Operation Sindoor: Three nights and four days of terror : आपरेशन सिंदूर : दहशत की तीन रातें चार दिन
A chilling account of a traveler’s journey to Kashmir during a brutal terrorist attack in Pahalgam, the public's fear, and India’s powerful military response through Sindoor Operation. A reflection on grief, resilience, and justice.हमसे हमारा धर्म पूछा और हिन्दू जानकार मेरे सामने ही मेरे पति के सर पे गोली मार दी। वह बेचारी बदहवास होकर सहायता के लिए गुहार लगा रही थी। बड़ा भयानक वीभत्स दृष्य था, धीरे धीरे लाशों व घायल लोगों की तस्वीरें आने लगी जो अन्य प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा दूर से अपने मोबाइल में कैद की गई थी। मृतकों की अनुमानित संख्या ३-५-७ से बढ़कर आने लगीं। महिलाओं के आँखों के सामने उनके पति/बेटों की हत्या की गई।

Operation Sindoor: Three nights and four days of terror : १९ अप्रैल २५ को लखनऊ से श्रीनगर कश्मीर मात्र १:४५ घंटे में हवाई यात्रा से पहुंच गए। खुश था कि अबकि गर्मी के मौसम में आया हूँ, लखनऊ की भयानक चिपचिपी गर्मी से निजात मिलेगी और यहाँ के खूबसूरत वादियों का दीदार होगा/घूमना होगा हालांकि जिस दिन वहाँ पहुंचे तो बारिश, ओलावृष्टि और ठंडक ने हमारा इस्तकबाल किया।
अगले दिन रविवार की छुट्टी थी सबकी, अतः बाहर मार्वेâटिंग व लंच किया गया, फिर बेटे ने कहा कि अगले रविवार को आपको शंकराचार्य मंदिर दिखाने ले चलेंगे। मंदिर ऊंचाई पर है और पैदल चलना पड़ेगा, माँ तो वहाँ नही जा पायेंगी क्योंकि उनको चलने व अस्थमा के कारण कष्ट होगा।
अभी मैं अपने को वहाँ के वातावरण व मौसम के अनुसार ढाल रहा था और समय बिताने के लिए २२ अप्रैल २५ को लंच के उपरांत ऊन्न् खोला तो पता चला कि श्रीनगर से ९० किमी दूर रमणीय खूबसूरत पर्यटन स्थल पहलगाम में यात्रियों के उपर आतंकवादियों द्वारा घातक हमला किया गया है। कुछ देर बाद एक अस्पष्ट समाचार के सूत्र के माध्यम से सूचना मिली कि एक यात्री की मृत्यु हो गई है और कुछ लोग घायल हुए हैं। कुछ समय के उपरांत घटनास्थल से एक स्त्री की तस्वीर बार-बार आने लगी जिसके पति को आंतकवादियों ने हत्या कर दी थी। महिला यात्री कह रही थी कि हम लोग नाश्ता पास के रेस्टोरेंट में कर रहे थे कि कुछ लोग सेना के वर्दी में वहाँ आये और हमसे हमारा धर्म पूछा और हिन्दू जानकार मेरे सामने ही मेरे पति के सर पे गोली मार दी। वह बेचारी बदहवास होकर सहायता के लिए गुहार लगा रही थी। बड़ा भयानक वीभत्स दृष्य था,धीरे धीरे लाशों व घायल लोगों की तस्वीरें आने लगी जो अन्य प्रत्तक्षदर्शीयों द्वारा दूर से अपने मोबाइल में कैद की गई थी। मृतकों की अनुमानित संख्या ३-५-७ से बढ़कर आने लगीं। महिलाओं के आँखों के सामने उनके पति/बेटों की हत्या की गई। आतंकवादियों ने पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा और जिन्होंने हिंदू बताया, उन्हें तत्काल सर मे गोली मारकर मौत की नींद में सुला दिया। कुछ लोगों ने आनाकानी की, उनसे कलमा पढ़ने को कहा गया और अपना लिंग दिखाने को मजबूर किया गया। हिंदुओं के पुरुषों पर ही सिर्फ गोली चलाई गई, हालांकि उसमें एक इस्लाम धर्मवालंबी मुश्लिम घोड़े वाला था जो बेचारा अपने मेहमान यात्रियों की जान बचाने में मारा गया। औरतों ने इस वीभत्स दृश्य को देखते हुए आंतकवादियों से गुहार लगाई कि मुझे भी गोलियों से भून कर मार दो, इस पर कायर आतंकवादी खिल-खिलाकर बोले कि तुम्हें इसलिए छोड़ रहे हैं कि तुम अपने प्रधानमंत्री मोदी को घटना कि पूरी जानकारी दे सको। शाम होते होते अधिकारिक रुप से पुष्टि हो गई कि मृतकों की संख्या बढ़कर २६ हो गई और इतने ही लगभग घायल हैं जिनका इलाज निकटवर्ती अस्पतालों और गंभीर यात्रियों को एअरलिफ्ट कराकर अनंतनाग के हास्पिटल में भर्ती कराया गया था।
