नवचिंतन
और तो और उसके गुलाबी और सफेद रंग के सूट पर वह मिश्रित रंगों वाली चूड़ियाँ बहुत ही जँच भी रही थी। यह देखकर मेघा के होठों पर हल्की सी मुस्कान आई। वह मन ही मन सोचने लगी कि क्यों रवि के जाने के बाद उसने चूड़ियाँ पहनना ही छोड़ दिया था। जबकि रवि से कहीं ज़्यादा उसे अपने हाथ में यह काँच की चूड़ियाँ पहनना बेहद पंसद था।
मेघा चूड़ियों वाले की दुकान से हरे, नीले, लाल और पीले- मिश्रित रंगों की चूड़ियाँ अपने हाथों में उठा कर उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगी। इन्हीं मिश्रित रंगों की एक दर्जन चूड़ियाँ ले कर वह उन्हें अपने दोनोें हाथों में पहनने लगी। चूड़ियों का नाप मेघा की कलाई के नाप के बराबर था। और तो और उसके गुलाबी और सफेद रंग के सूट पर वह मिश्रित रंगों वाली चूड़ियाँ बहुत ही जँच भी रही थी। यह देखकर मेघा के होठों पर हल्की सी मुस्कान आई। वह मन ही मन सोचने लगी कि क्यों रवि के जाने के बाद उसने चूड़ियाँ पहनना ही छोड़ दिया था। जबकि रवि से कहीं ज़्यादा उसे अपने हाथ में यह काँच की चूड़ियाँ पहनना बेहद पंसद था। फिर क्यों एक रिश्ते की वजह से उसने अपनी ही खुशियों का गला घोंट दिया।
वही दुकान पर ही खड़े खड़े मेघा अपनी कलाई पर पहनी हुई उन रंगीन चूड़ियों को फिर से गौर से देखने लगी। इस बार उसके ज़हन में बीती कई घटनाओं का चलचित्र जैसे एक ही पल में सम्पूर्णता के साथ गुज़र गया।
रवि जिसे मेघा के हाथों में चूड़ियाँ बहुत पसंद थी। अक्सर ही वह उसे कई तरह की चूड़ियाँ उपहार में दिया करता था। वह कहता था तुम्हारे हाथ की यह चूड़ियाँ मेरे साथ का प्रतीक है। और यह तुम्हारे लिए मेरे प्यार की पहचान है।
तब मेघा रवि की इन बातों से बेहद ही खुश हो जाया करती थी। और न जाने ऐसी कितनी बातें थी जो रवि मेघा से किया करता था। और मेघा रवि की सारी बातों पर विश्वास कर लेती थी। यहां तक की वह यह भी विश्वास के साथ मान गई कि रवि जा तो रहा है पर वापस ज़रूर आएगा। दिन बीते, महीने और फिर साल रवि जो गया तो वापस न आया और न ही आई उसकी कोई खबर।
दबी दबी अपनी ही सिसकियों की आवाज़ की गूँज एक बार फिर मेघा ने अपने ही भीतर सुनी। एक आँसू मेघा की आँखों से छलक कर उसकी कलाई में पहनी चूड़ियों पर गिरने ही वाला था कि मेघा ने इस बार खुद को सम्भाला। उसने अतीत की यादों को तोड़ा और खुद को वर्तमान में घसीट लाई।
एक बार फिर उसने अपनी कलाईयों पर पहनी हुई रंगीन चूड़ियों को देखा। इस बार फिर से वह धीमे से मुस्कराई। उसने मनही मन खुद से कहा, मेरी खुशियाँ किसी की मोहताज नहीं। आज से वह अपना रास्ता और अपनी पहचान खुद चुनेगीं। एक शांत और ठहराव भरी प्रसन्नता के साथ मेघा ने अपने हाथों की कलाईयों को हल्का सा हिलाया। काँच की चूfड़यों की मधुर सी खनक उसके एहसासों में बज उठी। खुद के साथ इस नई दोस्ती की शुरुआत उसे बेहद ही पसंद आई।
मेघा ने दुकानदार को चूड़ियों की कीमत चुकाई और एक आज़ाद पंछी की तरह खनखनाती चूड़ियों के साथ वहां से चल दी।
रजनी अरोड़ा
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