मेरे छोटे भाई
मेरे छोटे भाई जब से तू गया है , मेरे भीतर जो तर्पण चलता है,
मेरे छोटे भाई जब से तू गया है ,
मेरे भीतर जो तर्पण चलता है,
वो मुझे ना जीने देता है,
कांटों सा चुभता है ,
सब कुछ बेरंग सा लगता है।
होकर मुक्त इस बन्धन से ,
तेरी ही दुनिया में मै भाई तुझ से मिलने आऊंगी,
शायद तब मैं खुश हो पाऊंगी,
बातों में तुझ को खूब फसाऊंगी,
इतनी भी क्या जल्दी थी तुझको जाने की ये भी पूछवाऊंगी,
बिन बोले ही चला गया इसलिए थोड़ा खुद को मनवाऊंगी।
नन्हें नन्हें तेरे परिंदों को बहलाती हूं और भी बहलाऊंगी,
पल पल मरती भाभी को भी धीर बंधाऊंगी।
मां बाबा की नजर जब दूर जाकर खाली ही लौट आएंगी,
तब उनको क्या कह कर समझाऊंगी।
इतनी खामोशी जब तेरे घर में छा जाएंगी,
तब हम बुआ बहने कैसे फिर से वही रौनक लगा पाएंगी।
मेरे मायके की ये उदासी जब तेरी
ही बाते और किस्से सुनाएंगी,
तब दुनिया की कोई भी चीज़ तेरी कमी ना पूरी कर पाएगी ।
श्री विद्या संदीप
Dr.Seema Dhankhar
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