पहलगाम के उस हिस्से में पहुंचने के लिए पैदल व खच्चर की सवारी ही विकल्प है जहाँ यात्री मौज मस्ती के लिए आये थे। सुरक्षा कर्मियों की ड्यूटी वहाँ नही थी। घटनास्थल के पीछे घना जंगल और पहाडियां हैं, जिसमें वारदात के पश्चात आतंकवादी छिपते हुये लोकल लोगों के सहायता लेकर पाकिस्तान भागने में सफ़ल हो गये। ऐसा अमानवीय कृत्य दुनिया ने संभवतः पहले देखा था जहाँ धर्म पूछकर उनके निकटतम प्रियजनों के आँखों के सामने आंतकवादियों ने गोलियों से भूनकर हत्या की थी।
पूरे भारत के लोगों द्वारा अपने धर्म, जाति, भाषा तथा राजनीति से उपर उठकर इस घटना की तीव्र भर्तसना कि जाने लगी। विश्व के तमाम देशों ने दुख की इस घड़ी में भारत को सांत्वना व समवेदना दर्शाते हुए भारत के लोगों के साथ अपनी एकजुटता दिखाई और भारत के द्वारा प्रत्युत्तर में किये जाने वाले किसी भी कार्रवाई को समर्थन देने का वादा किया। इसमे अमेरिका, रुस, ब्रिटेन, जापान, सयुंक्त अरब अमीरात, ईरान जैसे देशों के साथ सैकड़ों देशों ने भारत के सहिष्णुता व धैर्य कि प्रशंसा की।
देश में इस जघन्य अपराध के प्रति पाकिस्तान से बदला लेने के लिए भारत सरकार पर नागरिकों द्वारा दबाव बढ़ने लगा। जनता को लग रहा था कि अबकी मोदी सरकार पुलवामा व उरी में की गई कार्यवाही से ज्यादा कठोर कदम उठायेगी।
दिन तेजी से बीत रहे थे, उसी के साथ जनता का आक्रोश भी बढ़ रहा था धैर्य जबाब दे रहा था। वातावरण में एक अजीब भय सा व्याप्त था। सरकार और सेना के अधिकारियों के बीच पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए उचित कार्यवाही हेतु निरंतर दिन-रात मीटिंग होने लगीं। अंदेशा होने लगा कि अबकी कुछ बड़ा होगा। हमारी रिहायशी कालोनी में एतिहातन यह एडवाइजरी जारी कि गई स्त्रियां, बच्चे, बुजुर्ग श्रीनगर से बाहर किसी सुरक्षित स्थान पर चले जायें क्योंकि श्रीनगर सामयिक दृष्टि से पाकिस्तान के लिए युद्ध की स्थिति में सबसे नजदीक और मुख्य स्थान था हमले के लिए।
मैंने आपस मे विचार विमर्श कर बहु व बच्चों के साथ ७ मई २५ का प्रातः श्रीनगर-दिल्ली हवाई जहाज व फिर नई दिल्ली से ट्रेन द्वारा लखनऊ का आरक्षण करवाया क्योंकि श्रीनगर से लखनऊ की फ्लाइट बहुत मंहगी हो गई थी।
सुबह ६:३० की फ्लाइट थी, अतः ४:३० तक एअरपोर्ट पहुंचना था कि रात म बहू ने बताया कि पापा मोबाइल पर मैसेज आया है कि फ्लाइट अब ६:३० के स्थान पर सुबह ११ बजे जायेगी। मन आशंकित हो उठा और बिस्तर पर करवटें बदलते रहे। थोड़ी देर बाद ऊन्न् खोला तो पता चला कि साइरन बज रहा है और भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी ट्रेनिंग कैम्पों पर ड्रोन व मिसाइल से आक्रमण कर दिया है।
रात भर ऊन्न् से चिपके रहे। कुछ-कुछ देर में नये नये चित्र व सूचनाएं प्राप्त हो रही थीं। पता चला कि रात के १:०३ से १:२५ यानि २२ मिनट में भारती एअरफोर्स ने पाकिस्तान के ९ आकवादी ठिकानो को अपना निशाना बना कर तहश नहश कर दिया जिसमें सैकड़ों आतंकवादी भी मारे गए जिन्हें पाकिस्तान फौज का संरक्षण प्राप्त था क्योंकि उन आंतिकवादयों के जनाजे को पाकिस्तानी झंडे मे लपेटे गया था और कांधा देने के लिए पाकिस्तान के फौजी मौजूद थे।
