मासिक धर्म
उम्र के पड़ाव तेरहवें में,शुरू होता है, एक दौर नया। एक छोटी-सी गुड़िया, बिटिया रानी, बन जाती, अचानक बड़ी सयानी।

उम्र के पड़ाव तेरहवें में,
शुरू होता है, एक दौर नया।
एक छोटी-सी गुड़िया, बिटिया रानी,
बन जाती, अचानक बड़ी सयानी।
आता शरीर में बदलाव नया,
डरता, घबराता, झुंझलाता मन,
ये है शरीर की सामान्य प्रक्रिया,
कहते हैं इसे रजस्वला।
उम्र के पड़ाव तेरहवें में,
शुरू होता है, एक दौर नया।
रोती, घबराती, चीखती,
खुद को ही कोसती।
दर्द को है सहती जाती।
धीरे-धीरे है खुद को संभालती।
धारा बहती रक्त की,
वह थम जाती वक्त सी।
उम्र के पड़ाव तेरहवें में,
शुरू होता है एक दौर नया।
मां देती अन्तर्वसन,
ना संभाल पाती नन्हीं कमसिन।
गुड़िया के दाग लगे वसन,
लोगों की बातें और नज़रें,
गुड़िया को करते निर्वसन।
चुभती नज़रों का दंशन,
झेल जाती मेरी नन्हीं-सी कमसिन।
उम्र के पड़ाव तेरहवें में,
शुरू होता है एक दौर नया।
मासिक धर्म है आया,
जैसे कोई अधर्म है गहराया,
गुड़िया ने पाप किया हो जैसे,
चार दिनों तक उसे अछूत बनाया।
ये मत छुओ, वो मत छुओ,
अरे! मंदिर में तुम कैसे आई,
नन्हीं-सी जान पर आफत छाई।
उम्र के पड़ाव तेरहवें में,
शुरू होता है एक दौर नया।
मासिक धर्म से ही शुरू होता है सफर,
लड़की से नारी का मिलन,
नारी से मां मिलन,
मां से ही सृष्टि का चलन,
सृष्टि से पूर्ण हुआ,
संसार का प्रचलन।
उम्र के पड़ाव तेरहवें में,
शुरू होता है एक दौर नया।
रजस्वला में क्यों अशुद्ध कहाए,
बंदिशों की बौछार लगाए।
अरे! जिस प्रक्रिया से चलती सृष्टि सारी,
उसी पर वर्जनाएं इतनी सारी।
मासिक धर्म न आए,
सृष्टि में नवीन सृष्टि रुक जाए।
वंदना मिश्रा "वाणी"
केंद्रीय विद्यालय रंगिया
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