भोला

Bhola, a simple man, was filled with hope as a new officer joined his office. But beneath the sweet words, a bitter truth awaited. This emotional story reflects the struggles and silent heartbreak of a common man.

Jul 8, 2025 - 15:01
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भोला
bhola-hope-vs-reality

आज भोला काफ़ी खुश था क्योंकि उसके आफिस में आज नये साहब आने वाले थे पुराने वाले साहब का स्थानांतरण हो गया था, पुराने वाले साहब से वह काफ़ी परेशान रहता था क्योंकि वे बड़े ही सख्त दिमाग़ वाले थे, आज लग रहा था कि उसकी कोई बड़ी मुराद पूरी हो गयी हो, किसी से सूना था कि जो नये वाले साहब आ रहें है बड़े ही शांत स्वभाव के है, बहुत ही हसमुख इंसान है, भोला के मन में लड्डू फूट रहा था कि साहब से अपने पेमेंट बढ़वा लूंगा और अपने बेटे को भी उनसे बोल कर काम पर लगवा दूंगा.
मनुष्य के इच्छाओं का अंत नहीं है, हर आदमी इसी उम्मीद में रहता है कि उसकी भी कुछ तरक्की हो जाये, और परिवार का पालन पोषण हो जाये, एक आम आदमी इसी उम्मीद में जीता है.

जल्दी भोजन दो, भोला ने अपनी पत्नी को आवाज दी आज एक घंटे पहले पहुंचना है वहाँ पर पहुंच कर तैयारी भी तो करनी है, फूल लाने और माला बनाने का काम मुझे ही करना है, भोला कि पत्नी ने जल्दी से भोजन तैयार करके भोला को टिपिन बॉक्स थमाते हुये बोली साहब से बेटे के काम के लिए बात कर लेना, भोला- हां बिल्कुल कर लूंगा, पुराने वाले साहब से भोला ने बोला था लेकिन जगह की कमी के कारण उन्होंने काम लगवाने से मना कर दिया था जिससे बोला उनसे काफ़ी नाराज था लेकिन अब तो नये साहब आने वाले थे.

भोला ने टिफिन बॉक्स लिया और उसे साइकिल के हैंडल में लटका कर चल दिया चार से पांच किलोमीटर की दूरी पर ऑफिस था आधे घंटे बाद ऑफिस पहुंचने के बाद उसने साइकिल स्टैंड में खड़ा करने के बाद अपने काम में लग गया.
दो घंटे में उसने सारी तैयारियां पूरी कर ली, अब इंतजार था साहब के आने का समय ग्यारह बजे का था लेकिन अब दो बज चुके थे लेकिन अभी तक साहब का कोई अता पता नहीं था इसी चक्कर में आज भोला ने भोजन भी नहीं किया कि कभी भी साहब आ सकते हैं, इंतजार करते करते शाम के पांच बज चुके थे छुट्टी होने के बाद भोला वापस घर आया आज दिन भर भूखा ही रह गया और साहब के आने का पूरा उत्साह खत्म हो चूका था, आज साहब किसी कारण बस नहीं आये लेकिन अगले दिन उनका आना सुनिश्चित था.अगले दिन भोला सुबह उठा और जल्दी तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया.
आज सुबह साहब जल्दी ही आफिस पहुंच गये, भोला उनके स्वागत में लग गया क्योंकि भोला को साहब से काफ़ी उम्मीद थी सो भोला उन्हें ख़ुश करने में लगा रहा.

थोड़ी देर बाद कुछ ठेकेदार, साहब से मिलने आये जो अच्छे गिफ्ट और मिठाई लेकर उनके आफिस में प्रवेश किये.
साहब एक नंबर के कमीशनखोर हैं यह बात भोला को ठेकेदारों द्वारा पता चली और यह भी पता चला कि साहब ने कमीशन बढ़ाने के लिए ठेकेदार से भोला को काम से निकालने को भी बोला है. यह बात सुनकर भोला अंदर से बिल्कुल टूट चूका था कहाँ अपने बेटे के काम के लिए दौड़ रहा था कि नये वाले साहब ने उसे ही काम से निकाल दिया, लेकिन साहब बड़े मृदुल स्वभाव के थे और बहुत मीठा बोलते थे, मीठे बोलने वाले लोग अंदर से बहुत ही जहरीले होते है.
निष्कर्ष: जो है उसी में खुश रहें.

नीतीश उपाध्याय 
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश

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