धम्म मार्ग
खुद के दीपक खुद बन जाएं, मन के अंधियारों को मिटाए, विश्व-शांति और प्रेम के, आओ मिलकर दीप जलाएं। आशा और विश्वास रखें, और सब हाथों में हाथ रखें, जात, धर्म से ऊपर होती,

खुद के दीपक खुद बन जाएं,
मन के अंधियारों को मिटाए,
विश्व-शांति और प्रेम के,
आओ मिलकर दीप जलाएं।
आशा और विश्वास रखें,
और सब हाथों में हाथ रखें,
जात, धर्म से ऊपर होती,
मानवता सबको समझाएं।
विश्व शांति और प्रेम के,
आओ मिलकर दीप जलाएं।
करुणानिधि तथागत के उस,
ज्ञान-पुंज से सिंचित होकर,
प्रेम भरी उस वाणी से,
हर कटु ह्रदय को मृदुल बनाएं।
विश्व शांति और प्रेम के,
आओ मिलकर दीप जलाएं।
पंचशील और अष्टांगिक,
सम्यकता को आचार बनाकर,
निष्प्रयोजन जीवन का एक,
अर्थपूर्ण आधार बनाएं,
विश्व शांति और प्रेम के,
आओ मिलकर दीप जलाएं।।
डॉ. जितेन्द्र कुमार 'जीत'
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
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