भोजन की कीमत
स्वाद लेकर खा रहा रेस्त्रां में नौजवान, नज़रे उस पर टिकी शायद हो मेहरबान।
भोजन की तलाश में घूम रहा बालमन,
मालिन मुख, फटे वसन, निस्तेज नयन।
क्षुधा से बेहाल, ख्वाहिश एक ग्रास की,
काश ! मिल जाए रूखी सूखी ही सही।
स्वाद लेकर खा रहा रेस्त्रां में नौजवान,
नज़रे उस पर टिकी शायद हो मेहरबान।
कुछ खाया बेस्वाद कह भोजन छोड़ दिया,
मालिक ने उठाकर एक कोने में फेंक दिया।
क्षुधा से बेहाल तनय भागता पहुंचा वहां,
छोटे छोटे ग्रास खाता आंसू पोछता रहा।
भोजन पहुंचा उदर में खुश हो खेलने लगा,
किसी का बेस्वाद भोजन नवजीवन दे गया।
सविता सक्सेना 'दिशा'
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