लक्षद्वीप - मेरी नजर में
रतलाम में इन दिनों बड़ी सर्दी थी। हम स्वेटर शाल से लदे हुए थे, पर मुंबई और क्रूज में हमें इन्हें निकाल देना पड़ा।हमारे साथ दो छोटी बच्चियों भी थीं। उन्हें बड़ी उत्सुकता थी क्रूज में जाने की…

यात्रा संस्मरण
लक्षद्वीप - मेरी नजर में
लक्षद्वीप हमारे देश के दक्षिण पश्चिम तट से 200से 400कि.मी. दूर अरब सागर में स्थित एक द्वीप समूह है।छत्तीस द्वीप समूहों से बना यह द्वीप हमारे देश का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है। यह द्वीप अपने खूबसूरत उथले समुद्र तटों के लिए प्रसिद्ध है। लक्षद्वीप में ऐसा ही एक द्वीप है,अगाती। अगाती में समुद्र का नीला पानी ,सफेद रेतीले समुद्र तट , नारियल के हरे जंगल ,क्षितिज पर रंग बिखेरता सूरज , रंग-बिरंगी मछलियाँ और शांत परिवेश है। एकदम मन हरने वाले दृश्य हैं। तभी तो हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने देशवासियों को लक्षद्वीप घूमने की सलाह दी है।
इस बार सर्दियों की छुट्टियों में हमने पारिवारिक क्रूज अवकाश और लक्षद्वीप घूमने की योजना बनाई। जल्दी ही व्हाट्सएप में लक्षद्वीप ट्रिप ग्रुप बना ।वॉटरवेज लेजर एंड टूरिज़्म के द्वारा बुकिंग की गई। इससे लक्षद्वीप में एंट्री परमिट की औपचारिकताएँ अपने आप होती रहती हैं। 20 जनवरी को शाम 4:30 बजे हमको मुंबई से यात्रा शुरू करनी थी और 24 को सुबह 8:30 बजे वापस मुंबई आने वाले थे। यानि 80 घंटे की समुद्री यात्रा और 8 घंटे अगाती में घूमना।
रतलाम में इन दिनों बड़ी सर्दी थी। हम स्वेटर शाल से लदे हुए थे, पर मुंबई और क्रूज में हमें इन्हें निकाल देना पड़ा।हमारे साथ दो छोटी बच्चियों भी थीं। उन्हें बड़ी उत्सुकता थी क्रूज में जाने की… क्यों न होगी? आखिर पिछले 1 महीने से खाना और होमवर्क इसी के नाम पर तो फटाफट फिनिश कर रही थीं।
कॉर्डेलिया क्रूज में शानदार आवास, रोमांचक मनोरंजन और उत्तम भोजन की व्यवस्था है। सेलिंग टाइम से 2 घंटे पहले हमें पहुँचना रहता है। पहले हमारी एक फोटो ली गई। फिर बोर्डिंग पास चेक किए गए। तब कहीं जाकर रूम की चाबी मिली। टीका लगाकर हमारा स्वागत किया गया और बच्चियों को सेफ्टी ब्रेसलेट पहनाए गए।क्रूज में 11 मंजिल हैं। जिसमें लिफ्ट के द्वारा ऊपर-नीचे आते-जाते हैं। लाइफ जैकेट सभी रूम में हैं और सबसे पहले इन्हीं के उपयोग की ट्रेनिंग दी जाती है। यह क्रूज मुम्बई से चलकर सीधे लक्षद्वीप जाकर ही रुकता है।
क्रूज में पांच बार बुफे लगते हैं। नॉनवेज, वेज और जैन सभी तरह के भोजन रहते हैं। 22 की सुबह सभी अगाती समुद्र तट पर जाने वाले थे इसलिए सुबह जैसे ही चाय,नाश्ते के लिए आधे घंटे इंतजार करना पड़ा तो पति महोदय को घर की याद हो आई।
