एक कविता उनके नाम

कुछ दिवस की दूरियां रही पर लगता है बरसों की कुछ पल जैसे कटे ही नही जा रहे है अरसो की,

Mar 12, 2024 - 15:20
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एक कविता उनके नाम
a poem in his name


तेरी यादों का समुन्दर इतनी गहरी
हमने अरसो बाद फिर कलम उठा ली।
उकेर डाले दर्द-ए-दिल तुक्ष्य पन्नो पर
आज कोरा कागज की मूल्य आसमा छुआ दी।

बावला दिल न समझ रहा, अभी दूरियां बहुत है।
बात नही हो सकती,अभी मजबूरियां बहुत है।।
दीप-सी दीप्त है मेरी दिव्या की सच्ची दिल
पर समय की काली चाल की सजिसिया बहुत है।

कुछ दिवस की दूरियां रही पर लगता है बरसों की
कुछ पल जैसे कटे ही नही जा रहे है अरसो की,
न मन में संतुष्टि, न ही आत्मशांति की कोई भाव
बस रहा तो सिर्फ इस दिलो दिमाग में आपका प्रभाव

आपकी ओ मुस्कुराना, रूठना फिर हमे मनाना,
आपकी शरारते भरी अदाओं से हमे रिझाना,,
कभी बालक सी शैतानी,कभी प्रौढता भरी विचार
आपकी हर लम्हे याद आ रही है हमे बारम्बार,

मेरी बाहों को तकिया सा बनाकर सोना
आपकी ओ चेहरा, जैसे मेरे पास अप्सरा सोई हो
आपकी सौदर्य की वर्णन करने में मैं हु असमर्थ
जैसे कृष्ण-विराट स्वरूप की दर्शन बालक से होई हो

दिव्या क्षितिज सिंह

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