देवदूत
दूर दूर तक कोई मेडिसिन की शॉप नहीं! किशन हर जाने वाली गाडी को रोक कर मदद मांग रहा था !.कई गाडियां निकल गई, किंतु कोई भी मदद करने को तैयार नही। किसी ने कहा हमारे पास जगह नही है, तो किसी ने कहा ऐसी हालात में हम नही ले जा सकते। फोन का नेटर्वक भी नही आ रहा था। राधा को थोडी देर बाद होश आया..! किशन को इस तरह मदद मांगते देख उसके आंखो से आंसु आ गए। किंतु वह कर भी क्या सकती थी। बिल्कुल असाहय सा महसुस कर रही थी। राधा सोच रही थी "हैं- भगवान लोग सिर्फ मदद की बात करते है, किंतु हकिकत में नही...कोई मदद नहीं "।
किशन ने शादी की सालगिरह पर राधा को मनाली से लेकर लेह, लद्दाख, कारगिल, श्रीनगर तक के लम्बे टूर का पैकेज गिफ्ट किया । राधा बहुत खुश थी, किशन पूरे बीस दिन उसके साथ घूमने जा रहा था। हर साल वह घूमने तो जाते किंतु ज्यादा से ज्यादा छः दिन। किशन पेशे से वकील होने से हमेशा किसी न किसी केस के चलते शहर से बाहर का टूर लगता ही रहता था। स्थितियों को समझते हुए कभी राधा भी पति पर ज्यादा प्रेशर नही डालती घूमने के लिए। राधा किशन को शहर में आइडियल कपल भी कहते थे। राधा अपने इस टूर को लेकर बहुत खुश थी। उसने बहुत अच्छे से पैकिंग की ..,जरूरत की सारी चीजें रखी। ठंड के कपडो से लेकर गर्मी के हलके कपडे भी। राधा किशन का पैकेज कुरूक्षेत्र से शुरू होना था।
राधा किशन दो दिन पहले ही कुरूक्षेत्र पहुंच गए, कुरूक्षेत्र अच्छे से घूमे । तीसरे दिन शाम में पैकेज के टूर में शामिल हो गए। कुरूक्षेत्र से रात में निकले तो अगली सुबह मनाली पहुंच, दिन भर रेस्ट कर शाम में वह घूमने निकले। अगले दिन ड्राइवर ने कहा "सुबह केलांग के लिए जल्दी निकलेगें ताकी शाम होने से पहले हम केलांग पहुंच जाए" ! गाड़ी के ड्राइवर ने केलांग के रास्ते में सभी अच्छे पॉइंट हमें दिखाए, साथ ही रुपेशवर महादेव के दर्शन कर शाम पांच बजे तक केलांग पहुंच गए । केलांग का अल्टीट्युट साढ़े दस हजार था.। राधा का सर दर्द होने लगा, राधा का उतरा चेहरा देख किशन बोला क्या हुआ ?
अभी तक तो ठीक थी! राधा बोली "मेरा सरदर्द हो रहा है"! किशन बोला "हाईअल्टी के कारण हो सकता है"! थोडी देर में ठीक हो जाएगा..! रेस्ट करो , दिन भर सफर किया, शायद इसलिए भी हो रहा होगा। अगली सुबह लेह की यात्रा शुरू करना थी। ड्राइवर ने रात डिन्नर के समय सभी को बताया, "कल हम लेह लद्दाख के लिए निकलेगें, रास्ता अच्छा नही है। कई ऊंचे पहाडो को पार करके लेह पहुंचेगे"। "इसलिए सुबह पांच बजे यहां से रवाना होंगे"। सभी सुबह पांच बजे तैयार होकर बस में बैठ गए। सुबह राधा ने चाय दूध कुछ नहीं लिया सिर्फ दो बिस्किट ही खाए। लेह लद्दाख आने से पहले राधा के मित्रों ने बताया कि हाईअल्टी पर जा रहे हो तो कपूर ऱख लेना, समय समय पर कपूर सूंघना, हाईअल्टी का असर कम होगा ।
पानी पीते रहना कुछ हल्का फूल्का चॉकलेट खाते रहना। राधा ने ऐसा ही किया। राधा का सफर दस बजे तक तो अच्छा निकला किंतु जैसे जैसे हाईट बढ रही थी। वैसे वैसे राधा को सांस लेने में परेशानी आने लगी थी। राधा के पास बैठे सह यात्री देख बोले मेडम "आप थोडी थोडी देर में पानी पीयों ", राधा कभी पानी का घूंट पीती तो कभी कपूर नाक से लगा कर सूंघती टेडे मेडे पहाडी रास्तों पर गाडी की स्पीड भी ज्यादा नही थी। जैसे जैसे गाडी पहाडों की ऊंचाई छू रही थी।
