एक नया सूरज
This is the inspiring story of Bharat, a poor village boy who overcame poverty and adversity through the power of education. His dream of building a school for village children turned into reality, lighting up many lives with knowledge and hope.

यह कहानी है एक छोटे से गाँव के लड़के की। जिसका नाम भरत था। भरत का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था, जहाँ हर चीज और सुख-सुविधाओं की कमी थी। उसके माता-पिता किसान थे। और खेती-बाड़ी चलाकर अपना जीवन-यापन करते थे। और भरत का जीवन भी साधारण था। लेकिन भरत का सपना बहुत बड़ा था। वह शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानता था, उसका सपना था कि वह गाँव के बच्चों के लिए एक स्कूल खोले।
भरत का परिवार बहुत गरीब था और न तो उसके पास अच्छे कपड़े थे, नहीं पर्याप्त भोजन, लेकिन उसकी माँ ने हमेशा यह सिखाया था। ‘हमारे पास अगर धन नहीं है, तो भी हमारे पास हमारी मेहनत और शिक्षा है’। भरत ने गाँव के छोटे स्कूल में पढ़ाई शुरू की। वहाँ सुविधाएँ बहुत कम थीं, लेकिन भरत ने अपनी पूरी मेहनत से पढ़ाई की। उसका मन हमेशा कुछ बड़ा करने का था। वह जानता था, कि शिक्षा से ही वह अपने गाँव के बच्चों को एक अच्छा भविष्य दे सकता है। लेकिन फ़िर भी, उसके सामने कई समस्याएँ थीं। स्कूल के शिक्षक नियमित नहीं आते थे, और किताबें भी बहुत कम थीं।
गाँव के लोग भी अक्सर कहते थे- ‘तुमसे क्या होगा? तुम्हारे जैसे गरीब लड़के का तो यही काम है कि खेतों में काम करो’। लेकिन भरत ने कभी हार नहीं मानीं। उसने खुद को विश्वास दिलाया कि वह कुछ ख़ास कर सकता है। भरत ने खुद को पूरी तरह से शिक्षा में झोंक दिया। उसने अपने गाँव से बाहर जाकर एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वह दिन-रात मेहनत करता, ताकि वह अपने गाँव लौटकर वहाँ के बच्चों को शिक्षा दे सके। लेकिन उसको विश्वविद्यालय में भी उसे कई कठिनाइयाँ आईं। एक गरीब लड़के के लिए पढ़ाई का खर्च उठाना बहुत मुश्किल था। भरत ने यहाँ भी संघर्ष करना शुरू किया। पार्ट-टाइम काम करता और फ़िर भी अपनी पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ता। उसकी मेहनत और लगन रंग लाई और उसने विश्वविद्यालय में उच्च अंक प्राप्त किए।
बड़ी बहू
धीरे-धीरे समय बीतता गया और भरत अब एक शिक्षक बन चुका था, और उसने सोचा कि वह अब अपने गाँव लौटेगा और वहाँ के बच्चों को शिक्षा देने के लिए एक नया स्कूल खोलेगा। उसने अपनी सारी बचत से गाँव में एक नई स्कूल की इमारत बनाई। गाँव के लोग जो कभी भरत का मजाक उड़ाते थे, अब भरत की सफ़लता को देखकर हैरान थे। भरत का सपना सच हो चुका था। अब गाँव के बच्चों को एक अच्छा भविष्य मिल सकता था, और उन्हें कोई भी कठिनाई उनके रास्ते में नहीं रोक सकती थी। भरत नें बच्चों को सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि उन्हें जीवन की सही दिशा भी सिखाई। भरत उन्हें बताता ‘शिक्षा से ही हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। यह वही सूरज है, जो हमारी रातों को रोशन करता है।’ भरत का स्कूल गाँव में सबसे प्रसिद्ध हो गया था। वह अब सबके लिए प्रेरणास्श्रोत बन चुका था,और उसने साबित कर दिया था कि अगर किसी के मन में कुछ करने का जूनून हो, तो गरीबी, कठिनाई, और विरोध भी उसे अपने लक्ष्य तक पहुँचने से नहीं रोक सकते।
भरत अब अपने गाँव का नया सूरज बन चुका था, जिसने वहाँ के बच्चों की जिन्दगी में एक नया उजाला भर दिया था। भरत ने यह सिद्ध कर दिया था कि अगर किसी के पास सच्ची मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प हो तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है।
हरिवंश राय
हरदोई, उत्तर प्रदेश
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