नया पेसमेकर – नयी उम्मीदों का पिटारा (चिकित्सा विज्ञान में प्रगति)
हृदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पूरे सिस्टम को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता है। यह परिसंचरण तंत्र के माध्यम से रक्त पंप करता है। हृदय की पंपिंग को व्यक्ति की हृदय गति के रूप में जाना जाता है। वयस्कों के लिए सामान्य हृदय गति ६०-१०० बीट प्रति मिनट होती है। सामान्य हृदय गति का अर्थ है कि हृदय पूरी तरह से कार्य कर रहा है और ऑक्सीजन का परिवहन कर रहा है जिससे रक्त के साथ शरीर के सभी भागों में खनिज भी पहुँचता है।

आज बात करते हैं आपके दिल के बारे में। दिल की आपने बहुत सारी बीमारियों के बारे में सुना होगा लेकिन आज बात होगी दिल की धडकनों की और उससे सम्बंधित बीमारी का। हृदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पूरे सिस्टम को ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता है। यह परिसंचरण तंत्र के माध्यम से रक्त पंप करता है। हृदय की पंपिंग को व्यक्ति की हृदय गति के रूप में जाना जाता है। वयस्कों के लिए सामान्य हृदय गति ६०-१०० बीट प्रति मिनट होती है। सामान्य हृदय गति का अर्थ है कि हृदय पूरी तरह से कार्य कर रहा है और ऑक्सीजन का परिवहन कर रहा है जिससे रक्त के साथ शरीर के सभी भागों में खनिज भी पहुँचता है।
हृदय गति की जाँच नाड़ी द्वारा की जाती है जिसे आप अपनी तर्जनी और तीसरी उंगली कलाई, गर्दन आदि पर रखकर महसूस कर सकते हैं। आपको अपनी नाड़ी को एक मिनट तक गिनना चाहिए या पंद्रह सेकंड तक गिनना चाहिए और हृदय गति निर्धारित करने के लिए चार से गुणा करना चाहिए। हृदय गति को मापने का सबसे उपयुक्त समय जागने के तुरंत बाद का है। असामान्य हृदय गति तब होती है जब हृदय या तो बहुत तेज़ धड़कता है या बहुत धीमा। यह निश्चित लय के बिना अनियमित रूप से भी धड़क सकता है। इन्हें अतालता कहा जाता है। असामान्य हृदय गति से कई गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं। वेंट्रिकुलर फ़िब्रिलेशन के कारण आपको कार्डियक अरेस्ट भी हो सकता है इसलिए सामान्य हृदय गति बनाए रखना आवश्यक है। स्वस्थ रहने और स्वस्थ खाने से यह हासिल किया जा सकता है। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि जब आपकी हृदय गति सामान्य होगी तो आपको अधिकतम लाभ मिलेगा। एक बात और रक्तचाप और हृदय गति पूरी तरह से अलग हैं। रक्त चाप रक्त वाहिकाओं के विरुद्ध रक्त के बल को संदर्भित करता है। हृदय गति प्रति मिनट नाड़ी की सरल माप है। इसलिए, तेज़ नाड़ी का मतलब उच्च रक्तचाप नहीं होगा।
दिल में अपने आप धड़कने के लिए पूरी व्यवस्था होती है। ये साइनोएट्रियल (एसए) नोड के रूप में होता है जो विशिष्ट कोशिकाओं (पेसमेकर कोशिकाओं) का एक संग्रह है, और दाएं की ऊपरी दीवार में उस जंक्शन पर स्थित होता है जहां सुपिरिअर वेना कावा प्रवेश करती है। ये पेसमेकर कोशिकाएं स्वचालित रूप से विद्युत आवेग उत्पन्न कर सकती हैं। एसए नोड द्वारा बनाई गई उत्तेजना की लहर दोनों अटरिया में गैप जंक्शनों के माध्यम से फैलती है, जिसके परिणामस्वरूप एट्रीया संकुचन (एट्रीया सिस्टोल) होता है- जिसमें रक्त एट्रीया से निलय (वेंट्रिकल) में चला जाता है।
