हमारे संस्कार हमारी धरोहर

दादी करें  जब पूजा-पाठ , और दादाजी सैर - सपाट । इन संस्कारों को  अपनायें , धरोहर उनको फिर बनायें

Mar 13, 2024 - 13:57
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हमारे संस्कार हमारी धरोहर
values ​​our heritage

दादी - दादा से मंदिर घर ,
झुकाते अपना माथा  हर ।
वृद्धों से घर  तीर्थ  समान ,
करें सभी उनका गुणगान  ।।

दादी करें  जब पूजा-पाठ ,
और दादाजी सैर - सपाट ।
इन संस्कारों को  अपनायें ,
धरोहर उनको फिर बनायें ।।

ये  हमें  पढ़ाते  रहते  रोज ,
नहीं  बनें  हैं  घर  में  बोझ ।
पापा  रखते  सबका ध्यान ,
उनको  सब बातों का ज्ञान ।।

हर  दिन   जाते  हैं  दफ्तर ,
सांझको आते प्रतिदिन घर ।
मम्मी सबकी  सेवा  करती ,
सुख-दुख समभाव  सहती ।।
 
देती हैं  शिक्षा संग संस्कार ,
काम कभी न  मानती भार ।
हम  भी  मेहनत  से  पढ़ते ,
नहीं कभी  किसी से लड़ते ।।

पशु-पक्षियों से करते प्यार ,
चारा-पानी  उन्हें  हर  बार ।
वृद्ध सेवा  अतिथि सत्कार ,
हमारे परिवार का  संस्कार ।।

नंगे - प्यासे  और जो भूखे ,
उनके मन रखते नहीं रूखे ।
मकान  बना है  हमारा घर ,
बंधा  रिश्तों की डोर से हर ।।

सुखी परिवार  स्वर्ग समान ,
इसको  हर  मानव ले जान ।
संस्कार सभी धरोहर बनायें ,
ऐसा कर फिर पुण्य कमायें ।। 

क्षणिक होते धन-संपदा हर ,
समझे   इस   सूत्र   को  हर ।
धरोहर  सच्चे होते  संस्कार ,
फिर बन न पाते  बच्चे भार ।।

सोच बदलनी होगी सबको ,
राह दिखानी होगी जग को ।
कहें जितने भी हैं नर-नारी ,
संस्कार ही  धरोहर  हमारी ।।

डॉ.सुरेन्द्र दत्त सेमल्टी

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