“ हे राम “

30 जनवरी को बिड़ला हॉउस में सरदार पटेल के साथ देश के गंभीर मुद्दे पर गांधीजी अंदर चर्चा कर रहे थे ! समय ज्यादा देख चर्चा छोड़कर अपनी भतीजी आभा एवं मनु बेन के साथ प्रार्थना के लिये निकल गये ! बिड़ला हॉउस में लोगों का काफ़ी जमावड़ा था, जिसका फैयदा नाथूराम गोडसे ने उठाया, ...

Mar 21, 2024 - 14:32
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“ हे राम “
hey ram

“ हे राम “ आखिरी शब्द थे, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के, जिन्होंने अपनी आँखें बंद करने के पूर्व 30 जनवरी 1948 ईस्वी को संध्या 5 बजकर 17 मिनट में दिये थे ! हिन्दू कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने बेटला पिस्तौल से साबरमती के संत को बिरला हॉउस नई दिल्ली में प्रार्थना के समय मंदिर जाने के दौरान तीन गोलियां दागकर अपना शिकार बना दिया ! एक गोली सीने में और दो गोली बापू के पेट में दागकर कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने अपनी वैचारिक प्यास शांत किया ! नाथूराम गोडसे का बचपन का नाम रामचंद्र विनायक राव गोडसे था ! उसका परवरिश एक लड़की की तरह किया गया था, उसके नाक में छेद करके अंगूठी लगाई गई थी, इसी कारण उसका नाम रामचंद्र की जगह नाथूराम हो गया ! नाथूराम गोडसे हिन्दू महासभा के सदस्य के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सदस्य भी था ! वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सदस्यता 1932 ईस्वी में ग्रहण किया था ! आज़ादी के बाद हिन्दू धर्म के आत्म सम्मान के लिये महात्मा गाँधी की हत्या की साजिस नाथूराम एवं अन्य पांच लोगों द्वारा रची गई ! कहा जाता है कि गोवा में हिन्दू महासभा के एक कार्यक्रम में नाथूराम गोडसे की मुलाक़ात डॉ दत्तात्रेय परचूरे से हुई, जो पेशे से पत्रकार थे ! पिस्टल के लिये गोवा में ही दोनों के बीच योजना बनी ! ग्वालियर से एक इटालियन सेना अधिकारी से 500 रूपये में बैरेटा पिस्टल खरीदी गई, और यही पिस्टल चलाने का प्रशिक्षण नाथूराम गोडसे ने प्राप्त किया ! ग्वालियर सिंधिया रियासत के अंतर्गत आता था, जहाँ पिस्टल रखने के लिये लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती थी ! इटली की बैरेटा ऑटोमेटिक पिस्टल में 9 MM की गोली भरी जाती थी ! गांधीजी की हत्या में अकेले नाथूराम गोडसे ही शामिल नहीं था, बल्कि उसके साथ नारायण आप्टे, विष्णु करकरे, गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा,शंकर किस्टवा,एवं दत्तात्रेय परचूरे की भी मुख्य भूमिका थी ! ये सभी हिन्दू महासभा के सदस्य थे ! नाथूराम गोडसे का सम्बन्ध सावरकर से भी अच्छे थे !

30 जनवरी को बिड़ला हॉउस में सरदार पटेल के साथ देश के गंभीर मुद्दे पर गांधीजी अंदर चर्चा कर रहे थे ! समय ज्यादा देख चर्चा छोड़कर अपनी भतीजी आभा एवं मनु बेन के साथ प्रार्थना के लिये निकल गये ! बिड़ला हॉउस में लोगों का काफ़ी जमावड़ा था, जिसका फैयदा नाथूराम गोडसे ने उठाया, वह सीधे भीड़ में गांधीजी के पास हाथ जोड़े पहुँच गया, उसने गांधीजी को प्रणाम किया, भतीजी आभा ने आगे से हटने के लिये कहा, इसी बीच गोडसे आभा को धक्का दिया, आभा नीचे गिर गई, तभी गोडसे पिस्टल निकालकर सीधे गांधीजी के सीने में गोली दाग दी ! “ हे राम “ के उच्चारण के साथ बापू ने अपनी आखें सदा के लिये बंद कर दी ! देखते देखते आज़ादी का पुरोधा, सत्य अहिंसा का पुजारी चिर निंद्रा में सो गया ! उस वक्त गोडसे के दोनों तरफ विष्णु करकरे एवं नारायण आप्टे खड़े
थे !