यह व्यवस्था नियमित रूप से काम करती रहती है लेकिन कभी भी जब इस व्यवस्था में कुछ गड़बड़ होती है तो इस का इलाज़ करना पड़ता है और इसका इलाज़ होता है प्राकृतिक पेसमेकर की जगह कृत्रिम पेसमेकर लगाकर। इसका मतलब सरल शब्दों में यह हुआ कि जो काम प्राकृतिक रूप से हो रहा था उसे अब कृत्रिम रूप से करना पड़ेगा।
पेसमेकर एक छोटा विद्युत उपकरण है जो आपके हृदय की लय को नियंत्रित करने के लिए विद्युत आवेग उत्पन्न करता है, खासकर तब जब हृदय की अपनी विद्युत प्रणाली इतनी धीमी या सुस्त हो और जब वह सामान्य दिन-प्रतिदिन के कामकाज के लिए पर्याप्त हृदय गति उत्पन्न करने में विफल हो जाए। कम हृदय गति के प्रमुख लक्षणों में चक्कर आना, बेहोश हो जाना या परिश्रम करने पर सांस फूलना शामिल है। पेसमेकर आपके हृदय की गति पर नज़र रखता है। फिर यह आपके हृदय को नियमित रूप से और सही गति से धड़कने के लिए विद्युतीय स्पंदन भेजता है।
पेसमेकर को हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा त्वचा के नीचे लगाया जाता है। यह एक छोटा सा उपकरण है जो माचिस की डिब्बी के आकार का होता है। इसका वजन २० ग्राम से ५० ग्राम तक होता है। इसमें एक पल्स जनरेटर होता है, पल्स जनरेटर आपके हृदय में विद्युत आवेगों का उत्सर्जन करता है। जिस दर से विद्युत आवेग यात्रा करते हैं उसे पेसिंग दर कहा जाता है। लगभग सभी आधुनिक पेसमेकर मांग के अनुसार काम करते हैं। इसका मतलब है कि वे आपके शरीर की ज़रूरत के हिसाब से डिस्चार्ज दर को समायोजित कर सकते हैं। यदि पेसमेकर को यह पता चलता है कि आपका हृदय धड़कना बंद कर चुका है या बहुत धीमी गति से धड़क रहा है, तो यह स्थिर दर पर संकेत भेजता है। यदि यह महसूस करता है कि आपका हृदय सामान्य रूप से धड़क रहा है, तो यह कोई संकेत नहीं पेसमेकर में एक सेंसर होता है जो आपके शरीर की हरकत या सांस लेने की दर को पहचानता है। इसका मतलब है कि जब आप सक्रिय होते हैं तो पेसमेकर डिस्चार्ज दर को तेज़ कर सकता है। डॉक्टर इसे रेट रिस्पॉन्सिव व्यवस्था कहते हैं। पेसमेकर को नियमित रूप से पेसमेकर क्लिनिक में विशेषज्ञों द्वारा जांचा जाना आवश्यक होता है। दूसरी बात यह भी इसकी एक निश्चित आयु होती है और उसके बाद इसको दूसरे पेसमेकर से बदलना पड़ता है और जो प्रक्रिया पहले की गयी इसे लगाने के लिए उसे दुबारा करना पड़ता है।
आज पेसमेकर को लेकर जब बात कर रहें हैं तो इसमें ख़ास क्या है? यह चिकित्सा पद्धति तो काफी समय से विद्यमान है। जी हाँ! कुछ ख़ास है इसीलिए तो बात हो रही है। इसी साल गत अप्रैल माह में ही एक खोज प्रकाशित हुई की अब एक चावल के दाने के आकार का पेसमेकर बना लिया गया है और इसमें अभी तक के पेसमेकर के विपरीत बैटरी लगाने की आवश्यकता भी नहीं होगी और जो शरीर के अन्दर ही उर्जा उत्पन्न करेगा। यह एक बहुत बड़ा शोध है हालांकि अभी मानव परीक्षण में समय लगेगा लेकिन भविष्य के लिए यह एक सुखद स्वप्न से कम नहीं है।
