जो कारगिल में शहीद हुए
अरे ओ देश के हुक्मरानों, जरा अपने होश को संभालो।
अरे ओ देश के हुक्मरानों,
जरा अपने होश को संभालो।
आज देश मांग रहा तुमसे जवाब,
कब हटेगा आतंकियों के चेहरे से नक़ाब।।
आज फिर हुई है किसी मां की सूनी कोख,
पर तुम लोगों को न जाने कब आएगी होश।
तुम लोग लगे हो आज भी अपनी राजनीति चमकाने,
जो कारगिल में शहीद हुए,
उनके पूरे अंग भी मिल जाएंगे कौन जाने।।
अरे शर्म है तो जिंदा पकड़ो एक एक आतंकी को,
लटका दो शूली पर जिंदा उनको लाल चौक पर।
काट दो एक-एक अंग उनका,
निस्तेनाबूत कर दो उनके वजूद को।।
किसी ने खोया है कारगिल में अपना पति,
तो किसी ने खोया है अपना भाई।
यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि इन सैनिकों को,
जिन्होंने कारगिल में अपनी जान है गवाई।।
जय महलवाल (अनजान)
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