मन की डोर अपने हाथ

सोमवार का पूरा दिन इसी तरह गुज़र गया था l मंगलवार का सूर्य एक बार फिर से अपनी आभा विखेरने लगा था l सभी के साथ सुरक्षा कर्मी भी सुबह का नाश्ता कर तैयार वर तैयार हो चुके थे l दोपहर का खाना सभी को पैक कर के दे दिया गया था l

Mar 12, 2024 - 16:42
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मन की डोर अपने हाथ
mind is in your hands

चुनाब समाप्त हो गया था l बस अब वापिसी की तैयारी थी l सभी का मन ख़ुशी से किलकारियां भरने लगा था l सभी लोग अपनी अपनी चुनावी पोलिंग पार्टियों के साथ अपने अपने सुरक्षा कर्मियों की सुरक्षा में उधमपुर की और रबाना हो गए थे l लेकिन हमें अभी इधर ही रुकना है और अपने साथ वाली पोलिंग पार्टी का इंतज़ार करना है l घर से निकले पूरा एक महीना होने को आया है l सभी का ह्रदय इस दिन की इंतज़ार में था कि चुनाव भलीभांति सम्पन्न हो और सभी अपने अपने घरों को सुकुशल लौटें l लेकिन लगता है कि अभी इसमें काफ़ी वक़्त लगने वाला है l वास्तव में चुनावी हिंसा में उनके साथ वाली पोलिंग पार्टी के एक सुरक्षा कर्मी को आतंकवादियों की गोली का शिकार होना पड़ा था l पाकिस्तान हमारे जम्मू और कश्मीर प्रदेश के चुनाबों में अपने प्रोयोजित सिखलाई प्राप्त आतंकी संगठनों द्वारा बाधा डालने का प्रयास करता है l इस तरह वह जम्मू कश्मीर के लोगों को भयभीत करके हमारी लोकतंत्रिय प्रक्रिया में विघ्न डाल कर उसे नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है l वह हमारे देश की शांति व्यवस्था को भंग कर पूरे विश्व का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहता है l लेकिन चाहे सर्दी हो अथवा गर्मी, बारिश हो, तूफान हो या फिर सूखा हमारी सेनाओं के जवान कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी जान जोखिम में डाल कर भी अपनी ड्यूटी बड़ी मुस्तैदी से निभाते हैं l इस बार जम्मू कश्मीर के चुनाबों में सीमा सुरक्षा सेना के जवान ड्यूटी निभा रहे थे ताकि चुनाबों में कोई अप्रिय घटना ना घटे l वास्तव में सरकार को पूरा विश्वास है कि पाकिस्तान इस वार भी हमेशा की तरह अपने आतंकियों द्वारा गड़बड़ कराने का प्रयास करेगा l इसी लिए चुनाब आयोग ने चुनाबों में जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ साथ सहायता के लिए सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय सुरक्षा बल एवं पंजाब पुलिस के कमांडोज़ की भी ड्यूटी लगाई है l पोलिंग ठीक ढंग से कराने के लिए दूसरे प्रदेशो से भी कर्मचारियों को भेजा गया है l सीमा सुरक्षा प्रहरियो की बदौलत ही हमारे देश की जनता हर चुनौती के समय बड़े आराम से अपने अपने घरों में सोती है l अपने अपने काम धंधे बेफिक्र करती है l बेशक यह घटना उस दिन चुनाब समाप्त होने के कुछ मिनट पहले हुई थी l सभी अपनी अपनी ड्यूटी निभा कर अब आश्वत महसूस कर रहे थे l खतरा भी टल गया लगता था l लेकिन तभी हमारी सुरक्षा पार्टी के इंचार्ज़ ने बताया था कि साथ वाली पोलिंग पार्टी के एक सुरक्षा कर्मी को गोली लग गई है और वह बीरगति को प्राप्त हो गए हैं l अभी हमें कुछ देर यहीं रुकना है जब तक हैडक्वार्टर से कोई संदेश नहीं आता l समाचार सुनकर हम सभी कुछ पलों के लिए सहम से गए थे l पाकिस्तानी वित्तपोषित आतंकवादिओं के डर से वातावरण एक बार फिर से दहक गया था l खबर आग की तरह फैली थी l सभी अपने अपने सामान के साथ यहां थे वहीं रुक गए थे l चुनाव भलीभांति सम्पन्न हो जाने का आनंद भी चरमरा सा गया था l सभी के मन वेहद दुःखी थे l वह  पोलिंग पार्टी भी हमारे साथ ही पूरा दिन पैदल चल कर  अपनी जगह पहुंची थी l हम सभी माहौर से इकठे बस में सवार हो कर आए थे l चुनाव समाप्त हुए लगभग एक घंटा बीत चुका था l तभी हैड क्वार्टर से वायरलस पर संदेश आया था कि रास्ता साफ और सुरक्षित कर दिया गया है l जितनी जल्दी हो सके वहां से अपना सामान ले कर निकल आएं l देखते ही देखते सभी ने अपना अपना सामान संभाल कर उठा लिया था l सभी के पाँवो को रेहड़ू लग गए थे l आदेश हमें शीघ्र आगे बढ़ने का मिल गया था l सभी मुस्तैदी से पहले की तरह