंक जाएंगे"
उधर राजीव जैसे ही दुकान खोलता है वैसे ही कोई उसके पीछे खड़ा हो जाता है वह घूम कर देखता है तो देखता ही रह जाता है वह महिला जोर से आवाज देती है - " सर कहां खो गए आप मुझे कोई बढ़िया सा गिफ्ट देना है क्या आप दिखा सकते हैं "
" जी...जी जरूर ...!! " राजीव संभलते हुए बोला और उस महिला को सामान दिखाने लगा वह महिला भी राजीव से बातें करने लगी कुछ देर बाद और लोग भी दुकान आने लगे तभी उस महिला ने अपना सामान लिया और चली गई उसका जाना पता नहीं क्यों राजीव को अच्छा नहीं लगा पूरा दिन वो बस उसी के बारे में सोचता रहा उसके छोटे कटे बाल , बनारसी लाल सूट और सांवला रंग छोटी और हंसमुख आंखें और मधुबाला जैसी हंसी उसकी उम्र राजीव जितनी ही लग रही थी ना चाहकर भी एक पल के लिए राजीव के मन से वो महिला जा ही नहीं रही शाम को जब राजीव घर आया तो अपने बेटे राहुल को देखकर हैरान भी नहीं हुआ और बुझा बुझा सा कमरे में चला गया तभी राहुल ने मां से कहा - " यह पापा को क्या हुआ मां, कुछ बोले भी नहीं सीधे कमरे में चले गए "
" हां देखा मैंने...हो सकता है दुकान की कोई परेशानी होगी मालती राजीव के पास जाती है पर राजीव कुछ नहीं बोला अगले दिन फिर वह महिला दुकान में आई जिसे देखकर राजीव बहुत खुश हुआ और इसी तरह ये क्रम चलता रहा उस महिला का नाम सीमा है उसे भी राजीव पहली नजर में ही पसंद आ गया था क्योंकि राजीव भी कुछ कम न था सुंदर और प्रभावशाली व्यक्तित्व का धनी है समय बीतता गया न जाने कैसे राजीव उसके करीब आने लगा और मालती से दूर होता गया
6 महीने बीत गए राजीव के बेटे राहुल की नई कंपनी में नौकरी लग गयी और अपने पापा की साल गिरह के एक दिन पहले घर आ गया और आते ही मां से कहा - " चलो मां..कल के लिए अपने लिए बढ़िया सी साड़ी ले लो "
" नहीं तेरे पापा बुरा मान जाएंगे शुरू से ही मैं उन्हीं की पसंद की साड़ी पहनती आई हूं कल भी वो ही लाएंगे और तू कल कोई तैयारी मत करना तेरे पापा ने सब कर लिया होगा "
" ठीक है मां जैसा आपका मन "
एक दिन पहले ही सीमा ने राजीव से कहा - " मै आपके बिना नहीं रह सकती और हमारे प्यार को 6 माह हो गये है इसलिए मै आपसे शादी करना चाहती हूं अब आपको अपने बीते हुए कल को हमेशा के लिए छोड़ना होगा वादा करो मुझसे कि आप कल हमारे रिश्ते के बारे में घर पर सबको बतायेंगे? "
राजीव - " मैं तुमसे वादा करता हूं कि कल मै तुम्हें अपने साथ लेकर जाऊंगा और अपने रिश्ते के बारे में सबको बता दूंगा क्योंकि अब मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकता सीमा "
अगले दिन मालती बहुत खुश है रात में राजीव नहीं आया मालती ने सोचा कि वह तैयारी कर रहा होगा तभी अचानक सुबह राजीव सीमा को लेकर घर आया राहुल भी तभी नहा कर आंगन में आया
राहुल - " पापा ये कौन है और आपने इनका हाथ क्यों पकड़ा है "
मालती भी ये देखकर हैरान हो रही है - " यह कौन है बताइए? "
राजीव नजर नीचे किये हुए कहता है - " मालती और राहुल हो सके तो मुझे माफ कर देना यह सीमा है जिसे मैं प्यार करता हूं और शादी करने जा रहा हूं "
