भ्रमित युवा
हम किस बात की आज़ादी चाहते हैं... पतंग जैसी या पतंगे जैसी जिसमें सिर्फ़ एक मात्रा का अंतर है
हम किस बात की आज़ादी चाहते हैं...
पतंग जैसी या पतंगे जैसी
जिसमें सिर्फ़ एक मात्रा का अंतर है
पतंगा स्वतन्त्र है
शमा जलते ही आ जाता है
मंडराता है और खाक हो जाता है
पतंग आकाश की ऊँचाई छूती है
हँसती है मुस्कुराती है और
सुरक्षित वापस आ जाती है
वो डोर से बँधी है
सीमा में रही है.
हमें कौन सी आज़ादी चाहिए
बोलने की आज़ादी या
भ्रमात्मक आज़ादी ।
नील मणि
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