पंक्तिबध हो कर तेजगति में चलने लगे थे l पूरा रास्ता तय करने के पश्चात हम सभी अपने हैड क्वार्टर पहुंच गए थे l सभी उदास भी थे और प्रसन्न भी l लेकिन हमारे पीछे शिकारी वाली पोलिंग पार्टी अभी आने वाली थी l अभी हम चाय पी ही रहे थे कि वह पोलिंग पार्टी के लोग भी पहुंच गए थे l शाम का खाना खाने के बाद एक बार फिर का मन हिलोरे लेने लगा था l अब सभी लोग सुबह का इंतज़ार करने लगे थे l कब सूरज निकले और सभी का अपने अपने घरों को लौटने का समय आए l लेकिन अभी भी इस में वक़्त लगने वाला था l सर्बप्रथम सीमा सुरक्षा बल के उस महान शहीद जवान के पार्थिव शरीर को उसके पैतृक गांव में पूरे सम्मान के साथ भेजने का प्रबंध करना शेष था l वह सीमा प्रहरी जवान अपने घर से लगभग चार हज़ार किलोमीटर दूर देश की सरहद की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति दे गया था l ऐसा सब सोच कर सभी का मन सिहर उठा था l सभी एकदम से अपने अपने विस्तर से उठ कर बैठ गए थे l बाहर अपनी ड्यूटी पर तैनात कर्मी हमारी सुरक्षा में अपनी जान तली पर रख कर ड्यूटी निभा रहे थे l तभी शिकारी पोलिंग पार्टी के प्रिजाइडिंग अफसर भी खाना खाने के पश्चात हमारे साथ आ मिले थे l उन को सही सलामत देख कर सभी प्रसन्न भी हुए थे और उन का हालचाल पूछने हेतु उनकी तरफ लपके भी थे l सभी ने उन्हें घेर लिया लिया था l उन्हें देख कर लग रहा था कि वह अभी सहज नहीं हुए थे l उसकी पार्टी के पोलिंग बूथ पर हुई जवान की शहादत ने हम सभी को स्तवध कर के रख दिया था l सभी चाहते थे कि उनसे उसदिन की घटना की जानकारी ळी जाए l लेकिन वह अभी इतने सहज नहीं थे कि सब कुछ भलीभांति बता पाएं l फिर स्वयं को संभालते हुए कहने लगे -'क्या बताएं साहिब, कुछ पता नहीं चल पाया क्या हुआ? इतनी सुरक्षा थी कि पंछी पर ना मार सके l फिर भी पोलिंग बूथ की छत पर पहरा देते हुए और अपनी ड्यूटी निभाते हुए सुरक्षा बल के सिपाही को किसी आतंकी द्वारा चलाई ध्वनि रहित गोली आ लगी साहिब l वह देखते ही देखते हमारे सामने नीचे आँगन में धड़ाम से आ गिरा था l गोली चलने या किसी प्रकार की कोई आवाज तक ना आई थी l पाकिस्तान द्वारा सिखलाई प्राप्त और इतने आधुनिक हथियारों से सुज्जित इन आतंकवादिओं के छिप कर बार करने से हमारे सुरक्षा बल बेबस सा हो जाते हैं l चुनावों का पूरा काम बिलकुल सही दिशा में निपटता चला जा रहा था l मैं पोलिंग बूथ पर पोलिंग समाप्त कर मशीनों को सील बंद कर रहा था l अचानक ज़ोरदार आवाज आई l मेरे सारे साथी झट से बाहर आ गए थे l कुछ ही पलों में हमारे सुरक्षा बलों ने भी मोर्चा संभाल लिया था l उन्होंने ज़बाबी फायरिंग की थी l आतंकियों को ऊपर पहाड़िओ की तरफ से कवरिंग फायरिंग मिल रही थी l किसी को कुछ पता नहीं चल पाया था कि गोली कहां से आ रही है और कौन चला रहा है l गोली ध्वनि रहित थी l हमने समझा था कि हमने किला फतह कर लिया है l लेकिन अंतिम समय धो खा खा गए l असल में यह उनकी असफलता और वोखलाहट का ही नतीजा था l क्योंकि कि पोलिंग तो शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हो गईं थी l फिर सेना उस आतंकी की खोज में लग गई l अचानक इस घटना ने सारी मिहनत पर पानी फेर दिया l मैं उस जवान के अदभुत साहस और वीरता को नमन करता हूँ l ईश्वर उसकी पुण्यात्मा को अपने चरणों मैं स्थान दे l 'उसने बड़ी ही लड़खड़ाती और कांपती आवाज़ ने घटनाक्रम का पूरा विवरण संक्षेप में सुनाया था l कमरे में पूरी तरह सन्नाटा था l वह फिर वोला था --'धन्य हैँ हमारी सेना के जवान जो पूरी तनदेही से अपनी ड्यूटी को निभाते हैं और अपनी जान को न्योछावर करने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाते l सीमा पर दुश्मन के साथ भिड़ना हो अथवा देश में लोकतंत्रिय व्यवस्था को बचाने के लिए ठीक चुनावों को सम्पन्न कराने जैसी जिम्मेदारी का सामना करना हो हमारे जवानों का मनोबल सदैव आसमान की उचाईयों को छूता है l इन के रहते कोई भी दुश्मन हमारे देश की एकता और अखंडता के साथ साथ संविधान के अनुसार चलने में रूकावट नहीं डाल सकता l इन्हीं की बदौलत तो हमारे परिवार हंसी ख़ुशी से रहते हैं l

