ए आई से क्रांतिकारी बदलाव
जीवन कितना सहज प्रतीत होता है जब ऐसा कुछ हम स्वप्न में देखते हैं और आँख खुलते ही वही रोजमर्रा की भागदौड़ और घुटन से चिड चिड !
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सुबह सुबह आपकी आँखें खुलते ही रूम में रौशनी हो जाए , उठकर बैठते ही केतली में पानी गरम होने लगे और खड़े होते ही बाथरूम में गीजर स्टार्ट हो जाए !
आप किचेन की ओर मुड़े और बेडरूम की लाइट ऑफ हो जाए और चाय उबलना शुरू हो जाए चाय कप में गयी नहीं कि हॉल में लगा बिना रिमोट का टीवी चलने लग जाए उसपर आपका फेवरेट चैनल लगा हो , आप तैयार होकर गेट तक पहुंचें और बिना ड्राईवर की कोई कार सामने आकर खड़ी हो आपके करीब जाते ही दरवाजा खुल जाता है और आप बैठकर ऑफिस निकल जाते हैं .....
जीवन कितना सहज प्रतीत होता है जब ऐसा कुछ हम स्वप्न में देखते हैं और आँख खुलते ही वही रोजमर्रा की भागदौड़ और घुटन से चिड चिड !
अरे परेशान मत होइए ! यह अब कोई सपना नहीं रहा , इसने वास्तविकता का रूप लेना शुरू कर दिया है । जी हाँ यह कमाल है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी ( कृत्रिम बुद्धिमत्ता ) का ।
AI का यह विचार बिलकुल भी नया नहीं है यह मूलतः मानव बुद्धिमत्ता का ही देन है । हम वर्षों से उद्योगों में रोबोटिक्स ,CNC , NCs मशीनों द्वारा मैन्युअल क्रियाकलापों को स्थान्तरित करने की प्रक्रिया देखते या सुनते आए हैं । कंप्यूटर के विकास के साथ ही हमने इस ओर कदम रखना शुरू कर दिया था , 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से यांत्रिक आर्म्स तथा अन्य उपकरणों और 20 वीं सदी में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग तथा माइक्रोप्रोसेसर के विकास ने इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य किया है और आज हम AI के अभूतपूर्व युग में प्रवेश कर सकने में सक्षम हुए हैं जैसे कि नाम से ज्ञात होता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता , मानवीय बुद्धिमत्ता के सहयोगी के रूप में अथवा पूरक के रूप में कार्य करने वाली अवधारणा है न कि इसके प्रतिद्वंदी के रूप में ?
जिस तरह हम कृत्रिम आभूषणों का प्रयोग हम वास्तविक आभूषणों के स्थान पर करते हैं ठीक वैसे ही जहाँ जहाँ मानव बुद्धिमत्ता का प्रयोग करने में हम सक्षम और सहज नहीं वहां हम AI का उपयोग करने वाले हैं ।
इसका यह आशय हरगिज़ नहीं कि AI सम्पूर्ण मानव सभ्यता और बुद्धिमत्ता को समाप्त या स्थानांतरित करने वाली है । इस दुविधा के समाधान के लिए अभी हमें बस इतना सोचना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी मानवीय उपलब्धि ही है ।
जैसे ही चैट GPT जैसे टूल्स बाज़ार में उपलब्ध हुए हैं लोगों ने AI के फायदे और नुकसान गिनाने शुरू कर दिए हैं । ये विश्लेषण भी आवश्यक ही हैं क्योंकि इसके उपयोग और दुरुपयोग के उदाहरण अब सामने आने शुरू हो गए हैं –
एक ओर जहाँ कुछ शातिर गैंग AI की मदद से लोगों की आवाज की हूबहू नक़ल करके उनके घरवालों या जानने वालों से सहायता के नाम पर पैसे ठग रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ़ AI की मदद से ही उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों की परीक्षाओं में फर्जी अभ्यर्थियों को पकड़ा जा रहा है ।
सूचना प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण के युग में यह असंभव है कि आप तकनीक के प्रयोग से खुद को दूर कर सकें , पारंपरिक साधन समय के साथ नहीं चल सकते , दौड़ना समय की नियति है और समय के साथ चलना हमारी विवशता भी है और आवश्यकता भी !
मानव मस्तिष्क में विकास की अपार संभावनाएं हैं तकनीक को उसी विकास के साधन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है न कि मानव के प्रतिद्वंदी के रूप में ? पत्थर रगड़ने से LPG के प्रयोग तक ; पहिये के लुढकाने से हवाई जहाज और सेटेलाइट तक की यात्रा को उसी रूप में देखा जाना चाहिए जैसे हम ग्रेविटी ,रिलेटिविटी ,क्वांटम और टेलीपोर्टेशन को देख रहे हैं ।
AI केवल मानव बुद्धिमत्ता को उडान देने का साधन है । अनियंत्रित AI जंगल की आग की तरह होगी , जिस तरह हम उस आग को बुझाने के साधन जुटा लेते हैं वैसे ही AI से होने वाले साइड इफ्फेक्ट्स को रोकने के लिए मानव बुद्धि को और दक्षतापूर्वक प्रयोग करना होगा सरल शब्दों में कहें तो मानव AI के जैसे सोच सकता है किन्तु AI मानव के जैसे नहीं?
AI की ओब्जेक्टिविटी( वस्तुनिष्ठता) इंसानों से बेहतर हो सकती है किन्तु सब्जेक्टिविटी ( व्यक्तिनिष्ठता ) में हमेशा पीछे ही रहना पड़ेगा जैसे – मानवता , भुखमरी , गरीबी ,प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों पर जितना संवेदनशीलता से मनुष्य सोच सकता है AI कभी नहीं सोच पाएगी किन्तु वह मानव की क्षमता को और बढ़ा देगी ।
AI केवल सूचनाओं और डाटा पर बेहतर कार्य कर सकती है । वह संरक्षित डाटा को बेहतरीन तरीके से क्रियान्वित कर सकती है और सरल भाषा में कहें तो AI , IQ ( बुद्धि लब्धि ) पर आधारित प्रश्नों पर अच्छा कार्य कर सकती है किन्तु मनुष्य IQ और EQ ( भावनात्मक लब्धि) दोनों पर कार्य कर सकता है ।
यदि डैनियल गोलमन की मानें तो IQ से EQ अच्छा रखने वाले लोग दुनिया की समस्याओं को ज्यादा अच्छे से हल कर सकते हैं । निष्कर्षतः हम यह मान सकते हैं AI का प्रयोग मानवता को और प्रभावी ढंग से उत्कर्षित करने तथा मानव मस्तिष्क को और दक्षतापूर्वक सोचने पर विवश करेगा जो कि उसकी क्षमताओं का प्रसंस्करण ही है ।
Dhananjay chandel
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