विज्ञान
विज्ञान सभी भारतीय अभिभावकों के लिए बेहद गर्व का विषय है और उतना ही जितना उस छात्र के लिए। मैं स्वयं भी केवल इस बात के लिए गर्व कर सकता हूं कि मैं एक विज्ञान का छात्र हूं या एक विज्ञान स्नातकोत्तर हूं। भले ही यह हो सकता है कि एक सामान्य से विज्ञान के प्रश्न के लिए मुझे कितनी ही बार अपने दिमागी घोड़े दौड़ाने पड़ें और अन्त में प्रश्न पूछने वाले से ही मैं एहसान पूर्वक कह दूं कि यह एक कठिन विज्ञान है विचार विमर्श के पश्चात बताऊंगा। उदाहरण के लिए ब्रह्माण्ड कितना बड़ा है या वहां कुल मिलाकर कितनी मन्दाकिनीयां होंगी?

विज्ञान सभी भारतीय अभिभावकों के लिए बेहद गर्व का विषय है और उतना ही जितना उस छात्र के लिए। मैं स्वयं भी केवल इस बात के लिए गर्व कर सकता हूं कि मैं एक विज्ञान का छात्र हूं या एक विज्ञान स्नातकोत्तर हूं। भले ही यह हो सकता है कि एक सामान्य से विज्ञान के प्रश्न के लिए मुझे कितनी ही बार अपने दिमागी घोड़े दौड़ाने पड़ें और अन्त में प्रश्न पूछने वाले से ही मैं एहसान पूर्वक कह दूं कि यह एक कठिन विज्ञान है विचार विमर्श के पश्चात बताऊंगा।
उदाहरण के लिए ब्रह्माण्ड कितना बड़ा है या वहां कुल मिलाकर कितनी मन्दाकिनीयां होंगी?
हम सभी जानते हैं कि सर्वोच्च भारतीय प्रतिभाएं अनिवार्यतः विज्ञान छात्र हैं।
तुलनात्मक रूप से कला आज भी लड़कियों का विषय है और कला छात्रों के लिए यह संदेहास्पद है।
यह सिर्फ बातें ही नहीं है मैंने एक विज्ञान शिक्षक के रूप में भी इस विषय की सफलता को अनुभव किया है और मैं सगर्व आज भी एक विज्ञान शिक्षक के रूप में मांग में हूं। यह मेरे लिए प्राध्यापक के पद के लिए भी उतना ही लाभप्रद और सम्मानप्रदायक रहा।
तो आखिर विज्ञान में ऐसा क्या है? इसका उत्तर हम मानव के प्रादुर्भाव से ही देख सकते हैं जब किसी प्रबुद्ध मानव पूर्वज ने आज हमें अपने वैज्ञानिक विरासत से आभूषित किया है उदाहरण के लिए हमारा खान पान, सामाजिक जीवन, स्थापत्य, कृषि या तकनीकी ज्ञान या समयानुसार तत्संबंधी उन्नयन।
भारतीय परंपरा में पूर्वजों का यही महत्व है और जिसे सम्मानपूर्वक उल्लिखित किया जाता है।
विज्ञान वस्तुत: किसी भी विषय अर्थात जिस किसी भी प्रश्न के बारे में हम जानना चाहते हैं, उसका उचित और सुसंगठित ज्ञान है। जिसे वैश्विक रूप से कहा जाता है कि विज्ञान क्या, क्यों और कैसे है। कहने का तात्पर्य है कि पानी हमेशा १०० डिग्री सेल्सियस पर ही उबलता है और न तो ९९ या १०१ पर और इस प्रकार यदि कोई वस्तु १०० डिग्री पर उबलती है या यह कहें कि यदि किसी वस्तु का कवथनांक १०० डिग्री सेल्सियस है तो आप निश्चित पूर्वक कह सकते हैं कि वह वस्तु पानी है।
यह आप निश्चित रूप से मंगल ग्रह के बारे में भी कह सकतें हैं ।यदि आप पृथ्वी से जान सकें कि मंगल ग्रह में पायी जाने वाली वस्तु १०० डिग्री सेल्सियस पर उबलती है या उसका कवथनांक १०० डिग्री सेल्सियस है तो आप निश्चित रूप से कह सकेंगे कि मंगल ग्रह में पानी है।