सुबह की हमारी फ्लाइट कैंसिल हो गई क्योंकि श्रीनगर हवाई अड्डा नागरिक उड़ान के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। दिन दहशत में गुजरने लगा। रात में सायरन बज उठता, कम्पलीट ब्लैक आउट। दिन में भी लान में भी निकलने की इजाज़त नही थी। नीचे के घरों में आपातकाल में इकट्ठा होने के लिए कहा गया था। अगल-बगल कोई सुरक्षित स्थान हो वहाँ जाकर रहे अथवा कहीं बंकर खुदा हो तो उसमें शरण लें।
९ तारीख को भारत के आर्मी व एअरफोर्स ने पाकिस्तान के ११ एअरबेस पर हमला कर उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया। रात जगते हुए कटी कि कब साइरन बज उठेगा और सबको सुरक्षित स्थान में छिपना पड़ेगा। लग रहा था कि जंग ज्यादा खिंच जायेगी। पुत्र ने टैक्सी द्वारा सड़क मार्ग से मेरा चंडीगढ़ तक जाने की व्यवस्था की और अगले दिन चंडीगढ़ से चंडीगढ़ एक्सप्रेस से लखनऊ। बहू ने बच्चों के साथ इस आपातकाल मे वहीं ठहरना उचित समझा क्योंकि उसकी कोई परीक्षा भी इसी माह श्री नगर में थी जिसमें विध्न पड़ता।
१० तारीख की सुबह ५:३० टैक्सी ड्राइवर के साथ आ गई और मैं सामान के साथ जाने को तैयार था कि साइरन बज उठा और ५:४० पर श्री नगर पर पाकिस्तान द्वारा हमला कराया गया जिसे हमारे जांबाज सुरक्षाकर्मियों एवं एअरफोर्स के अधिकारियों द्वारा विफल कर दिया गया। लग रहा था कि आज फिर यात्रा स्थगित करनी पड़ेगी क्योंकि बाईरोड कठुआ से होकर गुजरना था जहाँ दिन में भी गोलाबारी हो रही थी।७:३० फिर एक बार साइरन बजा कि स्थिति सामान्य हो गई है। टैक्सी चालक के साथ तैयार खड़ी थी। मैं ८ बजे टैक्सी मे बैठकर सड़क और टनल मार्ग से होता हुआ लम्बी दूरी की यात्रा करते हुए रात ८ बजे चंडीगढ पहुंचा, बीच मे कई जगह चेकपोस्ट पर रोका गया और कहीं रास्ता डाइवर्ट किया गया। पूरी यात्रा रोमांचक न होकर भयावह बनी रही। पठानकोट के आगे भी लगा कि क्षेत्र में कर्फ्यू लगा हुआ है क्योंकि पूरा मार्वेâट बंद, सड़कों पर नाममात्र के वाहन। रास्ते में कहीं रुके नहीं सिर्फ शाम को जालंधर पहुंच कर चाय पी फिर रात में लगभग ८ बजे चंडीगढ़ पहुंचने पर सुखद समाचार मिला, सीजफायर हो गया है। रात में चैन की नींद सोया और अगले दिन शाम को चंडीगढ़ एक्सप्रेस पकड़कर १२मई को सुबह ९ बजे लखनऊ पहुंच गया, जो यात्रा जाते समय २ घंटे की थी वह वापसी में ५० घंटे की रही।
श्रीनगर के वादियों में घूमने का सफ़र अधूरा ही रह गया पर इस बात का संतोष जरूर है कि हमारी सरकार ने सिंदूर आपरेशन द्वारा आंतिकवादियों के ट्रेनिंग कैम्पों को नुकसान पहुंचा कर और आतंकवादियों का सफ़ाया कर अपनी श्रद्धांजलि उन शहीदों को दे दी हालांकि उन बहन बेटियों का उम्र भर का यह दुख तो कम नहीं होगा पर संतोष जरूर मिलेगा कि सरकार व देशवासी उनके साथ उनके दु:ख में शामिल हैं और भविष्य में आतंकवाद से निपटने के लिए और कठोर कदम उठाए जायेंगे। इसी क्रम में भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौते पर रोक लगा कर उनका पानी रोक दिया है।
विश्व के देशों को पाकिस्तान के नापाक इरादों से अवगत कराने के लिए ७ सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल, विभिन्न सांसदों के साथ विश्व को वस्तु स्थिति से अवगत कराने हेतु भारत सरकार द्वारा संसार के तमाम देशों को भेजा गया। सिंदूर आपरेशन जारी है अस्थायी तौर पर सीजफायर है, पर दुश्मन के द्वारा यदि अब कोई आंतिकवादी गतिविधि की गई तो भारत सरकार अपने सैनिकों एवं भारतीय स्वनिर्मित शस्त्रों द्वारा मुहतोड़ जबाब देने के लिए प्रतिबद्ध एवं कृतिसंकल्प है.
सुभाष चन्द्रा
लखनऊ
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