Best story : पापा की परम्परा
A heartfelt story of a Diwali tradition started by a father—where a simple golgappa party turned into a cherished family ritual that binds generations together.

Best story :आज वह परम्परा खंडित हो जायेगी जो डब्बू, शैलू और रिंकी के पापा ने ३५ साल पहले शुरु की थी। राजेन्द्र जी की धर्मपत्ना rमणि का बीमारी के चलते देहांत हो गया था और अभी दुख से उबरे ही नही थे कि इकलौती बेटी संगीता भी एक सड़क दुर्घटना में चल बसी। दुखों के दोहरे आघात ने पूरे परिवार को तोड़ दिया था। नियति के आगे किसकी चली है जैसे सांत्वनासूचक सहलाव से वक्त की गाड़ी चल रही थी। पत्नी और बेटी के बगैर पहला दीपावली का त्योहार तो रिश्तेदारों और कॉलोनी के सहयोगियों के साथ निपट गया लेकिन अब हर तीज त्योहार तो जैसे औपचारिक हो रहे थे। मां और बहन के न रहने से घर भी काटने को दौडता था। दिन का समय तो राजेन्द्र जी का आफिस में और तीनो भाईयों का स्कूल कालेज में निकल जाता था लेकिन शाम होते ही घर पर सन्नाटा सा छा जाता था। अब फिर से दीपावली का त्योहार आ रहा था।
सभी लोग चुपचाप बैठे एक दूसरे को देख रहे थे तभी बच्चो के पापा बोले कि शैलू , रिंकी, सिविल लाइन जाकर पानी पुरी के दो पैकेट ले आओ, डब्बू तुम आलू , मटर को उबालकर मसाला तैयार करो , मैं जलजीरा बनाता हूं। कल से दीपावली का उत्सव शुरु हो जायेगा और दीपावली के दिन सब होटल और भोजनालय बंद रहेंगे। तुम सब भी घर की साफ सफाई में थक गए होगे और इस तरह राजेन्द्र जी ने एक अघोषित परम्परा की शुरुआत कर दी। समय अपनी गति से चल रहा था। समय आने पर राजेन्द्र जी ने तीनो बेटों का ब्याह भी कर दिया। सूना रहने वाला ' माणिक - मणि - संगीता ' अब गुलजार हो गया। पहले डब्बू की शादी हुई और उसकी पहली दीपावली में बहू समता ने अपने ससुर जी से पूंछा कि आज लक्ष्मी पूजन के बाद आप सब लोग खाने में विशेष क्या खायेंगे , क्योंकि मां के देहांत के बाद आप सबकी यह पहली दीपावली है जब आप लोग घर पर रहकर खाना खाओगे, तब राजेन्द्र जी ने एक फरमान जारी कर दिया
कि समता, तुम्हारे आने के पहले भी मेरे तीनो बेटे दीपावली पर सारे घर की सफाई करते थे और उसके बाद पानी पुरी की पार्टी। तुम तो अभी परिवार में नयी नयी आई हो, तुमने भी घर की साफ-सफाई और सजावट में न दिन देखा न रात, उसके बाद घर के लिए और त्योहार पर आने जाने वाले नाते रिश्तेदारों के लिए इतनी सारी मिठाई और नमकीन बनाया है , तुम भी थक गयी हो, इसलिए आज भी हमेशा की तरह लक्ष्मी पूजन के बाद पानीपूरी की पार्टी होगी। शनैः शनैः राजेन्द्र जी की दो बहुएं भी आ गई और यह पानीपुरी पार्टी निर्बाध चलती रही। बीस साल पहले राजेन्द्र जी के देहांत के बाद भी इसमें कोई रूकावट नही आई लेकिन बीते साल डब्बू को पैर में गैंगरीन होने, आपरेशन होने और घाव न पके , इस कारण डाक्टरों ने खटाई खाने के शौकीन डब्बू के खटाई खाने पर पूरी तरह से पाबन्दी लगा दी थी और कल दीपावली है। पापा के द्वारा शुरु की गई परम्परा का इस साल अंत होना निश्चित हैं क्योंकि बड़े भैय्या पानी पुरी नही खायें और हम सब। न बाबा न, घर के सभी सदस्यों ने एकमत से परम्परा को यह कहते हुए ' अपरम्परा ' कर दिया कि जब भैया का घाव पूरी तरह से भर जायेगा और डाक्टर साहब भैया को खटाई खाने की परमीशन देंगे, यह ' पापा की परम्परा' फिर से शुरु कर देंगे।
संदीप नारद
इंदौर मध्यप्रदेश
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