गरीबी
बिट्टू बोला- `विनी उठो! आज सबेरे जल्दी जाएँगे, तो हो सकता है कुछ खाने को मिल जाये। कल रात से हम भूखे हैं।' `हाँ भैया, मुझे तो रात को भूख के मारे बिल्कुल भी नींद नहीं आयी।' विनी बोली।

विनी और बिट्टू दोनों भाई-बहन मैले-कुचैले कपड़े पहने थे। हाथों में छोटी-छोटी बोरियाँ थीं। वे कचरे बीनने जा रहे थे। कचरे के ढेर में झिल्ली, प्लास्टिक, लोहा आदि बीनते थे; और उन्हें बेचकर कर अपने खाने की व्यवस्था कर लेते थे। कभी कचरे के ढेर से रोटी के टुकड़े वगैरह या खाने को कुछ मिल जाता था, उसी से पेट भर लेते थे।
बिट्टू बोला- `विनी उठो! आज सबेरे जल्दी जाएँगे, तो हो सकता है कुछ खाने को मिल जाये। कल रात से हम भूखे हैं।'
`हाँ भैया, मुझे तो रात को भूख के मारे बिल्कुल भी नींद नहीं आयी।' विनी बोली।
रास्ते में एक आदमी अपने कुत्ते जैली को लेकर मॉर्निंग वॉक कर रहा था। वह कुत्ते को बिस्किट खिला रहा था। आगे-आगे कुत्ता और पीछे-पीछे आदमी। उसके पीछे थे दोनों भाई-बहन- बिट्टू और विनी। दोनों देख रहे थे; कुत्ता बिस्किट्स को नहीं खा रहा था। वह रास्ते में ही गिरा देता था। गिरी हुई बिस्किट को कभी विनी तुरन्त उठा लेती थी; तो कभी बिट्टू उठा लेता। बिस्किट पाकर दोनों खुश हो जाते थे। `आज भूख थोड़ी शांत हुई भैया।' विनी बोली।
`हाँ विनी, हम रोज ऐसे ही सबेरे जल्दी आया करेंगे। ऐसे ही खाने को हमें रोज मिल सकता है।' तभी अचानक उस आदमी ने पीछे मुड़ कर देखा कि जैली की गिरी हुई बिस्किट्स दोनों बच्चों के हाथों में है। उसने तुरंत दोनों को बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंकने को कहा। बच्चे डर गए। फिर दोनों ने बड़े मायूस हो कर बिस्किट के टुकड़े नीचे फेंक दिए।
`यह कुत्तों के खाने की बिस्किट्स है; इंसानो के लिए नहीं।' कहते हुए उस आदमी ने सारे बिस्किट्स जैली को जबरदस्ती खिला दिया। एक-दूसरे के चेहरे देख कर विनी और बिट्टू की आँखें भर आईं। दोनों भाई-बहन भारी मन से घर लौट रहे थे।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
छत्तीसगढ़
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