ब्रह्मावेला आ लगी थी l आकाश चिड़ियों की चहचहाहट से चहक उठा था l लेकिन हमारे कमरे में अभी भी एक उदास ख़ामोशी पसरी हुई थी फिर भी सभी को अपना अपना कर्तव्य बोध स्मरण था l अभी तक किसी प्रकार का कोई संदेश नहीं आया था l सभी लोग बेशक तैयार हो चके थे और संदेश आने की प्रतीक्षा में थे l कुछ साथियों का अभी कुछ काम शेष था वह उसे करने में जुट गए थे l हमारा काम तो पहले ही पूरा था इसलिये प्रवीण कुमार जी कहने लगे कि अब जो थोड़ा काम शेष रह गया है वह वहीं जा कर निपटा लेंगे l इसलिए सभी खामोश विस्तर में बैठे रहे l जब सुबह का नास्ता करने का संदेश आया तो वहां जा कर पता चला कि शहीद जवान का पार्थिव शरीर भी उसके पैतृक गांव भेजा जा चुका है l इसलिए अब नए सिरे से पोलिंग पार्टियों के साथ उधमपुर जाने वाली बी. एस. एफ की टुकड़ियों की तैनाती की जा रही है l इसतरह सभी सुरक्षात्मक प्रबंधों को अंतिम रूप देने में समय आगे बढ़ता जा रहा था l नाश्ता करने के पश्चात सभी अब अपनी तैयारी में अपने अपने कमरे आ कर जुट गए थे l फिर भी सभी को इक्क्ठा होते और अपना सामान इक्क्ठा करते और कमरे से बाहर निकलते दस बज गए थे l वापिसी पर सुरक्षा कर्मी पहले की तरह हमारे साथ चुस्त मुस्तैद चलने को तैयार थे l कहीं पर भी किसी प्रकार की ढ़ील ना दी गई थी l

सोमवार का पूरा दिन इसी तरह गुज़र गया था l मंगलवार का सूर्य एक बार फिर से अपनी आभा विखेरने लगा था l सभी के साथ सुरक्षा कर्मी भी सुबह का नाश्ता कर तैयार वर तैयार हो चुके थे l दोपहर का खाना सभी को पैक कर के दे दिया गया था l