मेडिकल सुविधा, मिनी थियेटर, रेस्टोरेंट, स्विमिंग पूल ज़कोज़ी स्पा, योगा, रॉक क्लाइंबिंग, सिंगिंग क्लब सभी यहाँ है। यानि की 5 दिन और 4 रात आप बिल्कुल भी बोर नहीं होते हैं। यहाँ मेकिनी मिनी थियेटर में जीवंत नाटक, नृत्य, जादू के शो प्रतिदिन चलते रहते हैं ।छोटे बच्चों को ड्राइंग में व्यस्त रखने के लिए किड्स एकेडमी है। शॉपिंग एरिया है। क्रूज में 2000 यात्री और 600 स्टाफ कर्मचारी हैं। इन सब के लिए 5 दिन का राशन-पानी की व्यवस्था है। पूरी यात्रा के दौरान इंटरनेट नहीं रहता है।आपको अलग से चार्ज देने पर मिल सकता है।
क्रूज में हमने सबसे पहले 20 की शाम को 11वीं मंजिल की डेक से रमणीय सूर्यास्त देखा। नारंगी पीले रंग का सूरज क्षितिज में नीचे की ओर ढला और धीरे-धीरे महासागर के पानी में आइसक्रीम की तरह पिघलता हुआ समा गया।
समुद्र,विशाल,शक्तिशाली और आश्चर्य से भरा है। रात में यह डरावना लगा। क्योंकि चारों तरफ दूर तक सिर्फ पानी ही पानी और अंधेरा ही अंधेरा। रात में हमने इसकी तेज गड़गड़ाहट सुनी और लहरों से आने वाली फुहार को महसूस किया। हमें यह उदास और अशांत लगा।
21 की सुबह हमने सूर्योदय देखा। सूर्योदय में सूरज लहरों के ऊपर से झांकता और लहरों के शिखर को नर्म नारंगी स्ट्रोक से भरता हुआ दिखा । सूरज ने हवा को गर्मी, आकाश को अलग-अलग रंगों और खुशी से भर दिया।
क्रूज में अनेक बच्चों के साथ उनके नाना-नानी भी थे। देखकर अच्छा लगा। 22 की सुबह 9 बजे क्रूज से हमको टेंडर बोट और फिर टैक्सी द्वारा अगाती समुद्र तट पर ले जाया गया। टैक्सी के ड्राइवर ने बतलाया यहां मलयालम और जैसेरी भाषा बोली जाती है।जैसेरी भाषा मलयालम, इंग्लिश और तमिल भाषा का मिश्रण है। यहां 97 प्रतिशत साक्षरता दर है। 96 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। यहां की जनसंख्या 10000 के लगभग है।
सड़क के दोनों ओर नारियल और ताड़ के ऊंचे- ऊंचे पेड़ हैं। किनारे पर मछुआरों की छोटी-छोटी दुकाने हैं। यहां के निवासियों की सादगी देखते ही बनती है। हमें रास्ते में छोटा सा सरकारी स्कूल और छोटा सा ही सरकारी अस्पताल दिखा। समुद्र तट पर पहुंचते ही लगा, जैसे हम किसी दूसरी ही दुनिया में आ गए हैं। यहां के लोक नर्तक 'कोलकली' नृत्य करते हुए दिखते हैं। नारियल के हरे पेड़ अपने तने की सघनता के साथ निर्भीक खड़े दिखाई देते हैं।
हम सब नारियल का पानी पीकर तृप्त हुए। नारियल फल कितने पवित्र हैं ,जो समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाकर अपने उदर में रखते हैं।इस पवित्र फल से हमने पानीदार और मधुर बने रहने का संदेश भी लिया।
