मैं तुम में रहती हूँ
आँख का पानी हो गई हूँ बच्चों की कहानी हो गई हूँ
एक धुन में रहती हूँ
थोड़ी सुन मैं रहती हूँ
क्यों ढूंढ़ते हो बाज़ारों में
मैं तुम में रहती हूँ
आँख का पानी हो गई हूँ
बच्चों की कहानी हो गई हूँ
न बहलाओ अब बातों से
मैं सयानी हो गई हूँ
जो कहते हैं अपनी
बस उन में रहती हूँ
क्यों ढूंढ़ते हो बाज़ारों में
मैं तुम में रहती हूँ।
एक अजीब सा शोर मुझमें है
जैसे कोई चोर मुझने हैं
खुदको धकेल दिया अंधेरों में
ये कैसा जोर मुझमें है
इसी उलझन में रहती हूँ
क्यों ढूंढ़ते हो बाज़ारों में
मैं तुम में रहती हूँ
काव्य वर्षा
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