ब्रज चारधाम यात्रा

यह काम्या वन में स्थित है। यह सब राजस्थान में पड़ता है। इस मंदिर में जाने के लिए 360 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। गर्मी के मौसम में ज्यादा दिक्कत होती है। थोड़ी ठंडक वाले मौसम में ही जाना चाहिए। नीचे गौरीकुंड है। मंदिर में ऊपर चढ़ने पर नाग नागिन के जोड़े के फन के नीचे बाबा केदारनाथ गुफा में विराजमान है अपने परिवार के साथ। गणेश जी द्वार पर ही स्थापित है प्राकृतिक रूप से अपने मूषक के साथ। 

Mar 22, 2025 - 12:30
Mar 22, 2025 - 12:34
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ब्रज चारधाम यात्रा
Braj Chardham Yatra
  जिस प्रकार उत्तराखंड के चार धाम प्रसिद्ध है केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री। इस प्रकार ब्रज में भी यह चारों धाम विराजमान है। अपने माता-पिता की चार धाम यात्रा की इच्छा पूर्ति हेतु श्री कृष्ण जी ने योग माया को आदेश करके ब्रज में यह धाम स्थापित कराए थे। यह स्थान राजस्थान के डींग क्षेत्र में पड़ता है। जो भरतपुर के निकट है।
डींग में लक्ष्मण जी का मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है।
योग माया मंदिर- बद्रीनाथ जाते समय सबसे पहले योग माया का मंदिर पड़ता है। यहां पर प्रणाम करके यात्रा शुरू की जाती है। योग माया की बहुत ही प्रतिष्ठित मूर्ति विराजमान है यहां पर।
आदि बद्रीनाथ धाम
बद्री नारायण धाम में रामेश्वर धाम भी विराजमान है। यहां पर शिवलिंग नंदी की पीठ पर विराजमान है। गणेश जी की सूंड दाहिनी और मुडी हुई है। नर भगवान और नारायण भगवान विराजमान है। उद्धव जी भी यहां पर स्थापित है। श्रीनाथजी और राधा कृष्ण का भी सुंदर दर्शन है। 
मंदिर में चढ़ने के लिए कोई चढ़ाई भी नहीं है। कढ़ी चावल और खिचड़ी का अति स्वादिष्ट प्रसाद का वितरण होता है। 
यहां पर चने की दाल का भोग चढ़ाने का विशेष महत्व हैं।
गंगोत्री यमुनोत्री और नीलकंठ महादेव, लक्ष्मण झूला-
आदि बद्रीनाथ से कुछ की दूरी पर गंगोत्री यमुनोत्री विराजमान है। यहां पर मार्ग में थोड़ी सी चढ़ाई और कुछ सीढियां है। यहां पर नीलकंठ महादेव भी विराजमान है। लक्ष्मण झूला का मंदिर भी बना हुआ है। यहीं पर प्राचीन काल से स्थापित गंगोत्री और यमुनोत्री का मंदिर भी है। प्रसाद में यहां पर भक्तों को श्रृंगार का सामान बांटा जाता है। यहां से राजस्थान की पहाड़ियों के दर्शन होते हैं।
यहीं से कुछ दूरी पर मनसा देवी का मंदिर और हरिद्वार भी विराजमान है।
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केदारनाथ 
यह काम्या वन में स्थित है। यह सब राजस्थान में पड़ता है। इस मंदिर में जाने के लिए 360 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। गर्मी के मौसम में ज्यादा दिक्कत होती है। थोड़ी ठंडक वाले मौसम में ही जाना चाहिए। नीचे गौरीकुंड है। मंदिर में ऊपर चढ़ने पर नाग नागिन के जोड़े के फन के नीचे बाबा केदारनाथ गुफा में विराजमान है अपने परिवार के साथ। गणेश जी द्वार पर ही स्थापित है प्राकृतिक रूप से अपने मूषक के साथ। 
चढ़ाई ज्यादा कठिन नहीं है। सामान्य व्यक्ति आराम से कर सकते हैं। पालकी की सुविधा भी उपलब्ध है। पानी की बोतल साथ में अवश्य रखें। क्योंकि मार्ग में आपको कोई सुविधा नहीं मिलेगी। गुफा में ऊपर पहुंचकर बहुत ही आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। गुफा में बैठकर जाना पड़ता है। प्राकृतिक शिवलिंग बहुत अद्भुत है। यहां पर चांदी का नाग नागिन का जोड़ा चढ़ाने का विशेष विधान है। पूजा सामग्री, दुग्ध, जल अपने साथ ही लेकर चले। डेढ़ 2 घंटे में यात्रा पूरी हो जाती है मंदिर चढ़ने उतरने की।
इन चार धाम यात्रा का पुण्य चार धाम यात्रा के बराबर ही माना गया है। सभी सनातनी भाई बहनों को अपने जीवन काल में एक बार इस स्थान का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
प्राची अग्रवाल 
खुर्जा बुलंदशहर उत्तर प्रदेश 

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