बाहर ख़डी बसों की तरफ निकले तो सभी की नज़रें दूर ऊँची आकाश छूते पहाड़ के शिखर पर जा टिकी थी l ऐसे लगा जैसे वृक्षों पर से पुरानी पीली हो चुकी पतियां वाली हों l पहाड़ों लोगों के दूर दूर बने घर एक अलग प्रकार का ही नज़ारा प्रस्तुत कर रहे हों l कहीं कहीं भेड़ बकरियां और गाय भी घास चरती दिखाई दे जाती थी l शीघ्र ही कुछ दिनों के पश्चात मौसम बदले गा और इन पहाड़ों पर बर्फ बारी शुरू हो जाएगी l फिर अगले तीन महीनों तक यह पहाडियां बर्फ से पूरी तरह ढकी रहेगी l सर्दी बढ़ जाएगी और तापमान नीचे चला जाएगा l लेकिन हमारी सेना के जवान देश की सरहदों की रक्षा के लिए अपना सीना तने खडे रहें गे l कई बार तो भारी बर्फ बारी के कारण राजमार्ग बंद भी हो जाते हैं l ठंड से ख़ून जमने लगता है l फिर भी ऐसी विषम एवं कठोर परिस्थिति में भी हमारी सेना हमेशा दुश्मन से भिड़ने को तैयार रहती है l हम अपना अपना सामान उठा कर बाहर सड़क पर ख़डी बसों में आकर बैठने लगे थे l जब सभी बस में अपनी अपनी सीट पर बैठ गए तो फिर सुरक्षा कर्मी भी बैठने लगे थे l

अब बसे धीरे धीरे पहाड़ी के साथ बनी सर्पिली सड़क से नीचे की तरफ रेंगने लगी थी l पहाड़ी से नीचे की तरफ उतरती बसों में से खिड़की की तरफ झाँकते तो ऐसे लगता था कि इस के दूसरी तरफ की गहराई बिना तल के हो l प्रवीण कुमार ने उल्लासित होते हुए कहा था 'चलो मोर्चा फतह हुआ l अब क्या है, हाथी तो निकल गया केवल पूँछ बाकी है l अभी तो केवल सामान ही जमा करवाना है, वो भी करव्वा लेंगे l हमारे साथ बैठे भाई सोमनाथ कहने लगे कि मैंने रियासी जाकर इधर ही वापिस आना है l अगर आप मुझे इज़ाज़त दें तो मै इधर ही उतर जाऊं l वहां जाने और फिर लौट कर में मुझे काफ़ी समय लग जायगा l वह उधर अर्नास के पास ही किसी गांव में तैनात थे l काफ़ी समय इधर ही कार्य करने के कारण इस क्षेत्र का उसे भलीभांति पता था l हमने भी उसे जाने से मना नहीं किया l उसने अगले ही मोड़ पर उतरने की इच्छा प्रगट की तो सभी ने उसे बड़े सम्मान से विदा किया l वह शीघ्र ही अपने सामान समेत अपना हाथ हिलाते हुए बस से नीचे उतर गया l वह जब जाने की तैयारी करने लगा था तो हमें ख्याल आया था कि घर फोन किये लगभग दस दिन हो चुके थे l ना ही किसी को समय मिला था और ना स्थान l मैंने उसको सभी के फोन नंबर और अपने घर का फोन नंबर भी दिया और कहा कि सभी के घरों में हमारी कुशलता का समाचार दे दे l अब तक तो हमारे सभी साथी अपने अपने घरों में कुशल पहुंच चुके होंगे l उसने भी अपना दायित्व निभाया और शाम को घर में फोन कर शीघ्र हमारे भी घर पहुंच जाने का संदेश दिया l उसदिन घर वाले भी घर वाले हमारी कुशलता के बारे में आश्वस्त हो गए थे l