वैसे वैसे सफेद चांदी के समान चमचमाते पहाड नजदिक आ रहे थे। बडे बडे बर्फीले पहाडों पर एक भी हरा पौधा नजर नही आ रहा था। आक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही थी। गाडी के सभी यात्री बिल्कुल शांत बैठे बर्फिले पहाडो का आन्नद ले रहे थे। आक्सीजन की कमी सिर्फ चार लोंगो महसुस हो रही थी। किंतु उनको ज्यादा परेशानी नही हो रही थी । जितनी कि राधा को ...!.जब गाड़ी पंद्रह हजार फिट हाईट पर पहुंची तो राधा की तबियत और अधिक बिगड गई। राधा को सांस लेने में तकलीफ तो हो ही रही थी, अब उसे उल्टियां भी शुरू हो गई । जितना वह पानी पीती पांच मिनीट बाद उल्टी कर देती।
यह क्रम दोपहर तक चलता रहा। राधा की हालत देख किशन और सह यात्री अब हिम्मत बधाने लगे जल्दी पहुंच जाएगें। थोडी और हिम्मत रखो ! राधा का खिला हुआ चेहरा अब मुरछित हो चुका था। पंद्रह हजार के ऊपर और आगे बडे तो गाडी ने स्पीड लेना बंद कर दिया। ड्राइवर ने बहुत कोशिश की किंतु वह असफल रहा । अंतः गाडी बंद हो गई। अभी सफर डेड़ सो किलो मीटर और बाकी था। जैसे ही गाडी बंद हुई तो सभी यात्री बाहर आ गए, चारो ओर बडे बडे उंचे बर्फीले पहाड ।
सड़क किनारे ठंडे पानी की नदी बह रही थी। कुछ सह यात्री जगह का आंनद लेते हुए फोटो खीच रहे थे। किंतु राधा नीचे उतर कर सिर्फ उल्टियां कर रही थी। राधा की हालात अब और अधिक बिगड गई चुकी थी। वह उल्टियां करते करते बैठे बैठे ही पथरिली जमी पर लुढक गई। राधा की यह स्थिति देख किशन घबरा गया। किशन और सह यात्रियों ने राधा को गाडी में लेटाया..।
दूर दूर तक कोई मेडिसिन की शॉप नहीं! किशन हर जाने वाली गाडी को रोक कर मदद मांग रहा था !.कई गाडियां निकल गई, किंतु कोई भी मदद करने को तैयार नही। किसी ने कहा हमारे पास जगह नही है, तो किसी ने कहा ऐसी हालात में हम नही ले जा सकते। फोन का नेटर्वक भी नही आ रहा था। राधा को थोडी देर बाद होश आया..! किशन को इस तरह मदद मांगते देख उसके आंखो से आंसु आ गए। किंतु वह कर भी क्या सकती थी। बिल्कुल असाहय सा महसुस कर रही थी। राधा सोच रही थी "हैं- भगवान लोग सिर्फ मदद की बात करते है, किंतु हकिकत में नही...कोई मदद नहीं "।
हर आती जाती गाडी से किशन मदद मांगे जा रहा था। आखिर मेंं भगवान ने सुन ली एक ऑयल ट्रक ड्राइवर मदद करने को तैयार हो गया। राधा को सहारा देकर उस ट्रक में बैठाया साथ ही किशन भी बैठ गया । ट्रक में बैठ राधा के अचेतन मन में टीवी सीरियल म दिखाए जाने वाले ट्रक ड्राइवर के क्राइम याद आने लगे। राधा को ड्राइवर बोला "आपको नही आना चाहिये था, इस जगह कई लोगो की डेथ हो गई है"। क्योकि यहां कोई किसी की मदद नही करता है। किशन और राधा उसकी बातें सुन रहे थे। राधा को देख बोला "आप पानी पीते रहे। तभी आपकी आक्सीजन की मात्रा बढ सकेगी"।
राधा ने जैसे ही थोडा पानी पीया फिर उसको उल्टी हो गई। राधा खिडकी की ओर बैठी थी। ताकी उसको उल्टी करने में आसानी हो। उबड खाबड रास्तों में ट्रक पहाडों की ऊंचाई को छूते हुए चल रहा था। राधा की तबियत में अभी भी कोई सुधार नही आया। उसे अभी भी अनइजीनेस लग रहा था। वह थोडी थोडी देर में पानी पीती फिर उल्टियां करती । ऊंचे ऊंचे घुमावदार रास्तों से उसका सर और भी अधिक चकरा रहा था। आस पास के पहाड की तरह ही अब राधा को वह ''समय'' लग रहा था।
पता नही कब लेह पहुंचेगे । एकाध घंटे बाद ड्राइवर ने एक सूनसान जगह पर ट्रक खडा कर दिया। उतर कर बाहर चला गया। हमारे पीछे एक ट्रक और रूका साथ ही सामने से भी एक ट्रक रुक गया तीनो ट्रक ड्राइवर थोडा दूर जा कर बात करने लगे। ड्राइवर के उतरते हि किशन भी उतर गए और थोडा दूर जाने लगे। राधा ने मुरझाये शब्दों में कहा "आप दूर मत जाओ !, मुझे डर लग रहा है"! किशन बोला "कैसा डर अब तो अपन चल ही रहे है"। राधा बोली कही आप को दोनो ड्राइवर कुछ कर न दे... किशन यह बात सुन बोला.., टीवी क्राइम सिरियल से बाहर आ जाओ !
