मेरी देश विदेश यात्राएँ
ज्यादा देर वे पानी में नहीं रहीं।थोड़े देर पानी में एक दूसरे पर पानी के छींटे उड़ाती ४ से ५ मिनट में वापस आ गईं और फिर से फोटो सेल्फ़ी का सिलसिला शुरू हो गया। उसके बाद कपड़े पहन कर हँसते गाते एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएँ देते हुए निकल गई।

दोस्तों मैं एक बहुत ही रोचक घटना बताने जा रही हूँ। रीति रिवाज हमारे संस्कार जो है न यह कहीं न कही से आपस में जुड़े हुए है।यानी हमारी संस्कृति हो या विदेशी। अलग अलग ढंग ,मान्यताएँ पर कहीं न कहीं आपस मे जुड़ी हुई। हुआ यूँ कि मैं नवंबर में अमरीका गई हुई थी। वहाँ बड़ा दिन और १ जनवरी की तैयारी बड़े ही धूम धाम से हो रही थी। १जनवरी को हमलोग दोपहर में झील के किनारे बैठे थे। बहुत ही सुंदर नज़ारा था बतख पानी में तैर रहे थे। पानी पर उतरता हुआ सी प्लेन ,छोटी छोटी निजी स्टीमर का आनंद उठाते लोग। हमलोग भी वहाँ फोटो सोटो ले रहे थे तभी कुछ ऐसा हुआ की आप भी सुनकर चौक जाएँगे ।हुआ यूँ कि एक झुंड लड़कियों का जो कॉलेज में पढ़ने या नौकरी करने वाली होंगी झील के किनारे आई। वे आपस में हँसी मज़ाक कर रही थी साथ में सेल्फी और फोटो खींच रही थीं।झील के किनारे पहुँच कर वे अपने कपड़े उतारकर छोटे कपड़े में जो अंदर पहनी हुई थी उसमे आ गई। मुझे बड़ा अजीब सा लगा कि इतने ठंड में शीतलहर में यह क्या नहाने जायेंगी। अरे मेरे सोचने के पहले ही वे छपाक छपाक पानी में कूदने लगी। मैं निशब्द होकर देख रही थी। मैंने फोटो लेना चाहा पर पति के मना करने पर कि बिना किसी के अनुमति के फोटो नहीं लेना चाहिए।
ज्यादा देर वे पानी में नहीं रहीं।थोड़े देर पानी में एक दूसरे पर पानी के छींटे उड़ाती ४ से ५ मिनट में वापस आ गईं और फिर से फोटो सेल्फ़ी का सिलसिला शुरू हो गया। उसके बाद कपड़े पहन कर हँसते गाते एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएँ देते हुए निकल गई। घर आते के साथ मैंने अगल बगल वहाँ पर पूछा तो उन्होंने बताया कि यह उनकी रीतिरिवाज़ है। बर्फीली पानी में डुबकी लगाने का। जिससे शरीर का तापमान बाहर का ठंड सहने की क्षमता बनी रहे।
टंढ प्रदेश में बहुत टंढ के करण बर्फीली पानी होने की वजह से लोग नहाने से कतराते हैं। यह ठंड प्रदेश की बात है। हुआ कुछ यू की एक जनवरी को एक माँ अपने दोनों बच्चों को जल्दी नहाने के लिए कह रही थी पर वे ठंड के मारे रजाई से निकलना नहीं चाह रहे थे। तो माँ ने उन्हें चैलेंज दिया कि जो आज बर्फीली पानी में डुबकी लगाकर आएगा वह उसे बहादुर मानेगी साथ ही साथ आलस भी भाग जाएगी और नींद भी खुल जाएगी ।
यह सुन बच्चे उत्साहित हो फटाफट झील में डुबकी लगाकर आ गए। और दूसरे साल तो वे अपने दोस्तों सगे संबंधी के साथ मिलकर डुबकी लगाने लगे। फिर क्या था यह एक परंपरा बन गई। यह इतना बढ़ गया कि आज ४० साल हो गए इस मान्यता को मनाते हुए। मान्यताएँ अलग हो पर रीति रिवाज़ एक है। ठंड में बर्फीले पानी में स्नान करना। करोड़ो लोगो की आस्था की डुबकी लगाना। इसमें विदेशी भी शामिल हैं ।
इससे यह पता चलता है कि देश हो या विदेश चाहे रीति रिवाज, मान्यताएँ,परंपरा अलग हो पर हम सब एक है ।
रश्मि श्रीवास्तवा
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