पूरा दिन सुरक्षा बलों के साथ चलते गुज़र गया था l शाम तक हम उधमपुर पहुंचे थे l सामान जमा करवाने में हमें अब कोई दिक्क़त पेश नहीं आई थी l सब कुछ पहले की ही तरह था l जब पूरा काम निपट गया तो प्रवीण कुमार जी को हमने रसीदें सोंप दी थी l जो कुछ हमें चाहिए था वो हमने रख लिया था l तब हमें बस के द्वारा एक पैल्स में ले जाया गया l अब हमें यहाँ रात भर ठहरना था l अब तक रात के सात बज चुके थे l अब तो सुबह ही सुजानपुर और अन्य स्थानों पर लोग जा पाएंगे l पहले तो हमने सोचा कि बस अड्डे पर जाकर जम्मू के लिए बस पकड़ ळी जाय लेकिन पता करने पर मालूम हुआ कि जम्मू के लिए आखिरी बस सात बजे निकलती है l हाँ ऐसा हो सकता है कि श्रीनगर बाई पास से आने वाली कोई बस मिल जाए l लेकिन हमने इस पचड़े में पडने की बजाय एक रात यहां ही सभी के साथ पैल्स में रुकने का फैसला कर लिया l अभी पैल्स का गेट पार कर भीतर प्रवेश करने ही लगा था कि सतपाल, धर्मपाल, गणेश कुमार, विजय कुमार और हरवन्स लाल मुझे मिल गए l फिर क्या था सभी एक बार फिर इक्क्ठा हो गए थे l सभी ने मिलने की प्रसन्नता में ठहाके लगाए थे l इन सभी के साथ रहने से रहने की व्यवस्था शीघ्र हो गईं l फिर स्नान करने और कपड़े बदलने के पश्चात सभी बाहर की तरफ निकल आए थे l सभी ने बाहर निकल कर एक एक फोन काल एस. टी. डी. (फोन काल सेंटर )से अपने अपने घरों में किए और अपने सकुशल होने के साथ साथ कल सुबह उधमपुर से घर के लिए रबाना होने का समाचार दिया था l सुख शांति का समाचार दे कर और कल घर के लिए लौटने का वायदा करके हमने एक ढ़ाब्बे पर बैठ कर रात का खाना खाया और फिर आराम करने के लिए अपने अपने विस्तर पर लेट गए l


अगले दिन उठते ही मन अदभुत उत्साह से सरावोर था l अब तक सभी कार्य भलीभांन्ति से गुज़र चुके थे l सभी ने सोचा था कि प्रात बसें शीघ्र निकल पड़ें गी लेकिन ऐसा ना हो सका l सूरज ने अपनी धप को चमका कर पूरे वातावरण को गर्म कर दिया था l हमने भी अपना सामान छोड़ दिया और बसों की प्रतीक्षा में सड़क पर आ कर खडे हो गए l लेकिन किसी प्रकार का कोई संदेश हमें नहीं मिला था l ग्यारह बज गए हैं तभी समाचार मिला कि बसें वहां से एक किलोमीटर किसी खुली जगह पर ख़डी हैं l सभी को वहीं जाना होगा l हम धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे l

बसों के पास पहुंचे तो एक अजीब सी गंध आई है l बस की सीटों पर बैठ कर हमने बस की बंध खिड़कियां खोली तो कुछ ताज़ा हवा ने बस में प्रवेश किया तो सब ने राहत की सांस ळी l स्मृतियां होले होले बिसरने को आई हैं l अपने क्षेत्र का अहसास मन मस्तीसक पर उभरने लगा है l सुबह की धूप कुछ कुछ कड़कने लगी थी अब उससे भी राहत मिलने लगी है l सभी आकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गए है l इस तरह आगे की तरफ बढ़ने की आशा भी बढ़ने लगी है l सभी औपचारिकतायें पूरी करने के पश्चात बसें इस जगह से सड़क की तरफ खिसकने लगी है l हवा के ठंडे झोंके खिड़कियों से आकर हमें सुखद स्पर्श करने लगे है l एक ख़ुशनुमा अहसास हमारे मनों में उभरने लगा है l सुनसान जंगलो, पहाड़ों,नदी -नालों से होकर चहल पहल लोगों से भरी सड़कें, कारों, बसों और ट्रकों की लंबी लंबी कतारें मन को किसी अन्य लोक में आ जाने का अहसास करवाने लगी है l अपने स्थान और घर परिवार की तरफ अपने शहरी जीवन के साथ जुड़ने का अहसास भी होने लगा है l समय और जीवन बदलता दिखाई दे रहा है l मनुष्य के द्वारा किए विकास का भी पता चलने लगा है l ये भी अहसास होने लगा है कि अभी कितना कुछ करना शेष है l इसके लिए अभी आने वाली पीढ़ी को ढेर सारी मिहनत और परिश्रम करना पड़ेगा l अनेक प्रश्न मेरे मानस पटल पर उछलने कूदने लगे हैं l