सुसंगठित ज्ञान और सुनिश्चितता विज्ञान की 'पेटेंट' विशेषता है और इस एक कारण ने ही इसे वह विशिष्टता दी है कि आज सभी विषय विज्ञान में समाहित हो गयें हैं। सभी कला विषय भी अब विज्ञान कहे जाते हैं जैसे कि सामाजिक विज्ञान, राजनीतिक विज्ञान इत्यादि। आज अनिवार्यत: विश्व के सभी विषय विज्ञान की इसी परिभाषा के अन्तर्गत हैं इसी तरह इनका पाठ्यक्रम और पठन पाठन होता है।
यद्यपि तर्क विज्ञान की प्रमुख कसौटी रहा है और उन्नीसवीं शताब्दी से पूर्व एकमात्र कसौटी परन्तु उन्नीसवीं शताब्दी के पश्चात पूरे विश्व में नये वैज्ञानिक आविष्कारों नें विश्व में पूर्णतः नये परिवर्तन कर दिये।
हतप्रभ कर देने वाले आविष्कारों जैसे कि सूक्ष्मदर्शी और अत्याधुनिक संचार उपग्रहों से अब हम बिल्कुल नये विश्व में हैं।
सूक्ष्मदर्शी हालांकि आज एक साधारण वैज्ञानिक उपकरण है परन्तु इसके आविष्कार ने करोड़ों वर्षों से चली आ रही पाप और पुण्य और इस प्रकार की सभी मानवीय विभिषिकाओं से मुक्ति दी विशेषकर धार्मिक मान्यताएं जो नष्ट हो गयी और मनुष्यों को भयंकर दण्डो से मुक्ति मिली जिसके कारण पाप नहीं शत्रुता थे।
इसके आविष्कार ने पहली बार मनुष्यों को बताया कि वह किस प्रकार अनगिनत अदृश्य जीवों के साथ हर पल जी रहा है जो पहले मात्र एक अबूझ समस्या थी।
स्कूल में भी सभी छात्रों को तुलनात्मक रूप से विज्ञान पर अधिक जोर देने को कहा जाता है और आज विज्ञान जीवन का आवश्यक अंग है।
आज वैज्ञानिक आविष्कारों जैसे कि अत्यधिक दृष्टि क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी (हाई रेज्यूलेसन माइक्रोस्कोप) की मदद से हम हानिकारक वस्तुओं या जीवों को देख सकते हैं, पहचान कर सकते हैं और उनका उपचार या निवारण कर सकते हैं।
पहले इस अज्ञानता को करोड़ों वर्षों तक एक मनुष्य ने दुसरे मनुष्य के लिए इसे शत्रुतापूर्ण ढंग से इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए सभी मनुष्यों में बीमारियों से लडने की क्षमता अलग अलग होता है और यदि एक बीमारी से एक मनुष्य संक्रमित हो गया और दूसरा नहीं, तो संक्रमित व्यक्ति पापी कहलाया। कई बार उसे दण्डित किया गया या मार दिया गया।
रोचक वैज्ञानिक तथ्य यह है कि मनुष्य सहित विश्व के सभी जीव हर दृष्टि से एक दूसरे से बिल्कुल अलग अलग है और इसी प्रकार मनुष्य सहित सभी जीवों की शारीरिक और जैविक विशेषताएं भी एक दूसरे से बिल्कुल अलग अलग हैं।
इसलिए हो सकता है एक व्यक्ति जुकाम जैसी सामान्य बीमारी से रोज ग्रसित हो और एक व्यक्ति को कभी जुकाम न हो।
विज्ञान की अपनी कुछ विलक्षण विशेषताएं हैं जैसे कि वैज्ञानिक तथ्यों को कितनी ही बार सटीकता से परखा जा सकता है और इसके परिणाम हमेशा सटीक होतें हैं। उदाहरण के लिए केवल पानी ही १०० डिग्री सैल्सियस पर उबलता है कोई अन्य वस्तु नहीं।
