मृत्यु जब मेरे सिरहाने खड़ी होगी
रात-रात भर जाग कर जो मैंने कहानियाँ लिखी हैं उन कहानियों में मानवीय संवेदना और मूल्यों को
जब किसी दिन मृत्यु मेरे सिरहाने खड़ी होगी
मुझे वास्तव में डरा रही होगी
अपने साथ ले जाने के लिए उतावली होगी
उससे मैं कुछ पल जीवन जीने के लिए मागूँगा
अपनी कविताओं को सुनाने की मृत्यु से
मैं फरियाद करूँगा
रात-रात भर जाग कर जो मैंने कहानियाँ लिखी हैं
उन कहानियों में मानवीय संवेदना और मूल्यों को
पढ़ने में पाठकों को दिखी हैं
ऐसी एकाध कहानी मृत्यु को
मैं पढ़कर सुनाऊँगा
व्यथित जनों की पुकार
शोषण और इंसान पर हो रहे अत्याचार
धन दौलत से मनुष्य में हो रहा अहंकार
ऐसी कई बातों को बताऊँगा
अपनी आधी अधूरी प्रकाशित होने वाली
कृति को दिखाऊँगा
साहित्यकारों का साहित्य के प्रति
निष्ठा और समर्पण मृत्यु को समझाऊँगा...
अभी और जीवित रहने की मेरी है मजबूरी
अभी हमें जिंदगी से न बनाना है दूरी
उसके हृदय को प्रेम की सुंदर कविताओं
को सुना कर पिघलाऊँगा
मेरे सृजन किए गए साहित्य का महत्व
जब मृत्यु के समझ में आएगा
उसे लगेगा कि अभी मेरा जीवित रहना
वास्तव में बहुत जरूरी है
मुझसे निश्चित प्रसन्न हो जाएगा
और मुझे विश्वास और मन में आस है कि मृत्यु
मेरे आधे-अधूरे सृजन को पूरा करने के लिए
मुझे कुछ वर्षों के लिए जीवित छोड़ कर लौट जाएगा...
लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
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