सभी एक जैसे नही होते फिर भी राधा रोते हुए बोली, "नही तुम कही मत जाओ, राधा की रोती सुरत देख किशन ट्रक के पास ही खडा रहा"। हमारे ट्रक ड्राइवर के साथ दोनो ड्राइवर दिखने में भी पहलवान गुंडे जैसे लग रहे थे। राधा के मन में बहुत ही खराब खराब विचार चल रहे थे। तीनो ड्रायवर मिल कर कही हम दोनो के साथ कुछ गलत न कर दे ! हमें चाकू दिखा कर हमारे साथ...... है ! " है भगवान ऐसे विचार क्यों दे रहे हो !"थोडी देर बाद ट्रक का ड्रायवर आया और ट्रक चलाने लगा। ड्राइवर मेरी ओर देखते हुए बोला आपको आक्सीजन की टेबलेट दे देता हूं। ठीक लगेगा। डरी हुई राधा उसकी यह बात सुन एकदम बोली नही नही अब थोडा ठीक लग रहा।
उसके दवाई देने के बोलने से ही, मन में एक ही विचार आया पता नही बेहोशी की दवाई तो नही बीच बीच में राधा पानी पीती जा रही थी। जैसे ही पानी पीती दो मीनिट में फिर उल्टी हो जाती। उल्टी करते समय राधा के बाल उल्टी में सन गए। दुपट्टा भी खराब हो गया। ड्रायवर बोला थोडा लेट जाओ, राधा बोली नही नही किशन ने धीरे धीरे ड्रायवर से उसकी जानकारी ली। कहां से है..? किशन ने भी अपनी जानकारी दी। राधा उल्टियों से परेशान हो चुकी थी। शाम होते होते राधा उल्टियां करते करते बहुत कमजोर मेहसुस करने लगी थी। चार पांच घंटो में किशन और ड्रायवर की अच्छी दोस्ती हो चुकी थी। जैसे जैसे हाइअल्टी कम हुआ तो राधा को भी थोडा ठीक लगने लगा था। राधा बोली भय्या आज तो आप मेरे लिए देवदूत बन कर आए। किशन भी बोला अगर बीस मीनिट और लेट हो जाते तो शायद हमें ज्यादा परेशानी झेलनी पडती.। लेह पहुंचने से पहले ड्रायवर ने कुछ फ्रुट्स अपनी थेली से निकाले और ऱाधा को खाने को दिये !
कहा "दिन भर से आप उल्टियां कर रहे हो कुछ फल खा लो ठीक लगेगा"। राधा ने एक केला खाया उसे अच्छा लगा। शाम सात बजे राधा किशन लेह पहुंच गए। जब किशन ने ड्रायवर को रुपये दिये तो लेने से मना कर दिया। राधा भी बोली भय्या रख लीजिए । वह बोला आपने भय्या बोला, और मैं अपनी बहन से रूपये लुंगा। यह सुन राधा के आंखों से आंसू आ गए ! किशन ने बहुत कोशिश की रुपए देने की, पर ड्रायवर ने नही लिये। राधा सोचने लगी टीवी के क्राइम सीरियलस ने ट्रक ड्राइवर्स के प्रति कितनी गलत धारणाएं फैला रखी है ! हकीकत में ऐसा नहीं होता ! राधा को आत्मघृणा हुई, वह उसके लिए कितना गंदा गंदा सोच रही थी। वह तो जान बचाने वाला "देवदूत" भाई निकला ।
वैदेही कोठारी स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका
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