विज्ञान की अद्यतन और सबसे प्रसिद्ध शोध पत्रिका ‘नेचर’ में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है जिसमें यह जानकारी दी गयी है कि शिकागो की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने एक ऐसा पेसमेकर विकसित किया है जो इतना छोटा है कि उसे सिरिंज की नोक के अंदर फिट किया जा सकता है और इसे बिना किसी चीर फाड़ के शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है। यद्यपि यह सभी आकार के हृदयों के साथ काम कर सकता है, लेकिन पेसमेकर विशेष रूप से जन्मजात हृदय दोष वाले नवजात शिशुओं के छोटे, नाजुक हृदयों के लिए उपयुक्त है।
चावल के एक दाने से भी छोटे आकार के इस पेसमेकर को एक छोटे, मुलायम, लचीले, वायरलेस, पहनने योग्य उपकरण के साथ जोड़ा जाता है, जिसे रोगी की छाती पर लगाया जाता है ताकि पेसिंग को नियंत्रित किया जा सके। जब पहनने योग्य उपकरण अनियमित दिल की धड़कन का पता लगाता है, तो यह पेसमेकर को सक्रिय करने के लिए स्वचालित रूप से एक प्रकाश स्पंदन चमकाता है। ये छोटी स्पंदनें जो रोगी की त्वचा, छाती की हड्डी और मांसपेशियों में प्रवेश करती हैं- पेसिंग को नियंत्रित करती हैं। अभी इस पेसमेकर को उन रोगियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जिन्हें केवल अस्थायी पेसिंग की आवश्यकता होती है, पेसमेकर की आवश्यकता समाप्त होने के बाद यह आसानी से घुल जाता है। पेसमेकर के सभी घटक बायोकम्पैटिबल हैं, इसलिए वे स्वाभाविक रूप से शरीर के बायोफ्लुइड्स में घुल जाते हैं, जिससे सर्जिकल निष्कर्षण की आवश्यकता नहीं होती है। यह कुछ उसी तरह की बात है जैसे आजकल टांकें लगाने के लिए जो धागे प्रयोग में आते हैं उन्हें बाद में काटने की आवश्यकता नहीं होती है और वे स्वयं ही घुल के समाप्त हो जाते हैं।
अभी जो पेसमेकर आते हैं उन्हें ऑपरेशन के बाद शरीर में स्थापित किया जाता है और उसके तार हृदय से जोड़े जाते हैं जिसका मतलब इनमे वायर या तार भी होते हैं और बैटरी भी होती है। यहीं एक बात और बता दें कि चाँद पर जाने वाले पहले मनुष्य नील आर्मस्ट्रांग की २०१२ में पेसमेकर निकालते समय ज्यादा खून बहने से मृत्यु हो गयी थी।
नॉर्थवेस्टर्न बायोइलेक्ट्रॉनिक्स के अग्रणी वैज्ञानिक और शोध प्रमुख जॉन ए. रोजर्स, जिन्होंने डिवाइस के विकास का नेतृत्व किया, उन्होंने कहा कि उन्होंने जो पेसमेकर विकसित किया है, वह उनकी जानकारी के अनुसार दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर है। बाल हृदय शल्यचिकित्सा के संदर्भ में अस्थायी पेसमेकर की बहुत आवश्यकता थी और जहाँ आकार का छोटा होना अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण था। शरीर पर डिवाइस के भार के संदर्भ में जितना छोटा होगा, उतना बेहतर होगा। विश्व जगत में १ज्ञ् बच्चे हृदय रोग से पीड़ित जन्म लेते हैं चाहे वे कम संसाधन वाले या उच्च संसाधन वाले देश में रहते हों। अच्छी खबर यह है कि इन बच्चों को सर्जरी के बाद केवल अस्थायी पेसिंग की आवश्यकता होती है। लगभग सात दिनों में, अधिकांश रोगियों के दिल खुद ही ठीक हो जाते हैं लेकिन वे सात दिन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस छोटे पेसमेकर को बच्चे के दिल पर लगा सकते हैं और इसे एक नरम, कोमल, पहनने योग्य उपकरण से उत्तेजित कर सकते हैं। और इसे हटाने के लिए किसी अतिरिक्त सर्जरी की आवश्यकता नहीं है।