बसें एक बार फिर पहाड़ियों के साथ साथ घुमावदार सड़क पर तेजगति से दौड़ने लगी है l एक तरफ पहाड़ दूसरी तरफ गहरी खाई l बसें कुद आ कर रुक गई हैं l सड़क के दोनों तरफ चहल पहल है l बड़ी बड़ी दुकानें l खरीदोफरोख्त में लगे लोग l लगभग सभी इधर आने जाने वाले लोग  कुछ देर के लिए यहां रुकते हैं  यहां से कुछ ना कुछ खरीद कर  अवश्य ले जाते हैं l नागरीय संस्कृति यहां आ कर आपका स्वागत करती है और ग्रामीण संस्कृति के परिवर्तन को व्यक्त करती दिख जाती है l मेरी स्मृतियां मुझे झंझोड़ती हैं l मेरी बेटी श्रीनगर (पोमपुर )में पड़ती थी तो आते जाते हमारे लिए खोए की बर्फी हमेशा यहाँ से लेकर आती थी l मैंने भी दुकान देख कर अपने पाँव दुकान की तरफ बढ़ाए थे और एक डिब्बा मिठाई का खरीद कर अपने बैग में रख लिया था l दुकान के एक तरफ एक बज़ुर्ग अपने सामने रखे हुक्के को मुँह में लगाए पूरे मज़े बटोर रहा था l उसके हुक्के में रखी चिलम अंगार से चमक रही थी l अनेक नौजवान आधुनिक वेश भूषा में मोटर साइकलों, स्कूटियों पर सवार हो कर इधर उधर आ जा रहे थे l लड़को के साथ साथ लड़कियां भी आधुनिक फैशन में दिखाई दे रहीं थी l कुछ दुकानों पर आधुनिक म्युज़िक सिस्टम चल रहा था l पंजाबी गानों की थाप भी सुनाई दे रहीं थी l कोई समझ नहीं पा रहा था कि यह भाग भी उसी प्रदेश हिस्सा है यहां हम चनाव करवा कर आ रहे है l ग्रामीण संस्कृति किस प्रकार नगरीय संस्कृति में प्रवेश करती है यहां सब कुछ देख कर समझ आ गया था l

बस का हारन बजने लगा था l सभी बारी बारी बसों में आ कर बैठ गए तो बसे आगे बढ़ने लगी l यह बस पड़ाव आप के सफ़र को खुशनुमा बना देता है l पहाड़ी लोग ऐसे छोटे छोटे नगरों से अपनी ज़रूरतें पूरी कर लेते हैं और यहाँ के लोगों की आवशयकताये भी पूरी कर देते हैं l इस तरह पहाड़ी जीवन और शहरी जीवन में जुड़ाव सा बना रहता है l सप्ताह में वे एक दिन यहाँ आते हैं और इन की जरूरतों का सामान दे कर अपनी जरूरतों का सामान ले जाते हैं l इस तरह तमाम उठा पटक के बाबजूद इनके जीवन में कई तरह के रंग विरंगे फूल खिलते हैं l जीवन में ऊब, उक्ताहट नहीं आती l रोचकता बनी रहती है l ग्रामीणों को नगरों की आंतरिक गतिविधियों को समझने, जाँचने और परखने की समझ भी आने लगती है l एक नया तौर तरीका उनके जीवन में ऊर्जा और आगे बढ़ने की ललक भर देता है l वह समय की नब्ज पर हाथ रखने और उसे टटोलने की समझ पा लेते हैं l यहां आ कर पिछले दुर्गम क्षेत्र के सफ़र की तकलीफो से हम मुक्त हो गए थे l ऐसे लग रहा था जैसे हमारी सारी मुश्किलें समाप्त हो गई हैं l अँधेरे में उजाले की किरण जगमगाने लगी है l इस से पता चलता है कि पहाड़ों की ज़िन्दगी भी धीरे धीरे नए नए रंगों में ढल रही है l

