जागो हे नवयुवकों
लोकतंत्र अब लोकतंत्र से, भ्रष्टतंत्र में बदल गया।
जागो तुम हे नवयुवकों ,
भारत पर संकट आया है ।
धरती मां की गोद में,
घोर अंधेरा छाया है।
लोकतंत्र अब लोकतंत्र से,
भ्रष्टतंत्र में बदल गया।
तेरे देश में एकता न रही
आपस में बैर समाया है।
जागो तुम हे नवयुवकों,
भारत पर संकट आया है।
कर्म करो तुम युद्ध करो,
जो सत्य हो प्रत्यक्ष करो।
स्मरण करो कभी उन वीरों को,
जिसने प्राण गवायां है।
अपने देश की रक्षा के खातिर,
कुछ खोया कुछ पाया है।
जागो तुम हे नवयुवकों ,
भारत पर संकट आया है।
आवाज उठाओ प्रचार करो
तुम नवीन चेतना का प्रसार करो।
इन भ्रष्ट नेताओं को पहचानो,
इनसे कम व्यवहार करो।
कुछ गलत दिखे इनके कर्म में तो,
तुरन्त तुम आवाज करो।
जागो तुम हे नवयुवकों,
भारत पर संकट आया है।
सोने की चिड़िया के भारत को ,
लोगों ने लूट खाया है।
स्मरण करो तुम उन लोगों को,
जिसने आवाज उठाया है।
चंद्र आजाद और भगत नें,
भारत देश को बचाया है।
जागो तुम हे नवयुवकों,
भारत पर संकट आया है।
धरती मां की गोद में,
घोर अंधेरा छाया है।
मनस्वी त्रिपाठी "मन"*
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