दस्तक

चलो झंझोड़ के जगा दें सोये शहर को

Sep 6, 2024 - 10:15
 0  1
दस्तक
Knock

चलो झंझोड़ के जगा दें
सोये शहर को
जमाने नहीं रहे अब कुम्भकरणी नींद के
लगी हुई है आग
नहीं हुई है जाग
सोया पड़ा है रात का पहरेदार
उतार फेंके अपने भरे बाजुओं से
परदे सब धुंध के
लुट रहा है बाजार
बेड़ियों में घिसट रहा है अरमान
सड़कें हो गई हैं वीरान
और शहर है अनजान
चलो अपनी लौह अंगुलियों से
इन बेड़ियों को काटें
इन सड़कों को, इन गलियों को
आत्मज्योति से रौशन कर दें
शहर के बंद दरवाजों पर दस्तक दें

किरण अग्रवाल 

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow