ज्यादा इंसान मत बन
मैना उसे शहर के किस्से सुनाने के लिए कहती हैं तो ठंडी आहें भरता। बातें उससे करता पर नजरें लाली चिरैया पर होती। बातों का सिरा भी पकड़ नहीं पाती थी वो। मन बहलाने के लिए वो कुछ दिनों के लिए शहर वाली कोयल के यहां रहने चली गई।

मैना पिछले कुछ दिनों से देख रही थी कि तोता रहता तो उसके साथ है पर मन कहीं और ही रहता है। वो जब भी अपनी चोंच से उसके पंखों को छेड़ती है तो वो पहले की तरह आंखें बंद करके मस्ती नहीं मारता। उल्टे उसे निर्विकार देखता रहता है। मैना उसे शहर के किस्से सुनाने के लिए कहती हैं तो ठंडी आहें भरता। बातें उससे करता पर नजरें लाली चिरैया पर होती। बातों का सिरा भी पकड़ नहीं पाती थी वो। मन बहलाने के लिए वो कुछ दिनों के लिए शहर वाली कोयल के यहां रहने चली गई। वहां तो इंसानों को देखकर दंग रह गयी। एक लड़का और दो-तीन लड़कियों को झांसे में लिए ऐश कर रहा और लड़कियों ने भी सीमा नहीं रखी है। अब मैना समझ गई कि तोते को भी शहर की हवा लग गई है। वापस जंगल में लौट कर मैना भी थोड़े नखरे दिखाने लगी, तोते से अब मान मनौव्वल भी कम कर दी। तब तोते ने बहुत प्यार से उसे अपने पंखों के नीचे लेकर पूछा, प्रिया शहर में कैसा लगा। मेरी याद आयी या नहीं'। मैना ने पंखों में और सिमटते हुए कहा,नहीं प्यारे चिंता मत कर मैं तेरी तरह इंसानों से कुछ सीख कर नहीं आई और तुम भी ज्यादा इंसान मत बनो। बस पंछी ही बने रहो। चलो बहुत दिनों से इक्कठे झूला नहीं झूला है। तोता मर्म समझ गया तुरंत मैना के संग डाली पर बैठ ठंडी हवा में झुलते हुए मदमस्त हो गया ।
डॉ नीना छिब्बर
जोधपुर
What's Your Reaction?






