माँ तुझे सलाम
रोहित के हाथों में आर्डर था।उसे छुट्टी केंसिल कर तुरंत ड्यूटी जॉइन करनी थी।सीमा पर आतंकी हमले की साज़िश की खुफिया सूचना मिली थी।अभी तो उसकी शादी को आठ दिन भी नहीं हुए थे।करीब एक महीने की छुट्टी बाकी थी।संजना के हाथों में रची मेहंदी की महक उसे सराबोर किए हुए थी।अपनी लजीली पलकें उठाकर वह जब भी रोहित को मुस्कराकर देखती रोहित को खुशी का अनूठा अहसास होता।
रोहित कमरे में गया।संजना गुनगुनाती हुई शादी का एलबम देख रही थी।उसने धीरे से संजना की आंखों को अपनी हथेलियों से ढक दिया।संजना ने धीरे से उसकी हथेलियां हटाईं और बोली- "आपकी आहट तो मैं सपने में भी पहचान सकती हूं।" रोहित ने कहा-"संजना,तुम्हें एक जरुरी बात बतानी है।" संजना बोली-"हां पता है,आज शाम आप मुझे पहाड़ी पर देवी माँ के मंदिर ले जाने वाले हो।"
"हां वो तो है,पर उससे भी जरूरी और एक बात है।"संजना ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखें उठाकर रोहित को देखा और मुस्कराकर बोली-"उससे भी जरूरी और क्या बात हो सकती है?"
"संजना,मैं जो कह रहा हूँ उसे ध्यान से सुनो और वही प्रतिक्रिया देना जो एक फौजी की पत्नी दे सकती है।मुझे विश्वास है तुम मेरी उम्मीद पर खरी उतरोगी।"
"हां रोहित कहो।" तो सुनो संजना,मुझे कल सुबह ही सीमा पर लौटना है।दुश्मनों के हमले की आशंका है।मुझे खुशी है कि मुझे देश की रक्षा करने का मौका मिल रहा है।" एक पल के लिए संजना स्तब्ध रह गई लेकिन दूसरे ही पल उसके चेहरे पर दृढ़ता दिखाई देने लगी।वह बोली- "मैं एक फौजी की पत्नी हूँ।रोहित,विश्वास रखो देश की रक्षा में सहयोग देना मेरा प्रथम कर्तव्य है।मुझे पूरा विश्वास है तुम अपना कर्तव्य पूरा कर शीघ्र लौट आओगे।"
रोहित ने संजना को गले लगा लिया।वह बोला- "संजना मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।" रोहित माँ के पास गया।माँ बोली- "मैं नाश्ते पर तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी।चलो तुम और संजना दोनों गर्म-गर्म आलू के पराठे खा लो।" रोहित बोला-"माँ, आज मैं एक पराठा ज्यादा खाऊंगा और हां मक्खन ज़रा ज्यादा लगाना ताकि दुश्मनों से पूरी ताकत से लड़ सकूं।" माँ ने कहा-"बेटा, लगता है आज माँ पर कुछ ज्यादा ही प्यार उमड़ रहा है।"
"हां माँ, सही कह रही हो क्योंकि कल सुबह की ट्रेन से मैं वापिस ड्यूटी पर जा रहा हूं शायद जंग छिड़ जाए।"
माँ का हाथ अचानक रुक गया।आंखें नम थीं पर मुस्कराकर बोली- "बेटा मुझे विश्वास है तुम जरूर जंग जीतोगे आखिर करोड़ों भारतीयों की दुआएं जो तुम्हारे साथ हैं।"
पापा ने भी पीठ थपथपाई और बोले-"मेरा बेटा भारत माँ का बहादुर सिपाही है वह दुश्मन के हज़ार सिपाहियों पर भारी है।"
रोहित को अपने परिवार पर गर्व हो आया।वह अपने छोटे भाई चिराग के कमरे में गया।चिराग तेज़ आवाज़ में गाने सुन रहा था।रोहित ने कहा- "चिराग,मुझे कल सीमा पर जाना है, माँ, पापा और तुम्हारी भाभी की जिम्मेदारी तुम पर है।क्या तुम भी फ़ौज में भर्ती होना चाहते हो?"