अगाती के किनारों पर बार-बार सिर पटकता हुआ अरब सागर का निर्मल विस्तार और तट की तरफ दौड़तीं लहरें ,पता नहीं अपना कौन सा दुख हमसे कहना चाहती हैं। हम नहीं समझ पाते ।लेकिन उसकी नम रेत पर चलकर हम अपनी सारी थकान जरूर भूल जाते हैं। बच्चियों ने वहां नम रेत पर हाथ रखकर घर बनाया और उसे शंख, सीपी से सजाया। छोटे-छोटे लाल नीले सुनहरे गोल पत्थरों, जुड़ी हुई सीपी को बीन-बीनकर इकट्ठा किया तो हमें भी अपना बचपन याद आ गया। ग्लास बॉटम बोट में बैठकर नीचे लगे कांच से हमने पानी के अंदर जीव-जंतुओं की क्रियाओं, रंग-बिरंगी मछलियों ,जीवित प्रवाल भित्ति, समुद्री लाल, नीले, सफेद रंग के फूल, हरे कछुओं को देखा। युवाओं ने स्नार्कलिंग की। जिसमें पानी में तैरते समय मुंह में लगाई गई लंबी नली से सांस लेते हैं और तैराकी का चश्मा पहनते हैं। जीवंत कोरल रीफ, जिसकी वजह से ही अगाती में समुद्र का पानी एकदम नीला है।समुद्री कछुए, स्टारफिश, केकड़े, ऑक्टोपस सभी दिखाई दिए।
लक्षद्वीप में महिलाएं साड़ी और ब्लाउज पहनी थीं और पुरुष लुंगी। जो वहां की उष्णकटिबंधीय नम जलवायु के हिसाब से उपयुक्त है। कलात्मक वस्तुओं की बिक्री करने वाली महिला ने बताया कि पर्यटन,मछली पकड़कर, नारियल जटा से रस्सी बनाकर, सूखी मछली और नारियल बेचकर वह अपना गुजर-बसर करते हैं। पर्यटकों की मदद के लिए हरदम तत्पर , वहां के नागरिक और मछुआरे बड़े खुश दिखे,शायद सबसे बड़ा धन ''संतोष धन ''है उनके पास।अगाती द्वीप में एक गोल्डन जुबली संग्रहालय है। यहां व्यापारिक जहाज के आदर्श प्रतिरूप रखे गए हैं। एक कमरे में विभिन्न द्वीपों से लाए गए जार, गमले और लकड़ी का सामान है।यहां दो सोने के सिक्के भी हैं जो अगाती की जामा मस्जिद के पास कब्रिस्तान से मिले हैं। संग्रहालय के तल पर भगवान बुद्ध की अर्ध प्रतिमाएं रखी गई हैं। यह पूर्व इस्लामी युग की ओर इशारा करती हैं। लक्ष्यद्वीप की कला को जानने का यह एकमात्र स्रोत है। लक्षद्वीप में एक ही हवाई अड्डा है ।अगाती में स्थित यह हवाई अड्डा विश्व के छोटे हवाई अड्डों में से एक है । इस हवाई अड्डे का विस्तार करके और नए होटल,रिजॉर्ट बनाकर लक्षद्वीप में पर्यटन बढ़ाया जा सकता है।शाम 5 बजे हमको अगाती से क्रूज में वापस ले जाया गया।
23 की शाम को क्रूज चलने के विपरीत दिशा में हवा और लहरें थीं।इसलिए क्रूज में बहुत कम्पन था।चलने पर ऐसा लगता था मानो गिरने वाले हैं। तेज हवाओं की वजह से ग्यारहवें मंजिल में ऊपर डेक में जाने का रास्ता भी बंद कर दिया था। टाइटेनिक पिक्चर की याद आ गई।यूं तो क्रूज में 5-6 बार और कैसिनो क्लब भी था, पर हममें से किसी के काम का नहीं था। आखिर संस्कार और समझ को जीवन में हमेशा पकड़ कर रखना जरूरी होता है।
24 की सुबह 8:30 बजे हम वापस मुम्बई लौट आए। सबसे पहले सबने अपने मोबाइल अपडेट्स देखे। इस क्रूज वेकेशन में हमने मंजिल के साथ यात्रा में भी भरपूर आनंद लिया। लक्षद्वीप के रमणीय, रोमांचक समुद्र तट, कार्डेलिया क्रूज की संगठित कार्यप्रणाली व्यवस्था की स्मृति तथा परिवार के साथ की ऊर्जा को साथ लिए हम अपने शहर रतलाम लौट आए।
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