लौटना

बेटियाँ जब लौट आती हैं पीहर देखती है रूठा घर -द्वार अपना

Apr 16, 2024 - 18:12
 0  113
लौटना
WOMEN

बेटियाँ जब लौट आती हैं पीहर
साथ में लाती हैं टूटते सपने
मेहंदी रचे हाथों में उलझी लकीरें
माथे पर फीकी पड़ती बिंदिया
पैरौं में उदास पड़ी रूनझुन पायल
अनेकों अनुतरित प्रश्न भी
 
बेटियाँ जब लौट आती हैं पीहर
देखती है रूठा घर -द्वार अपना
पढ़ लेती है स्वजनों की कटूता
जान लेती है अस्वीकार्य अपनत्व
सब में खोजती है खुद को
अनेकों खुलते बंद होते द्वार भी

बेटियाँ जब लौट आती हैं पीहर
नये घर की रची बसी खुशबू संग
नये घर की कड़वी तीखी बातें भी
नये घर में संतुलित करती सौ यादें
अपने ही अस्तित्व को समेटती हुई
बेटियाँ  लौट आती हैं..।

डॉ नीना छिब्बर

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0