वैज्ञानिक तथ्यों की जांच का एक अन्य तरीका है तुलना परीक्षण (चेक एक्जाम या चेक टेस्ट) अर्थात एक वैज्ञानिक तथ्य केवल एक ही परिस्थिति में परिणाम देगा किसी अन्य परिस्थिति में नहीं। उदाहरण के लिए सूर्य की रोशनी किसी पौधे के विकास के लिए आवश्यक है और इसको हम इसके तुलना परीक्षण से साबित कर सकते हैं जैसे कि सूर्य की रोशनी की अनुपस्थिति में उस पौधे का विकास बाधित हो जाएगा या वह पौधा नष्ट हो जाएगा।
इस प्रकार सभी वैज्ञानिक तथ्य सटीक और त्रुटिहीन होतें हैं।
इसलिए विश्व के सभी देशों में विज्ञान की शिक्षा पर जोर दिया जाता है क्योंकि यह तार्किक, सटीक और त्रुटिहीन है।
कला, वाणिज्य और प्रबंधन सहित सभी विषयों को इसलिए आज वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही पढ़ाया जाता है और पारंपरिक तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण नकार दिये गये हैं।
प्रगतिशील विचारधाराओं ने विश्व को हमेशा एक साथ और एक समान प्रभावित किया है और यही कारण है कि आज पूरे विश्व में शासन तंत्र केवल लोकतंत्र है जो वैज्ञानिक है।
हमारे देश ने भी दकियानूस विचारों को नकार कर लोकतंत्र अपनाया और वैज्ञानिक उन्नयन को आधुनिक मंदिर माना।
इस प्रकार हम देख सकते हैं कि विज्ञान केवल तकनीकी ही नहीं है बल्कि इसके सामाजिक महत्व भी है।
उदाहरण के लिए क्या हम अपना जीवन सुखी, सामान्य, स्वस्थ और हंसी खुशी जी पा रहें हैं ? क्या हमे सही शिक्षा मिल रही है? क्या हम अपने बारे में या अपने सामाजिक जीवन या अपने जैविक पर्यावरण के बारे में जानतें हैं? क्या हम अपने अधिकारों, कर्तव्यों और नागरिक जीवन के बारे में जानतें हैं? क्या हमारा शासन प्रशासन हमारे प्रति या देश के प्रति उत्तरदायी है? क्या हम जानते हैं सरकार क्यों चुनी जाती है या संसद या शासन प्रणाली क्या है?
यह सब भी विज्ञान है। सामाजिक विज्ञान।
इस प्रकार जैसा कि मैंने कहा कि विज्ञान का वैश्विक तात्पर्य है क्या, क्यों और कैसे। तो जब हम अपने जीवन या अपने आस पास की किसी भी चीज के बारे में विचार करते हैं कि ऐसा क्यों है, ऐसा क्या है या ऐसा कैसे है तो आप उस बारे में वैज्ञानिक दृष्टि से विचार कर रहें होतें हैं।
अब चाहे आप सोच रहे हैं कि देश का शासन या सरकार ठीक नहीं है या क्यों ठीक नहीं है या फिर आज शापिंग में इस प्रकार के कपड़े खरीदने है क्योंकि पहले खरीदे गए कपड़े ठीक नहीं थे, तो भी आप वैज्ञानिक दृष्टि से ही सोच रहें हैं।
आज भी सभी विज्ञान छात्र प्रख्यात वैज्ञानिक न्यूटन का मजाक उड़ाते हैं कि उसने भौतिक विज्ञान यानी फिजिक्स को और कठिन और दुरूह बना दिया क्योंकि हमें गतिकी और गुरूत्वाकर्षण के नियम पढ़ने पड़ते हैं और क्यों एक सेब ने न्यूटन के दिमाग की बत्ती जला दी।
परन्तु कभी एक महंगे आई फोन खरीदते समय एक बार भी हमने न्यूटन को धन्यवाद दिया?
दुकानदार को धन्यवाद कहना नहीं भूलते। साइंस।
अजय कुमार मिश्र
मध्य प्रदेश
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