बदल गए औजार
आरी काटती है लकड़ी वसूला देता है आकार रन्दा छीलता है चिकना करता है छेनी तराशती है पत्थरों को
आरी
काटती है लकड़ी
वसूला
देता है आकार
रन्दा
छीलता है
चिकना करता है
छेनी
तराशती है पत्थरों को
यह सब औजार
कारीगरों के हाथों में आकर
दुनिया को
एक नए शिल्प में
ढालने की
रखते हैं ताकत
लेकिन अब
कारीगरों के हाथ
काट दिये गए हैं
बदल दिये गए हैं
सृजन के औजार
हथियारों में....
ज्योति खरे
छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश
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