चार धाम यात्रा
मैं तुम्हारी मदद करूंगी। मीनू का गला रूंध गया। मैडम जी मैं स्कूल का फीस मैं पूरा नहीं दे पाई इसलिए मेरे बेटे को स्कूल से निकाल दिया गया है। मैं पूरे साल का फीस भरूंगी तब जाकर मेरा बेटा दसवीं का इम्तिहान दे पाएगा। मैं एक बार में इतना पैसा कहां से लाऊं? अब मेरा बेटा कभी पढ़-लिख कर बड़ा आदमी नहीं बन पाएगा।

मीनू तेरी आंखों को क्या हो गया है। कुछ नहीं मैडम जी... सकपकाते हुए मीनू बोली। मिस सावित्री जी कहां मानने वाली थी। बस उसके मन को पढ़ने की चेष्टा करने लगीं। मीनू आज तुम्हारी किसी से कहा सुनी हुई है? न न नहीं मैडम जी ऐसा कुछ नहीं है। तो फिर क्या है? मीनू मुझे बताओ.... मैं तुम्हारी मदद करूंगी। मीनू का गला रूंध गया। मैडम जी मैं स्कूल का फीस मैं पूरा नहीं दे पाई इसलिए मेरे बेटे को स्कूल से निकाल दिया गया है। मैं पूरे साल का फीस भरूंगी तब जाकर मेरा बेटा दसवीं का इम्तिहान दे पाएगा। मैं एक बार में इतना पैसा कहां से लाऊं? अब मेरा बेटा कभी पढ़-लिख कर बड़ा आदमी नहीं बन पाएगा। अगर मुन्ना के बाउजी रहते...। कहते फफक पड़ी मीनू। सावित्री देवी ने मीनू को ढांढस बंधाया और एक बड़ा-सा गुल्लक उसके हाथों में पकड़ाते हुए कहा जा मीनू इससे अपने बेटे का स्कूल फीस भर दे, और हां अपने बेटे को कहना दसवीं की परीक्षा मन लगाकर दे। मेरा आशीर्वाद है!!! तेरा बेटा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होगा। पर मैं ये पैसे कैसे ले लूं मैडम जी? इसे तो आपने चार धाम यात्रा के लिए एकत्रित किया है न!! सावित्री जी उसके आंखों के आंसू पोंछते हुए बोली, सच पूछ मीनू तो यही मेरी चार धाम यात्रा है। इतनी खुशी मुझे चार धाम यात्रा करके नहीं मिलती जितनी खुशी तुम्हारी मदद करके हो रही है।
What's Your Reaction?