" क्या!!! आप होश में तो हैं आप क्या बोल रहे हैं आज हमारी शादी की पच्चीसवी सालगिरह है और आप ये तोहफा लेकर आए हैं मेरे लिए, इतना कहते ही मालती जमीन में खड़े-खड़े गिर जाती है उसके सारे बाल खुल जाते हैं तभी राहुल मां को दीवार के सहारे उठाकर बैठाता है और फिर गुस्से में अपने पिता की कालर पकड़कर कहता है - " आपको शर्म नहीं आयी ये सब करते हुए मेरी मां ने अपना पूरा जीवन आप पर न्यौछावर कर दिया और आपने अपने बुढ़ापे में यह सिला दिया उनको ...आज के दिन के लिए उन्होंने कितने सपने सजाये थे मुझे तो विश्वास ही नहीं होता कि आप मेरे पिता है "
राजीव - " मैं तुम्हारा दोषी हूं पर क्या करूं अब मैं इस आकर्षण में पूरी तरह डूब गया हूं जिससे निकलना मेरे लिए मुश्किल है "
तभी मालती खुद को संभालते हुए उठकर राहुल के हाथों से राजीव के कॉलर से हाथ हटाकर राजीव और सीमा की आंखों में आंखें डालकर कहती हैं - " यह कैसा आकर्षण है राजीव..जिसमें हंसता खेलता परिवार बर्बाद हो गया ये औरत परिवार को क्या समझेगी जिसे आज तक कोई नहीं मिला पर तुम सिर्फ मेरे हो फिर अचानक कैसे फिसल गए रोज न जाने कितने लोग आकर्षण का शिकार होते हैं पर अपने परिवार से ज्यादा किसी को महत्व नहीं देते उन्हें अपनी संतान और मर्यादा का एहसास होता है गलती तुम्हारी नहीं मेरी है कि मैं कभी खुद के लिए जी ही नहीं चले जाओ मेरी नजरों के सामने से..... तुम मेरे लायक कभी नहीं थे आज से सिर्फ मैं अपने और अपने बेटे के लिए जियुंगी, दोबारा इस घर में अपने गंदे कदम मत रखना "
राजीव सीमा का हाथ पड़कर घर से चला जाता है....
तभी सुबह हो जाती हैं राजीव गहरी नींद में बेचैन सा सो रहा है मालती काले घुंघराले बाल लहराते हुए हाथों में खूबसूरत सी सोंधी- सोंधी सी महक देती हुई मेहंदी , चौड़ी भरी मांग अपनी कजरारी प्रेम से भरी आंखों से राजीव के कंधे में हाथ रखकर जगाती है - " राजीव उठो कितना सो रहे हो तुम और इस नवंबर की ठंड में तुम्हें कितना पसीना आ रहा है तुम ठीक तो होना "
राजीव बड़ी तेजी से चौककर उठता है और हैरानी से मालती को देखने लगा फिर अचानक से मालती का हाथ पकड़ लेता है मालती प्यार से सहलाकर पूछती है - " क्या बात है कोई सपना देखा है? "
" हां मालती बहुत भयानक सपना था उस सपने में मैं पूरी तरह भटक गया था मगर अब मैं सही दिशा पर हूं "
" अच्छा अब उठो आज हमारे लिए बहुत खास दिन है "
" हां याद है मुझे आज का खूबसूरत दिन और मैं कभी भी भूलना नहीं चाहूंगा मैं बस अभी एक जरूरी काम निपटा कर आता हूं "
राजीव को बिना मुंह धोये जाते हुए देखकर मालती हल्के से मुस्कुरा कर कहती है - " मैं जानती हूं कुछ दिनों से तुम्हारी तैयारी चल रही है इसीलिए मुझसे ठीक से बात भी नहीं कर रहे हो "
राजीव मालती की बात का कोई जवाब नहीं देता और जल्दी से वह सीमा के पास पहुंच जाता है सीमा भी उधर बहुत खुश है कि आज उसका प्रेम सदा के लिए उसका हो जाएगा वो जैसे ही दरवाजा खोलती राजीव सामने खड़ा था
" अरे आप तो बड़ी जल्दी आ गए इतनी बेताबी है मुझे पाने की "
तभी राजीव सीमा से हाथ जोड़कर कहता है - " सीमा मुझे माफ कर देना मैं मालती को नहीं छोड़ सकता उसने अपना पूरा जीवन मुझे समर्पित किया है मैं इतनी जल्दी उसके किए को नहीं भूल सकता तुम्हारे प्रति मेरा सिर्फ आकर्षण था प्रेम तो मैं आज भी सिर्फ मालती से ही करता हूं मैं सिर्फ आकर्षण के लिए अपने रिश्तों की मर्यादाओं को दाव पर नहीं लगा सकता | बाय...... "
और इतना कहकर राजीव वहां से चला जाता है और सीमा बस ठगी सी खड़ी होकर उसे देखती रहती हैं |..........
समाप्त
गरिमा बाजपेई