लक्ष्य की तलाश
ऐसे कई सवालों से हमारा रोज सामना होता है पर क्या इनके जवाब हमें मिले। क्या हमने पूरी कोशिश की, कि हमें इनके जवाब मिल जाएं या अभी भी एक अधूरी कोशिश जारी रखी है;

हर इंसान इस दुनिया में कोई ना कोई लक्ष्य लेकर आया है; हमें बस उस लक्ष्य की तलाश करनी है। अब सवाल उठता है कि हमें कैसे पता चले की हमें किस लक्ष्य को अपने जीवन का मूल बनाना चाहिए? हमारे लिए कौन सा लक्ष्य बेहतर साबित होगा? ऐसे कई सवालों से हमारा रोज सामना होता है पर क्या इनके जवाब हमें मिले।
क्या हमने पूरी कोशिश की, कि हमें इनके जवाब मिल जाएं या अभी भी एक अधूरी कोशिश जारी रखी है; लगता है हमारी तलाश जहां चल रही है वह रास्ता ही गलत है क्योंकि जहां से हमें जवाब मिलने हैं उस मार्ग पर हमने पहल ही करनी नहीं शुरु की क्योंकि हमें जवाब बाहर नहीं अपने अंदर तलाश करना था और हमारी तलाश अभी बाहर की चल रही थी हमें स्वयं से ये सवाल करना था, स्वयं से पूछना था तो अब तक हमें इनके सही जवाब मिल चुके होते और शायद हम अपने लक्ष्य का आधा सफर भी तय कर चुके होते। हमारा ह्रदय कभी झूठ नहीं बोलता, हमारा दिल हमें सही रास्ता दिखाता है हमें अच्छे-बुरे का फर्क समझता है बस हमें उसकी बातों को अनसुनाह नहीं करना है। अपने दिल की सुने वो आपको आपसे बेहतर समझता है।
शिवांगी सिंह चंदेल
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