बदलाव की बयार
राजस्थान की दिव्यकृति सिंह घुड़सवारी में अर्जुन अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी के सम्मान में एक छोटा सा प्रयास अरे जल्दी जल्दी हाथ चलाओ भाई, अभी तो पुरा घर सजाना बाकी है, अरे कोई ढोल वाले को वापस फोन करो अभी तक न आया, नीतू देख तो जरा मिठाईयाँ कम तो न रहेंगी ,
राजस्थान की दिव्यकृति सिंह घुड़सवारी में अर्जुन अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी के सम्मान में एक छोटा सा प्रयास अरे जल्दी जल्दी हाथ चलाओ भाई, अभी तो पुरा घर सजाना बाकी है, अरे कोई ढोल वाले को वापस फोन करो अभी तक न आया, नीतू देख तो जरा मिठाईयाँ कम तो न रहेंगी , सून लो सब खबरदार जो मेरी लाडो के स्वागत में कोई कमी रह गई तो, ये धारदार आवाज थी 60 बसंत के राजवीरजी की। सरपंचजी ऐसे तैयारी में लगे हैं जैसे बेटी की बारात आनी हो, राजवीर जी की पत्नी बोली ; अरे क्यों न करु इतनी तैयारी मेरी लाडो (बेटी आकृति) ने आज तो विदेशी धरती पर देश का परचम लहरा कर मेरा मान बढ़ाया है, अरे घुड़सवारी में तो लड़को के भी पसीने निकल जाए , मेरी लाडो तो आज गोल्ड मेडल ला रही है ऐसा जश्न मनायेंगे कि सब देखते रह जाएंगे, मूछों को ताव देते हुए राजवीरजी बोले । ननंद के सपने पूरे करने के लिए नीतू बिटिया ने ससूर जी को मनाने के लिए कितने जतन किए , जब से नीतू घर में आयी है तब से राजवीर की सोच ही बदल गयी पहले कहता था कि " बेटियों और बहुओं का मान तो घर की रसोई से ही होवे है, दहलीज पार के काम तो पुरुषों को ही शोभा देवे ", मजाल जो कभी अपनी बहन और पत्नी को घर की दहलीज पार करने दी हो, राजवीरजी की माँ बोली। हाँ माँ सच नीतू के गुणों और संस्कारों ने तो इनकी सोच ही बदल दी , निलम दीदी ने शहर जाकर पढ़ने के लिए कितनी मिन्नतें कि थी पर ये टस से मस न हुए और आज देखों अपनी बहू PHD की डिग्री दिला दी, आज कहते हैं कि "अगर जमाने के साथ न चले तो मेरी दोनों बेटियां (बेटी आकृति और बहू नीतू) पीछे रह जाएंगी और दुनिया आगे निकल जाएगी", राजवीरजी की पत्नी बोली ;इतने में जोर जोर से ढोल बजने लगे सब बहार की तरफ भाग पड़े, आकृति के हाथ में ट्राफी और गोल्ड मेडल देख राजवीरजी बडे़ गर्व मूछों को ताव देते हुए बोल पड़े "मारी छोरी छोरो से कम है के। "
आशना सोनी
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