चिराग तुरंत बोला-"अरे नहीं भैया,मैं तो जिंदगी मौज से गुजारना चाहता हूं।आज ही हम सब दोस्तों की पब में पार्टी है,बहुत मस्ती होगी।मुझे ऐसी ही ज़िंदगी पसंद है।आपकी तरह मैं कड़े अनुशासन में नहीं रह सकता।"
"ठीक है मैं देश की रक्षा करूंगा तुम परिवार की रक्षा करना।" शामको रोहित संजना को देवी माँ के दर्शन करा लाया।संजना ने अपनी मेहंदी रची हथेलियों से रोहित की पेकिंग कर दी। सुबह सब की आंखों में अपने लिए अभिमान देखते हुए रोहित ने विदा ली।
सीमा की चौकी पर अपने साथियों के साथ रोहित सजगता से तैनात था।कभी भी आतंकियों का हमला हो सकता था। रात की निस्तब्धता में हल्की सी आहट से रोहित और उसके फौजी साथी सतर्क हो उठे।दूरबीन से देखा तो उनके अंदाज से ज्यादा आतंकी दूर से ही दिखाई दे रहे थे।अभी बाकी के फौजी और हथियार आने में देर थी।तब तक इन्हें ही आतंकियों को रोके रखना था।सबने अलग-अलग पोजीशन बना ली।जैसे ही आतंकी थोड़े पास आए रोहित और साथियों ने गोलियों की बौछार शुरू कर दी।आतंकी अचानक हुए हमले से पीछे हटने लगे।रोहित और दूसरे फौजियों ने कई आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।पर उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही थी और मदद मिलने में अभी देर थी।
तभी एक सनसनाती गोली आई और रोहित के कंधे में धंस गई,तेजी से खून बहने लगा फिरभी रोहित की रायफल आग उगलती रही क्योंकि आतंकियों को रोके रहना जरूरी था नहीं तो अगर वे सीमा में घुसपैठ कर लेते तो तबाही मच जाती।तभी रोहित के दोस्त विशाल की नज़र उस पर पड़ी।वो तुरंत उसके पास आ गया।रोहित धीरे-धीरे होश खोने लगा था पर विशाल उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए बोला- "रोहित होश मत खोना,हमें बस मदद मिलने ही वाली है।संदेशा आ गया है थोड़ी देर होश संभाल कर रखो।"
विशाल ने अपनी रायफल से धुंआधार गोलीबारी शुरू कर दी।तभी नए फौजी भी आकर मिल गए।आतंकियों को मार गिराया और रोहित को तुरंत अस्पताल ले जाया गया।रोहित को अर्धबेहोशी में कभी संजना की मेहंदी रची हथेलियाँ दिखाई देतीं कभी माँ सिरपर हाथ फेरती महसूस होती,कभी पापा सरसों के पीले फूलों के बीच उसके लिए बाहें फैलाए नज़र आ रहे थे।चिराग के हाथों में जैसे तिरंगा लहरा रहा था।रोहित ने मन ही मन तिरंगे को सलाम किया।अब तक वह बेहोश हो चुका था।
चिराग के मोबाइल पर कॉल आ रही थी,रोहित जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है उसे बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
चिराग के मस्तिष्क में विचारों का तूफान उठ खड़ा हुआ।एक तरफ भाई है जिसने देश की रक्षा में हंसते-हंसते जान दांव पर लगा दी,नई नवेली दुल्हन ने तिलक लगा भैया को विदा किया,माँ-पापा ने अपने आंसू रोक होंठों पर मुस्कराहट से भैया को आशीष दिया।एक ओर वह स्वयं है जो दिखावे की मौज मस्ती को जीवन का उद्देश्य समझ बैठा है।
अब तो चिराग ने प्रण किया कि फौज में न रहते हुए भी देश के लिए अपनी सेवाएं देगा।
चिराग ने अपने सभी युवा साथियों को एकत्रित किया और सीमा पर लड़ने वाले घायल सैनिकों के लिए रक्तदान करने की अपील की क्यों कि सैनिकों के रक्त की एक-एक अमूल्य बूंद देश के लिए बही थी। रोहित को कई बोतल खून की चढ़ाई।अब वह खतरे के बाहर था।जल्दी ही उसे कुछ दिन घर जाकर आराम करने की इजाज़त मिल गई।
रोहित लौट रहा था वापस उन्हीं गलियों में जहां उसने देश की रक्षा की प्रतिज्ञा की थी,वहां जहां माँ-पापा ने विजयी होने का आशीष दिया था,वहां जहां संजना ने एक फौजी की साहसी पत्नी बन तिलक लगा विजयी होकर लौटने का मौन आंखों से अनुरोध किया था,भाई न परिवार की रक्षा का वचन दिया था।
सारे गांव में खबर फैल गई थी रोहित के आने की।हर घर से माँ, भाभियाँ,बहनें आरती का थाल सजा
विजय तिलक लगाने लगीं।सारे लोग भारत माता की जय-जयकार कर रहे थे।घर आते ही माँ,पापा ने उसे गले लगा लिया,उनकी आंखों में गर्व का सागर लहरा रहा था।संजना ने उसकी आरती उतारी,चिराग के युवा दोस्त उसके स्वागत में तिरंगे फहरा रहे थे।गीत गूंज रहा था.
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा......
रंजना फतेपुरकर
3,उत्कर्ष विहार मनीषपुरी,
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