Hindi Poetry | धरती की पुकार

मैं धरती माँ हूँ, ईश्वर की अनमोल रचना, प्राकृतिक-संसाधनों से परिपूर्ण चिर-यौवना,

Sep 1, 2024 - 17:54
Sep 5, 2024 - 14:37
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Hindi Poetry | धरती की पुकार
earth

मैं धरती माँ हूँ, ईश्वर की अनमोल रचना,
प्राकृतिक-संसाधनों से परिपूर्ण चिर-यौवना,
धन्य-धान्य से भरपूर गौरवान्वित आत्ममुग्ध,
विकट दुर्भाग्य! आज संकट में है मेरा अस्तित्व,
मेरे पुत्रों! ना करो अति दोहन और दुरुपयोग,
सीमित हैं संसाधन, समझदारी से करो उपयोग,
पेट्रोल, डीजल का करो बहिष्कार,
साइकिल से तुम करो प्यार,
समाज में जागरूकता फैलाओ, 
प्लास्टिक को ना अपनाओ,
अधिक से अधिक पेड़ लगाओ,
कटने से इनको बचाओ,
जलमग्न हो जाएगी पृथ्वी,
भूमंडलीय उष्मा ना बढ़ाओ,
नदी-नालों को करो स्वच्छ ,
समझो जल का महत्व,
जल ही जीवन है,
इसे व्यर्थ ना बहाओ,
हे मानव!! सर्वनाश से पहले संभल जाओ,
मेरे पुत्रों!! मैं तुम्हें बचाऊँ, तुम मुझे बचाओ।।

संध्या प्रकाश

      

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