परिवार की वो घड़ी

तुम्हारी लेखनी में वो जादू है, जिसमें शब्द जीवंत हो उठते हैं। ये तुम ही हो जो अपने डर को अपने सपनों की राह का रोड़ा बनने से रोक सकते हो। आज का दिन वही है, जब तुम अपने पहले पृष्ठ की शुरुआत करो। यह वही पृष्ठ होगा, जो तुम्हारे सपनों को हकीकत में बदलने का सफर शुरू करेगा। जान लो कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं, तुम्हें प्रोत्साहित करती रहूंगी। स्नेहपूर्वक,

Jun 5, 2025 - 13:23
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परिवार की वो घड़ी
that family moment

एक छोटे से नगर में, जहां जीवन की चहल-पहल आम तौर पर धीमी है, वहीं आदित्य नामक एक युवक अपने सादे जीवन में पूरी तरह संतुष्ट दिखाई देता है। वह स्थानीय पुस्तकालय में काम करता है, और किताबों की अद्भुत दुनिया में खो कर वह अपने जीवन को सार्थक समझता है। परंतु आदित्य के दिल के किसी सबसे गहरे कोने में एक छिपी हुई ख्वाहिश पल रही है, वह एक सफल साहित्यकार बनना चाहता है। इसके बावजूद, उसने कभी इस ख्वाहिश का सामना नहीं किया है।
एक दिन, पुस्तकालय में एक नए आगंतुक का आगमन हुआ, जिसका नाम आर्या है। उसकी आँखें जिज्ञासा से भरी हुई हैं और वह कहानियों के जादू में डूबी हुई है। वह अपने आगामी उपन्यास के लिए प्रेरणा की तलाश में आई है। आदित्य और आर्या की पहली मुलाकात साहित्य खंड में हुई। यह पहली मुलाकात नहीं है, बल्कि उनके साझा अद्वितीय साहित्य प्रेम की शुरुआत है। धीरे-धीरे, उनके बीच साहित्य के प्रति गहरी बातचीत होने लगी और वे एक-दूसरे की सोच को नई दिशा देने लगे।
बहुत जल्द, उनकी मुलाकातें सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रही, बल्कि आंतरिक सपनों और ख्वाहिशों को उजागर करने का जरिया बन गईं। आर्या ने आदित्य की आँखों में उसकी छुपी हुई काबिलियत को पहचान लिया। उसने आदित्य को अपनी लेखकीय प्रतिभा को समझने और उसे दुनिया के सामने लाने की प्रेरणा दी। आदित्य को अब अपने भीतर एक नई ऊर्जा का अहसास होने लगा। हालांकि, अब भी वह अपने लेखन को दुनिया के सामने लाने से कतरा रहा हैं। 
फिर एक सुबह, जब आदित्य पुस्तकालय पहुंचा, तो हमेशा की तरह उसने अपनी पसंदीदा कोने वाली मेज़ को ढूंढा। लेकिन आज माहौल कुछ अलग था। मेज़ पर एक मोड़ में रखा आर्या का पत्र उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। हल्की धड़कन के साथ उसने पत्र खोला और पढ़ा:
‘प्रिय आदित्य,
तुम्हारी लेखनी में वो जादू है, जिसमें शब्द जीवंत हो उठते हैं। ये तुम ही हो जो अपने डर को अपने सपनों की राह का रोड़ा बनने से रोक सकते हो। आज का दिन वही है, जब तुम अपने पहले पृष्ठ की शुरुआत करो। यह वही पृष्ठ होगा, जो तुम्हारे सपनों को हकीकत में बदलने का सफर शुरू करेगा। जान लो कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं, तुम्हें प्रोत्साहित करती रहूंगी।
स्नेहपूर्वक,
आर्या’
आर्या के शब्दों ने आदित्य के दिल में कुछ ऐसा संचारित किया, जिसका अनुभव उसने पहले कभी नहीं किया है। उसकी अंगुलियाँ जैसे खुद-ब-खुद कागज पर दौड़ने को आतुर हो उठीं। उसी क्षण उसने कलम को थाम लिया और अपने मन की गहराइयों से कहानियों को शब्दों में पिरोना शुरू कर दिया।
समय के साथ, आदित्य की रचनाएँ आकार लेने लगीं, और उसके ख्वाब हकीकत की राह पकड़ने लगे। अंततः, उसने अपने पहले उपन्यास को पूरा करने का साहस जुटाया और उसके सपने आखिरकार प्रकाशित हो गए। पाठकों के दिलों तक पहुंचकर उसकी कृति ने अद्भुत सफलता पाई, और उसे एक प्रतिष्ठित लेखक के रूप में पहचान मिली।
आदित्य ने अपने जीवन की इस अनोखी यात्रा के दौरान यह अनुभव किया कि कभी-कभी छोटी-सी प्रेरणा पूरी ज़िंदगी का रुख बदल सकती है। उस साधारण पत्र ने उसकी कहानी की शुरुआत को एक अविस्मरणीय मोड़ दिया था, और यह समझ में आया कि आत्मविश्वास और सपनों के प्रति समर्पण से ही सच्ची सफलता प्राप्त होती है।

अंजना गोमास्ता

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