आत्म हत्या
रोमा की मां तेरा फोन कई दिनों से नहीं लग रहा था अविनाश(रोमा का पति) को भी कई बार फोन किया लेकिन हमेशा वो बाहर ही होते थे तो तुझसे बात ही नहीं हो पाती थी और बोला भी था मैंने तुझसे बात...
दर्द से कराहती हुई रोमा जब अपने कमरे में पहुंचती है तब सामने खड़ी अपनी मां को देखती है। मां को देखकर गले लगकर एक छोटे बच्चे की तरह रोने लगती है। उसे रोता देखकर उसकी मां उसे चुप करवाकर पूछती है क्या हुआ इस तरह से क्यूं रो रही हो। रोमा अपने आंसुओं को पोंछती हुई कहती है कुछ नहीं मां बस आपको, अचानक देखकर रोना आ गया। आप आज यहां कैसे आएं? क्या हुआ?
रोमा की मां तेरा फोन कई दिनों से नहीं लग रहा था अविनाश(रोमा का पति) को भी कई बार फोन किया लेकिन हमेशा वो बाहर ही होते थे तो तुझसे बात ही नहीं हो पाती थी और बोला भी था मैंने तुझसे बात...
रोमा (अपनी मां की बात काटते हुए) अरे मां अविनाश ने बताया था कई बार मुझे लेकिन मैं ही भूल जाती थी आपसे बात करना। ये सब छोड़ो आओ आप बैठो तो मैं कुछ बनाकर लाती हूं। ये बोलकर रमा जाने लगती है तभी रोमा को लंगड़ा कर चलते हुए देखकर रोमा की मां पूछती है क्या हुआ पैर में? रोमा बताती है काम करते हुए गिर गई थी। आप चिंता ना करें ज्यादा चोट नहीं आई है। रोमा की मां दिखाओ मुझे कितनी चोट लगी। रोमा मना करती है। किंतु उसकी मां नहीं मानती है और जबरदस्ती उसे बैठा कर उसकी साड़ी को ऊपर करके देखती है। रोमा का दायां पैर लहूं लुहान हो रखा होता है। उसकी मां उसे इस हाल में देखकर उससे पूछती है ये सब क्या है रोमा। तुम क्या कर रही हो इतनी ज़्यादा चोट लगी है और तुम मुझसे बोल रही हो कुछ नहीं हुआ है। तुम अभी मेरे साथ डाक्टर के पास चल रही हो। रोमा के बार-बार मना करने पर भी उसकी मां जबरदस्ती उसे डॉक्टर के पास ले जाती है।
अस्पताल में डॉक्टर रोमा का इलाज करने के बाद रमा की मां को अकेले में बुलाकर उसे बताती है कि आपकी बेटी घर में गिरने के कारण घायल नहीं हुई है उसे मारा गया है। रोमा की मां ये सुन कर हैरान हो जाती है वह अभी कुछ समझ नहीं पा रही होती है तभी डॉक्टर आगे बोलती है आपकी बेटी घरेलू हिंसा का शिकार है। उसे एक बार नहीं कई बार मारा गया है। ये बैल्ट से मारने के निशान है। डॉक्टर की बात सुन रोमा की मां रोने लगती है। डॉक्टर रोमा की मां को सांत्वना देते हुए समझाती है। आपकी बेटी के साथ बहुत गलत हो रहा है। अगर आप चाहें तो पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकते है। किंतु हमने अक्सर देखा है कि ऐसे मामलों में लडकियां हमेशा अंत में पीछे हट जाती है और पति का ही साथ देती है। आपकी बेटी तो कुछ बोलने को ही तैयार नहीं है। हम कई बार उससे पूछ चुके है लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही है।
डॉक्टर की बात सुनकर रोमा की मां डाक्टर के पास से निकलकर रोमा के पास आती है। वहां आकर देखती है अविनाश रोमा के पास बैठा होता है। अविनाश को देखकर रोमा की मां पहले डर जाती है फिर हिम्मत करके कमरे के अंदर आती है। उन्हें देख अविनाश नमस्ते कर पैर छूने लगता है। रोमा की मां उसे रोकती हुई रोमा से कहती हैं रोमा तुम्हें अपनी रमा मौसी याद है। रोमा रहती है हां थोड़ा-थोड़ा सा याद है, सुंदर सी थी लंबे बाल थे। रोमा की मां हां लंबे बाल! वही लम्बे बाल जो एक आग की भेंट चढ़ गए थे। रोमा जानती हो उस आग में वो इतना जल गई थी, कि उनकी मृत्यु हो गई थी। मेरे पिता जी ने बोहोत कोशिश की। एक लम्बी लड़ाई लड़ी उनको इंसाफ़ दिलाने के लिए। ये साबित करने के लिए वह आग लगी नहीं थी बल्कि उनके ससुराल वालों द्वारा लगाई गई थी। किंतु वो हार गए। अविनाश रोमा की मां को रोकने की कोशिश करता है किंतु रोमा की मां कहती है मैं अपनी बेटी से बात कर रही हूं आप बीच में ना आएं।
रोमा की मां आगे कहती है रमा की मृत्यु कैसे हुई मैं नहीं जानती हूं लेकिन वह एक आत्महत्या नहीं थी पर हां तुम जो कर रही हो वो एक आत्महत्या जरूर है एक सिंदुर की कीमत तुम्हारी जिंदगी नहीं है। मैं जा रही हूं तुम्हारे लिए घर के दरवाजे खोलकर रखूंगी कोशिश करना लौटकर आओ।
राखी सरोज
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