आत्मा और शरीर

गई थी वस्त्र फैलाने, भाग कर झट से तू आई,

Mar 29, 2024 - 16:49
 0  19
आत्मा और शरीर
SOUL

नहीं बर्दाश्त कर पाती हो, तुम ये धूप की ऊष्मा,
अभी तो अग्नि सम्मुख हो, धरा पर जल कर जाना है।

गई थी वस्त्र फैलाने, भाग कर झट से तू आई,
तपिश की धूरि से प्यारी अभी तुझको नहाना है

ठंड से बचने के खातिर, ओढ़ लेती हो दुशाला,
नीर गंगा में तुझको तो अभी डुबकी लगाना है

फंसी हो मोह माया में, भूलकर कर्म को अपने
यहां हर आदमी का बस लगा आना और जाना है

इसी इहलोक में रह जायेगी, तेरी सभी माया,
शीश यम जब खड़ा होगा, मिटा देगा तेरी काया

    
शालिनी सिंह सूर्य

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow