साहित्यिक yatra
मनिहारी मेरी जन्म भूमि तो नहीं है, लेकिन कर्म भूमि जरूर है ! साहित्यिक पुष्प मेरी कलम से अगर खिला है, तो मैं मनिहारी की मनोहारी माटी को धन्यवाद देता हूं ! मनिहारी कटिहार की माटी ने दर्जनों साहित्यिक कृतियों को सृजन करने की शक्ति प्रदान की !
नव उदय पब्लिकेशन ग्वालियर मध्य प्रदेश द्वारा 18 जून -2023 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित साहित्यकार मिलन सह काव्य संगोष्ठी में भाग लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ ! इस साहित्यिक यात्रा में भाग लेने हेतु देश के महान साहित्यकार फानिश्वर नाथ रेणु एवं बोलाइचंद मुखोउपाध्याय उर्फ़ बनफुल की साहित्य साधना की भूमि मनिहारी कटिहार से चलकर लगभग -2000 किलोमीटर की लम्बी यात्रा तय करते हुए भाग लिया ! कटिहार एवं मनिहारी की भूमि साहित्य साधना की सचमुच रही है ! गंगा तट पर बसी मनिहारी, जहाँ नवाबगंज में बंगाली कथाकार बोलाइचंद मुखोउपाध्याय उर्फ़ बनफुल का का जन्म हुआ, जिन्होंने देश में साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई, नवाबगंज ही नहीं कटिहार जिले को भी उन्होंने सुशोभित करने का काम किया ! अनेकों साहित्यिक कृतियों की रचना करके पूरे साहित्य पटल पर अपनी ख्याति अर्जित किये ! वही फानिश्वर नाथ रेणु जिनका जन्म
भले ही बिहार के अररिया जिले के औराही हिंगना गांव में हुआ, लेकिन उनकी शादी कटिहार के हसनगंज प्रखंड के बलुआ गांव में हुआ और उनका अधिकांश समय कटिहार में व्यतीत होने के कारण, अपनी साहित्यिक कृतियों में कटिहार का भी कई जगह उल्लेख करने का काम किये ! मैला आंचल से देश दुनिया में अपनी ख्याति अर्जित किये !
मनिहारी मेरी जन्म भूमि तो नहीं है, लेकिन कर्म भूमि जरूर है ! साहित्यिक पुष्प मेरी कलम से अगर खिला है, तो मैं मनिहारी की मनोहारी माटी को धन्यवाद देता हूं ! मनिहारी कटिहार की माटी ने दर्जनों साहित्यिक कृतियों को सृजन करने की शक्ति प्रदान की ! जन्म भूमि जो बिहार राज्य के बक्सर जिले में सिमरी प्रखंड के गंगा तट पर बसी मानिकपुर गांव, जहाँ हमने स्कूली शिक्षा प्राप्त की, जिसने अनेक नाटकों को लिखने एवं मंचन करने की साहस दी ! उच्च शिक्षा मैंने पटना विश्व विद्यालय से अर्जित किया, और देश के महान राष्ट्रकवि रामाधारी सिंह दिनकर के साहित्यिक यात्राओं से अवगत हुआ ! उनकी अमर काव्य कृतियों को पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! उनकी काव्य कृतियों से हमें प्रेणना, साहस एवं लेखनी को ताकत मिली !
ये सत्य है, बिना परिश्रम कुछ हासिल नहीं हो सकता ! बिना पढ़े कुछ यहां मिल नहीं सकता ! कुछ पाने के लिये इंसान को यात्राएं करनी पड़ेगी ही ! यात्राओं को हम ज्ञान की खोज की संज्ञा दे सकते है !
“ ये जीवन पथ है,यात्राएं करनी होगी
कभी एकांत में आहें भरनी होगी,
थककर एकदिन गिर जाना है
यात्राएं अधूरी छोड़कर,यूँही चल जाना है
आएंगे चार कहार बंधु,
लें जाएंगे शमशान बंधु !
मैं लम्बी यात्रा तय करके 18 जून की साहित्यिक यात्रा में भाग लिया ! देश के कोने कोने से सैकड़ों कलमकारों से रूबरू होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! सचमुच ये साहित्यिक यात्रा साहित्यकार मिलन समारोह के रूप में जानी जाएगी ! नव उदय पब्लिकेशन ग्वालियर मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित साहित्यकार मिलन सह काव्य संगोष्ठी जरूर मेरी नजर में ऐतिहासिक थी ! नव उदय पब्लिकेशन की संचालिका ऋतु अग्रवाल जी ने देश के कोने कोने से नव उदित कलमकारों को एक मंच पर बुलाकर अनोखा कार्य की शुरुआत साहित्य के क्षेत्र में किया ! उस साहित्यिक मंच पर मेरी आठवीं पुस्तक “ हीरा मोती “ का बिमोचन भी किया गया ! उसदिन अंतराष्ट्रीय पितृ दिवस होने के कारण पिता से सम्बंधित कविता की प्रस्तुति करने का अवसर प्राप्त हुआ !
इस साहित्यिक यात्रा में सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को भी देखने का अवसर मिला , मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में विंध्य पर्वतमाला पर स्थित, “ भीम बेटका “ के आदिम युगीन शिला खंड की प्राकृतिक छटा को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! भोपाल नगरी की रमणीय प्राकृतिक छटा निहारने का भी अवसर मिला ! सचमुच भोपाल महानगरी झीलों की ऐतिहासिक नगरी है, यहां की झीले इस महानगरी की शोभा में चार चाँद लगा रही है ! भोजपुर का शिव मंदिर भी ऐतिहासिक धरोहर के रूप में यहां बिराजमान है !
मुझे ये मानना हैं कि हर पब्लिकेशन के द्वारा साहित्यकार मिलन समारोह का आयोजन करनी चाहिए ! नव उदित कलमकारों को पुराने कलमकारों के साथ मंच साझा करने का अवसर देनी चाहिए ! साहित्य के प्रचार प्रसार एवं राष्ट्रवाद की मजबूती के लिये ये अति आवश्यक पहल मानी जा सकती है ! कलमकार आजीवन कलम लेकर साहित्यिक यात्रा करते रहेंगे , एकदिन जीवन पथ पर चलते चलते अपनी साहित्यिक कृतियों को निशानी के रूप में छोड़कर इस धरा को अलविदा बोलकर चल जाएंगे !
“ आओ राष्ट्रवाद की रोशनी जलाए
अपने गुलशन को मिलकर सजाए “
विनोद कुमार
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