बापू के हत्या के पूर्व बिड़ला मंदिर नारायण आप्टे एवं विष्णु करकरे एवं नाथूराम गये ! तीनों मंदिर में जाकर पूजा भी की ! बिड़ला हॉउस जाने के पूर्व नाथूराम गोडसे ने बाजार में मूंगफली मंगाकर खाया, खाने के बाद तीनों मंदिर गये, मंदिर के बाद बिड़ला हॉउस जाकर, साबरमती के संत की निर्मम हत्या कर दी !

सत्य अहिंसा की पुजारी की हत्या - कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे द्वारा महात्मा गाँधी की गई हत्या एक जघन्य अपराध के रूप में इतिहास में दर्ज हो गई , जिसने दुनिया से एक सत्य अहिंसा के पुजारी के सीने को छलनी कर दिया और उनकी मृत्यु के साथ ही एक विचाधारा का अंत हो गया ! जातीय दंगे देश में हुए, नाथूराम गोडसे की ब्राह्मण जाति को गांधीजी के मौत के साथ जोड़ दिया गया ! महात्मा गांधी तो पिछड़ी जाति से आते थे, लेकिन कर्म के बल पर अपनी जाति समुदाय को
पीछे छोड़ दिया, अपनी कर्मठता, विश्वासनीयता, एवं सहनशक्ति के बल पर भारत वर्ष के आज़ादी के महान पुरोधा घोषित हुए !

स्वयं सेवक संघ पर लगा प्रतिबन्ध - गांधीजी की हत्या की खबर फ़ैलते ही, स्वयं सेवक संघ, हिन्दू महासभा को गांधीजी की हत्या का दोषी माना गया, क्योंकि नाथूराम गोडसे दोनों संगठनों का सदस्य था ! आम लोगों द्वारा स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमला शुरू हुआ, कितने के घरों में आग लगा दिया गया ! महाराष्ट्र सबसे ज्यादा जातीय दंगे का शिकार बना ! तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया !
लालकिला विशेष अदालत बना - महात्मा गाँधी के हत्यारों के लिये लाल किला एकबार फिर विशेष अदालत में बदल दिया गया ! महात्मा गाँधी की हत्या के लिये आठ लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया, विनायक राव दामोदर सावरकर को भी अभियुक्त बनाया गया था ! कड़ी सुरक्षा के बीच 27 मई 1948 ईस्वी को लालकिला के अंदर मुकदमा प्रारम्भ हुआ ! जो 8 नवम्बर -1949 ईस्वी तक चला ! 8 नवम्बर 1949 ईस्वी को लम्बी बहस के बाद नाथूराम गोडसे एवं नारायण आप्टे को फांसी की सजा मुक़रर की गई, दो अभियुक्तों दामोदर सावरकर एवं दिगंबर बड़गे को प्रयाप्त सबूत नहीं मिलने के कारण बरी कर दिया गया, शेष अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा दी गई ! 15 नवम्बर 1949 ईस्वी को पंजाब के पटियाला जेल में नाथूराम गोडसे एवं नारायण आप्टे को फांसी दे दी गई ! नाथूराम गोडसे महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता मानने के लिये कतई तैयार नहीं थे ! उनका मत था,गाँधी पाकिस्तान का राष्ट्रपिता है !

आईस्टीन का सपना अधूरा रह गया - जर्मन वैज्ञानिक एवं नोवेल पुरष्कार विजेता ,अल्बर्ट आईस्टीन का सपना महात्मा गाँधी की अचानक मृत्यु के साथ ही समाप्त हो गया ! महान वैज्ञानिक की जिगरी इच्छा थी, मुलाक़ात करने की, लेकिन पूरी नहीं हुई ! सन 1931 ईस्वी में गांधीजी को लिखें गये पत्र में महान जर्मन वैज्ञानिक एवं भौतिक शास्त्र में नोवेल पुरस्कार विजेता आईस्टिन ने कहा कि आपका कदम राष्ट्रीय सीमाओं में न बंधकर, अंतराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित होगा ! “ आपने
अपने काम से साबित कर दिया है, अहिंसा के जरिये, उन लोगों का भी दिल जीता जा सकता है, जो हिंसा के मार्ग को ख़ारिज नहीं करते है ! मेरी ख्वाईस है, आपसे एकदिन जरूर मिलूं ! “

विनोद कुमार 

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