चींटी के पर

"सर ये विनोद इधर क्यों आ रहा है?" "अरे वही...हर साल की तरह अपना प्रमोशन न होने का दुखड़ा सुनाने आ रहा होगा...बेचारा"

Mar 12, 2024 - 14:46
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चींटी के पर
ant wings

"सर...फिर मेरा प्रमोशन पक्का है ना?"

"अरे किशोर!... मेरे रहते हुये तुम्हे चिंता करने की क्या ज़रूरत।"

"सर क्या है कि अब नये मैनेजर साहब आ गये हैं, इसलिए..." 

"मैं हूँ ना"

"सर ये विनोद इधर क्यों आ रहा है?"

"अरे वही...हर साल की तरह अपना प्रमोशन न होने का दुखड़ा सुनाने आ रहा होगा...बेचारा"

"पवन सर...लीजिए मुँह मीठा कीजिए, आखिर सालों बाद मेरा भी प्रमोशन हो ही गया।"

"कैसे हो गया?... मम्मेरा मतलब है अच्छा हुआ...बधाई हो"

"बस सर आपका आशीर्वाद है"

"किशोर भाई...तुम भी तो मुँह मीठा करो।"

"कक्यों नहीं"

"सर, एकटक मुझे ऐसे क्या देखे जा रहे हैं?"

"कुछ नहीं...बस चींटी के पर देख रहा हूं।"

"सर...चींटी की नियति थी, पैरों में दबकर मर जाना...लेकिन पर वाली चींटियों से बचकर रहिएगा...ये उड़कर कहीं भी बैठकर काट सकती हैं...और इनके काटने से ना...दर्द बहुत होता है।"

"विनोद की बातों का कोई जवाब बनता ना देख, पवन सर कड़वा घूँट पी कर रह गए"

सुधाकर मिश्र "सरस"

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