इस पेसमेकर के आकार की बात करें तो यह पेसमेकर बहुत छोटा है केवल १.८ मिलीमीटर चौड़ाई, ३.५ मिलीमीटर लंबाई और १ मिलीमीटर मोटाई - फिर भी यह पूर्ण आकार के पेसमेकर के बराबर उत्तेजना प्रदान करता है। पेसमेकर को रोगी की छाती पर पहने जाने वाले एक नरम पैच से जोड़ा जाता है। जब शरीर के ऊपर लगा पैच अनियमित हृदय गति का पता लगाता है, तो यह स्वचालित रूप से प्रकाश चमकाता है, जो पेसमेकर को बताता है कि उसे किस हृदय गति को उत्तेजित करना चाहिए। इस पेसमेकर डिवाइस में अलग से बैटरी नहीं होती। इसके बजाय इसका शरीर एक साधारण प्रकार की बैटरी की तरह काम करता है जिसे गैल्वेनिक सेल कहा जाता है - मैग्नीशियम, जिंक और मोलिब्डेनम के विभिन्न संयोजनों से बने दो इलेक्ट्रोड, शारीरिक तरल पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ प्रतिक्रिया करके विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं जो हृदय को उत्तेजित करती हैं। इस पेसमेकर को संचालित करने के लिए एक पैच शरीर के ऊपर लगाया जाता है जिसमें प्रकाश की एक अवरक्त तरंगदैर्ध्य का उपयोग किया जाता है जो शरीर में गहराई से और सुरक्षित रूप से प्रवेश करती है। यदि रोगी की हृदय गति एक निश्चित दर से कम हो जाती है, तो यह पैच घटना का पता लगाता है और स्वचालित रूप से एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड को जो पेसमेकर में लगा हुआ है को सक्रिय करता है। फिर प्रकाश सामान्य हृदय गति के अनुरूप दर पर चमकता और बुझता है।
सह शोध वैज्ञानिक एफिमोव ने कहा कि लाइट शरीर में बहुत अच्छी तरह से प्रवेश करती है। अगर आप अपनी हथेली पर टॉर्च की रोशनी रखते हैं, तो आप देखेंगे कि प्रकाश आपके हाथ के दूसरी तरफ से चमकता है। इससे पता चलता है कि हमारा शरीर प्रकाश का बहुत अच्छा संवाहक है। इसी सिद्धांत को इसमें प्रयोग किया गया है।
अध्ययन के अनुसार, अब तक पेसमेकर ने प्रयोगशाला में चूहों, सूअरों, कुत्तों और मानव हृदय के ऊतकों पर किए गए परीक्षणों में प्रभावी ढंग से काम किया है। जॉन रोजर्स ने बताया है कि उनका अनुमान है कि पेसमेकर का परीक्षण मनुष्यों पर दो से तीन वर्षों में किया जा सकेगा। यह नया पेसमेकर चिकित्सा प्रौद्योगिकी में एक परिवर्तनकारी सफलता है। शोध कर्ताओं के अनुसार यह निदान सर्वप्रथम अस्थायी पेसमेकर की जरूरतों को ध्यान में रख कर किया गया है लेकिन हमें उम्मीद करनी चाहिए कि भविष्य में पूर्णकालिक स्थायी पेसमेकर भी इसी तरह की तकनीक का जरुर बनेगा और कुछ इसी तरह की और शारीरिक समस्याओं में भी इस अध्ययन से सहायता मिलेगी क्योंकि यह तकनीक अपेक्षाकृत बहुत अच्छी है जहाँ तारों का प्रयोग नहीं है। शरीर के बाहर से शरीर के अन्दर के पेसमेकर को बिना किसी तार से संचालित किया जा रहा है जिससे बहुत उम्मीदों को जन्म मिलता है और हमें आशान्वित रहना चाहिए।
डॉ. रविन्द्र दीक्षित
ग्रेटर नोएडा
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