जिजीविषा
पतझड़ हमेशा बुरा ही नहीं होता और न ही इसका आना पेड़ों की मृत्यु है,,, ये तो एक उत्कंठा है..
नव उम्मीदों की मुलायम कोंपलें
प्रतीक्षा में रहतीं हैं पतझड़ की
कि कब कमज़ोर हो
निराशा के पीले पत्तों की पकड़
और फूट पड़ें वो पूरे जोशो ख़रोश से...
क्योंकि हर उदासी और नाउम्मीदी
की ओट में छुपी होती है
आशाओं की हरीतिमा...
पतझड़ हमेशा बुरा ही नहीं होता
और न ही इसका आना
पेड़ों की मृत्यु है,,,
ये तो एक उत्कंठा है..
जिजीविषा है...
जीवन के हर उतार चढ़ाव को
अपनाकर आगे बढ़ने की...
जीने की...
जीते जाने की,,,,,,
प्रेरणा पारिश
What's Your Reaction?