बसे अब और तेज़ चलने लगी हैं l मेरे पास बैठे हरवन्स लाल चहक रहे हैं l कुछ ही देर में हम जम्मू पहुंचें गे और फिर उसके आगे बढ़े गे l अब वे दार्शनिक से होते जा रहे हैं l वह बुदबबुदाने लगे हैं l समय के साथ चलना ही परिपक्किवता की निशानी है l हर मनुष्य के मन में प्रेरणा का एक दिया जलता रहता है l कभी कभी निराशा की परिस्थितियां इसे बुझाने को आगे बढ़ती हैं लेकिन अगर अंतर प्रेरणा क़ायम रहती है तो ऐसा दिया कभी नहीं बुझता l मुश्किल दौर में ऐसे दीये में हौसला और संघर्ष रूपी तेल डालना ज़रूरी है l अन्यथा अंधेर रूपी भय और कठिनाईयां इसे बुझाने को आतुर रहती हैं l चुनौतीयों को स्वीकार कर आगे बढ़ने का नाम ही ज़िन्दगी है l इन चुनोतियों को पार पाने हेतु हमारा दृष्टिकोण हमेशा सकारात्मक होना अति ज़रूरी है l सकारात्मकता स्वयं पर भरोसा जिताती है l सुस्ती, हताशा और शंशय को दूर रखें फिर स्वयं को उर्जित पाएंगे l भय को अपने पास ना फटकने दें l भयभीत वातावरण में अच्छे गुण भी छिप जायँगे l आप के भीतर जो गुण विधयमान हैं वो सभी कमज़ोर पड़ते दिखाई देंगे l निर्भय रहना एक ऐसा गुण है जो आदमी को नायकतत्व  प्रदान करता है l निर्भय होने के साथ साथ नम्रता भी अत्यंत आवश्यक है l गुरबाणी में भी कहा गया है मिठतु नींवी नानका गुण चंगियाइयां ततु l यदि आदमी में नम्रता ना हो तो जय कब पराजय में बदल जाय पता ही नहीं चलता l जहाँ निर्भयता मनुष्य को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करती है वहां नम्रता मनुष्य को मुश्किलों और कठिनाइयों में संभल प्रदान करती है l इसलिए हमेशा अभय रहे सच्चाई पर चलें विनम्र रहे और अपने संकल्प पर अडिग रहें l अपने अंतर्मन को थामें रखें l इस ऊष्मा को ठंडा ना होने दें l आत्मशक्ति मुश्किल रास्तों को भी आसान बना देती है l केवल इसे जगाने की ज़रूरत रहती है l जिसने भी इसे जागृत कर लिया वह इंसान ऊँची उड़ान भरने के काबिल हो जाता है l ताकतवर वही होता है जो संघर्ष में पीछे नहीं हटता बल्कि  आगे बढ़ता है l यह कोई और नहीं कर सकता बल्कि मनुष्य को खुद करना पड़ता है l उदासी की चादर ओढ़ने की बजाय कुछ ना कुछ सृजन करते रहना चहिये l कभी भी शिथिलता ना आने दें l हमेशा सक्रिय और उत्साह से लबरेज़ रहें l अपनी उड़ान हमेशा ऊँची रखें l दूसरों के दोष ही देखते रहना ठीक नहीं l दूसरों के गुणों को आत्मसात करें l हमेशा अपने मन की डोर को अपने हाथ में रखें l कहा भी गया है 'मनु तू जोत सरूप है अपना मूल पछानु ''l 'वह विना रुके धीरे धीरे कहता जा रहा था l बसें बाईपास से होती पठानकोट की तरफ दौड़ती जा रहीं थी l उसकी बातें सुन कर मेरा मन शांत हो गया था l पूरा शरीर और मन आनंद से भरपूर हो गया था l ऐसा होना आवश्यक भी था क्योंकि किसी काम के उत्तरादायत्व को पूरा करने के बाद आत्मविश्वास ही जाग्रत नहीं होता बल्कि की अदभुत सी प्रशंसा भी महसूस होती है l यह ख़ुशी और आत्मविश्वास आपको आने वाले समय में किये जाने वाले कार्य में सफलता दिलाने की ओर ले जाती है l सांबा और चीची माता का मंदिर हमारे सोचते सोचते पीछे निकल गया था l हीरा नगर के बाद कठुआ और फिर लखनपुर आ कर कुछ देर के लिए बसें रुकी थी l अब तो बस हमारा नगर भी आने वाला है l थोड़ी देर बसें फिर से सरपट दौड़ने लगीं थी l रावी दरिया पार करने के साथ मैंने भी अपना सामान समेटना शुरू किया था l पांच नंबर पुल पर कर मैंने भी अपने साथियों को अलविदा कही और बस से सामान सहित नीचे उतर आया था l सौरभ और अभिनब मुझे लेने आए थे l घर पहुंचा तो सभी ने चहकते हुए मेरा अभिवादन किया था l

डॉ. लेखराज

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